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* बेटी की शादी की है प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं*

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लक्ष्मी कुमावत

ललिता जी फटाफट अपने कमरे में आई और मनोहर जी को जगाया। मनोहर जी हड़बडा कर उठे। उठते से ही घड़ी की तरफ देखा तो अभी तो सुबह के सात बज रहे थे। जैसे तैसे अपनी आंखों को मलते हुए मनोहर जी ललिता जी से बोले,

” अरे! आज तुमको क्या हो गया है। तुमसे कह कर सोया था ना कि मुझे जल्दी मत उठाना। रात को जरूरी काम कर रहा था। फिर भी तुमने मुझे जल्दी उठा दिया। तुम्हें पता है ना जब मेरी नींद पूरी नहीं होती है तो दिन भर में परेशान होता हूं। अब पूरे दिन मुझे परेशान होना पड़ेगा”

उनकी बात सुनकर ललिता जी घबराती हुई बोली,

” अरे आपको आपकी नींद की पड़ी है। जल्दी उठो, रचना के ससुराल से फोन आया है”

रचना का नाम सुनते ही मनोहर जी की आंखों से जैसे नींद एकदम से ही भागी हो।

“क्यों क्या हो गया। इतनी सुबह सुबह फोन कैसे आया। सब कुछ ठीक तो है ना”

” अजी कुछ भी ठीक नहीं है। दामाद जी ने हमें वहाँ बुलाया है। पता नहीं क्या बात हो गई। पूछा भी, लेकिन कोई जवाब ही नहीं दिया। एक बार आप फोन करके पूछो तो”

ललिता जी ने मनोहर जी का फोन उनके हाथ में देते हुए कहा। मनोहर जी ने भी फटाफट फोन लिया और अपने दामाद मयंक को फोन लगा दिया। लेकिन मयंक ने फोन उठाया ही नहीं। दो-तीन बार मनोहर जी ने फोन किया। पर मयंक का रिस्पांस ना देखकर उन्हें चिंता होने लगी। आखिर पलंग से खड़े होते हुए बोले,

” पता नहीं क्या बात हो गई है। दामाद जी तो फोन ही नहीं उठा रहे हैं। तुम जल्दी से तैयार हो जाओ। हम थोड़ी देर में ही निकलते हैं”

मनोहर जी का आदेश पाते ही ललिता जी फटाफट बिना नहाए ही तैयार हुई। और दोनों पति-पत्नी बिना चाय पिए ही घर से रवाना हो गए। 

अभी दो महीने पहले ही तो रचना की शादी मयंक के साथ की है। अपनी तरफ से सब कुछ देखभाल कर ही ये रिश्ता किया था। मयंक आज के जमाने का पढ़ा लिखा समझदार लड़का है। वही रचना भी पढ़ी-लिखी, संस्कारी लड़की है। परिवार के साथ मिलजुल कर रहने पर विश्वास करती है। घर में सास वंदना जी है। जेठ जेठानी भी है उसके लेकिन वो तो बाहर रहते हैं।

हां, ये अलग बात है कि पग फेरे के बाद से अभी तक वो मायके नहीं आई। दो-तीन बार उससे मिलने की सोच कर फोन किया तो समधन जी ने कहा कि आज तो इन लोगों के घूमने का प्रोग्राम है। दोनों हमेशा चुप कर रह जाते। यह सोच कर कि बेटी तो अपने ससुराल में खुश है।

फिर ऐसा अचानक उनके घर में क्या हो गया कि मयंक ने उन्हें फोन करके इतनी सुबह ही बुला लिया। दोनों पति-पत्नी रास्ते भर कयास लगाते हुए रचना के ससुराल पहुंचे, जो कि आधे घंटे की दूरी पर ही था। 

वहां पहुंच कर देखा तो दरवाजा खुला हुआ था। पर ऐसे कैसे अंदर जा सकते थे इसलिए डोर बेल बजाई। 

तभी अंदर से वंदना जी की आवाज आई,

” अंदर आ जाइए आप लोग। हम आप ही का इंतजार कर रहे हैं”

आवाज सुनकर मनोहर जी ने ललिता जी की तरफ देखा और फिर दोनों अंदर चले आए। देखा तो वंदना जी और मयंक सोफे पर बैठे हुए थे। वही रचना नजर नहीं आ रही थी। उन्होंने इधर उधर देखा तो वंदना जी बोली,

” उसे बुला रहे हैं अभी। पहले आप बैठिए। हमें आपसे जरूरी बात करनी है”

मनोहर जी और ललिता जी आकर सोफे पर बैठ गए। मनोहर जी ने मयंक की तरफ देखा तो वो शायद गुस्से में था। ना कोई पैर छूना, ना ही कोई प्रणाम। उन्हें बड़ी हैरानी हुई। मन ही मन उधेड़बुन चल रही थी कि आखिर हुआ क्या है। यही स्थिति ललिता जी की भी थी। आखिर मनोहर जी ने बोलना शुरू किया,

” क्या बात है समधन जी, आपने इतनी सुबह सुबह क्यों बुलाया। क्या बात हो गई”

उनकी बात सुनकर वंदना जी मुंह बिगाड़ते हुए बोली,

” ये तो आप अपनी बेटी से पूछिए। उसे अपने ससुराल में रहना है या नहीं”

उनकी बात सुनकर ललिता जी घबरा गई और अपने सीने पर हाथ रखते हुए बोली,

” ऐसा क्या हो गया समधन जी। रचना ने कुछ कह दिया क्या। अगर कोई गलती हो गई हो तो अपनी ही बेटी समझ कर माफ कर दीजिए”

” माफ करना समधन जी। अगर मेरी बेटी ऐसी गलती करे ना तो मैं उसकी टांगे तोड़ दूं। ये तो आपने अपनी बेटी को सिर चढ़ा रखा है। अपनी गलती मानने की जगह उसने आपको फोन लगा दिया”

वंदना जी कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हुई। बिना पूरी बात बताए ही बस अपने मन की भड़ास निकाले जा रही थी। वही मनोहर जी और ललिता जी सोच रहे थे कि आखिर रचना ने उन्हें फोन कब किया। ललिता जी ने मयंक की तरफ देखा लेकिन वो तो अभी भी कुछ नहीं बोल रहा था। इतने में मनोहर जी वंदना जी से बोले,

” पर समधन जी, आप बताएंगी भी कि हुआ क्या है। आखिर रचना ने ऐसा क्या कर दिया। और आप रचना को बुलाइए। उसके सामने ही बात होगी”

” क्या सिखाया है आपने उसे। बस मेरे पल्ले से बाँध दिया उसको। मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी। ऐसी औरत जिसे अपने पति की भावनाओं का कोई ख्याल ही नहीं है”

अब तो मयंक बीच में ही बोल पड़ा। उसे यूँ चिल्लाते देखकर मनोहर जी भी खड़े हो गए। इतने में रचना भी कमरे में से निकल कर बाहर आ गई। रचना को देखते ही ललिता जी की चीख निकल गई। उसके चेहरे पर चोट के निशान थे। साफ पता चल रहा था कि उसे मारा गया है।

” रचना, क्या हुआ तुझे, ये… ये चोट के निशान कैसे? क्या किया है तेरे साथ इन लोगों ने”

ललिता जी लगभग रोती हुई रचना की तरफ दौड़ी और उसे अपनी बाहों में भर कर बोली। रचना को इस तरह देखकर एक बार तो मनोहर जी का कलेजा भी मुंह को आ गया। पर फिर हिम्मत करते हुए वो मयंक से बोले,

” क्या किया आप लोगों ने मेरी बेटी के साथ”

“अरे! पति के होते गैर मर्दों से बात करेगी तो ऐसा ही होगा। ऐसी औरतों को इसी तरह कंट्रोल में किया जाता है”

मयंक के जवाब देने से पहले वंदना जी बीच में बोल पड़ी।

उनकी बात सुनते ही मनोहर जी और ललिता जी सकते में आ गए। उन्होंने रचना की तरफ देखा तो रचना ने रोते हुए बताया,

” पापा, आपका ये दामाद पागल है। देखिए किस तरह से मारा है मुझे। मैं किसी से चाहे वो औरत हो या मर्द हो, थोड़ा सा भी हंस बोल क्या लूं, मुझे मारने पर आमादा हो जाता हैं। घर की छत या बालकनी में भी अकेली खड़ी हो गई तो दस बातें सुनाता है। सबके सामने ही थप्पड़ तक लगा देता है। पग फेरे की रस्म के बाद जब भैया वापस शहर जा रहे थे तो मुझसे मिलने आए थे। तब भी इन्होंने मुझे थप्पड़ मारा था। यह कहकर कि यह आदमी यहाँ क्या करने आया है?”

उसकी बात सुनकर ललिता जी ने कहा,

” तुम दो महीने से ये सब क्यों झेलती रही। पहले क्यों नहीं बताया” 

” कैसे बताती मां, इन लोगों ने मेरा मोबाइल तक अपने पास रख लिया। जब आप लोगों का फोन आता है तब ये लोग मेरे आस-पास ही होते हैं। मुझे बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ते कि कहीं मैं आपको बता ना दूं। यहां तक कि मुझे मायके तक नहीं आने देते। और मम्मी जी इसमें भी अपने बेटे का ही साथ देती है।

आज सुबह मैं इनके लिए चाय बना कर कमरे में लाई थी। तब मेरा फोन ड्रेसिंग पर ही रखा दिखा। शायद उन्होंने उठने के बाद निकाल कर रखा था। मैंने अपना फोन हाथ में लिया ही था कि ये बाथरूम में से निकल कर आ गए और मुझ पर इल्जाम लगाने लगे कि मैं उनके पीठ पीछे किसी से बात कर रही हूं। जब मैंने मना किया तो मुझे मारने लगे। और मेरा फोन छिनकर जमीन पर फेंक कर तोड़ दिया। 

तब मैंने कहा कि मैंने मम्मी पापा को फोन कर दिया है। जब इन लोगों को लगा कि मैंने सचमुच आप लोगों को फोन कर दिया है तब जाकर इन्होंने आपको फोन करके बुलाया।  

इनकी ऐसी आदतों के कारण बड़े भैया भाभी भी यहां नहीं रहते। मुझे ले चलिए यहां से मैं यहां नहीं रहूंगी”

रचना ने रोते-रोते सब कुछ बता दिया।

” अरे वाह! ऐसे कैसे चली जाएगी। अब तुम इस घर की बहू हो। हमारी मर्जी के बिना बाहर कदम भी नहीं रखेगी”

वंदना जी बीच में ही बोली।

” बस कीजिए समधन जी, बहुत बोल लिया आपने। जब आप हमारे सामने ही इतना कुछ बोल रहे हैं तो पीठ पीछे तो पता नहीं क्या क्या करते होंगे। और अब क्या इजाजत लेना बाकी रह गया”

ललिता जी बोली।

” अगर इसने घर के बाहर कदम रखा तो इसके लिए इस घर के दरवाजे हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। फिर अपने घर में बिठाए रखना अपनी बेटी को”

अब की बार मयंक ने ललिता जी को उंगली दिखाते हुए ये बात बोली। मनोहर जी बिल्कुल भी इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाए।

” खबरदार, इतनी देर से बर्दाश्त कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हमें बोलना नहीं आता। अपनी इस उंगली को अपनी मुट्ठी में ही समेट लो। जब तुम अपनी सास से इस तरह से बात कर रहे हो तो तुम किस काबिल होंगे। सब पता चल रहा है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी पर हाथ उठाने की”

मनोहर जी ने कहा तो मयंक गुस्से से उनकी तरफ देख कर बोला,

” ये मेरी पत्नी है। मेरी शादी हुई है इसके साथ। और आपने खुद कन्यादान किया था। अब मैं उसके साथ कुछ भी करूं। आप होते कौन हो बोलने वाले। जैसे एक प्लॉट की रजिस्ट्री हो जाने पर उसका मालिकाना हक बदल जाता है। वैसे ही एक लड़की की शादी होते ही उसके हकदार बदल जाते हैं। अब आपकी बेटी पर सिर्फ मेरा अधिकार है। आपका काम शादी से पहले तक था। अब आपको हमारे बीच बोलने की कोई जरूरत नहीं है”

मयंक ने बड़ी बेशर्मी के साथ कहा।

सुनकर मनोहर जी को भी गुस्सा आ गया। और वो चिल्लाते हुए बोले,

“शादी की है हमने हमारी बेटी की, बेची नहीं है। शादी के बाद भी वो बेटी है मेरी, कोई प्लॉट नहीं है। जिससे शादी करते ही तुम्हें मलिकाना हक मिल गया। एक औरत में और एक प्लॉट में फर्क होता है। कितनी गंदी सोच है तुम्हारी। अफसोस होता है मुझे कि मैंने तुम्हें अपनी बेटी के लायक समझा। पर मैं यह भूल गया था कि दो-तीन मुलाकात में अंदर की गंदगी नहीं दिखती।  सिर्फ वही दिखता है जो सामने पेश किया जाता है। और तुमसे अपनी बेटी की शादी करवा दी। अब मेरी बेटी इस घर में एक पल नहीं रहेगी”

मनोहर जी भी लगभग चिल्लाते हुए बोले।

गुस्से में ही वो अपनी बेटी को लेकर वहां से रवाना हो गए। सबसे पहले वो रचना को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे। और मयंक और वंदना जी के खिलाफ एफ आई आर करवाई। रचना की स्थिति देखकर पुलिस भी तुरंत एक्शन में आई। और मयंक और वंदना जी को गिरफ्तार कर ले गई।

कुछ दिनों के बाद तलाक के लिए अर्जी दे दी गई। जिससे जल्द ही रचना को तलाक भी मिल गया।

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