मप्र की सियासत भी गजब है। यहां सभी दलों के नेता परिवारवाद के खिलाफ तो जमकर बोलते हैं लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि राज्य में सभी बड़े दल परिवारवाद को खूब पालते-पोसते हैं। भाजपा की चार और कांग्रेस की एक लिस्ट सामने आई है। जिसमें कुछ ऐसा ही दिखता है। कांग्रेस भी दावा करती है कि, उसकी पार्टी में कम और भाजपा में ज्यादा परिवारवाद है। भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की चार लिस्ट जारी की हैं, जिसमें परिवारवाद की झलक साफ देखने को मिल रही है। इसमें कई दिग्गज नेताओं के परिवार जनों को पार्टी ने टिकट दिया है। कांग्रेस की पहली सूची में भी परिवारवाद खूब देखने को मिला है।
मप्र की सियासत में परिवारवाद सीधे या फिर कहें परोक्ष रूप से हावी है। 230 विधानसभा सीटों में से दर्जनों पर राजनीति, परिवारों के ईद-गिर्द घूमती है। नए चेहरों को अपना वजूद कायम करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। देखा जाए तो भाजपा अक्सर भाई-भतीजावाद को लेकर मुखर रहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में जब कार्यकर्ता महाकुम्भ में राजधानी भोपाल आए थे , तब उन्होंने अपने भाषण में परिवारवाद और कांग्रेस पर जमकर हमला किया था।लेकिन हकीकत में मध्य प्रदेश में स्थिति बिलकुल उलट नजर आ रही है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने 136 उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें कई राजनीतिक सफर वाले परिवार के लोगों को भी टिकट देकर उपकृत किया गया है।जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार वाले भी शामिल हैं।
भाजपा में इस बार परिवारवाद
मप्र विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने 136 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। इनमें कई राजनैतिक सफर वाले परिवार के लोगों को भी टिकट दिए गए हैं। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार वाले भी शामिल हैं। भाजपा से टिकट पाने में नेता पुत्री, बहू और नेता पत्नी भी पीछे नहीं हैं। पेटलाबाद से दिलीप भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। साथ ही भाजपा ने 5 नेताओं की पत्नियों को भी टिकट दिया है। पार्टी ने दिवंगत पूर्व मंत्री लक्ष्मण गौर की पत्नी मालिनी गौड़ को इंदौर से फिर से प्रत्याशी बनाया है। इंदौर से इस बार आकाश विजयवर्गीय का टिकट जरूर होल्ड करके उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय को दे दिया गया है। वहीं भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुव नारायण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी, पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह सकलेचा के पुत्र ओम प्रकाश सकलेचा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया है। इसके बावजूद भाजपा नेता परिवारवाद को लेकर पार्टी गाइडलाइन की बात को ही दोहराते नजर आते हैं। इस संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा कहते हैं कि जो जमीन पर काम करते हैं, वे ही समाज का नेतृत्व करेंगे। यहां किसी का बेटा होना योग्यता नहीं है, लेकिन किसी का बेटा कार्यकर्ता है और वो काम कर रहा है, तो वह उसका अपराध नहीं है। शर्मा के इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गयी है, क्योंकि भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के युवराज अभी भी लाइन में खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि इसके बीच कांग्रेस का कहना है की भाजपा परिवारवाद में ज्यादा लिप्त है और कांग्रेस के नेताओं का जनता से डायरेक्ट कनेक्शन है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा में गुटबाजी और परिवारवाद चरम पर है। यहां सब बस आपस में लड़ रहे हैं और पार्टी में किसी का कोई भला नहीं होने वाला। जनता भाजपा से परेशान हो चुकी है और आने वाले समय में वो कांग्रेस पार्टी पर ही भरोसा जताएगी।
वंशवाद की भेंट चढ़ी कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची
कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को राघौगढ़, उनके भाई लक्ष्मण सिंह को चाचौड़ा, उनके रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह को खिलचीपुर से, समधी घनश्याम सिंह को सेवड़ा, भांजे सिंधु विक्रम सिंह को शमशाबाद और भांजा-दामाद अजय सिंह को चुरहट से टिकट दिया गया है। इसी तरह प्रेमचंद गुड्डू की बेटी, अरूण यादव के भाई, अजय सिंह के मामा राजेन्द्र कुमार सिंह को टिकट दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस जिस परिवारवाद के लिए पहचानी जाती है, उस परिवारवाद की छाया भी इस सूची में साफ दिखाई देती है। इससे यह स्पष्ट है कि कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची वंशवाद की भेंट चढ़ गई है।