मुनेश त्यागी
फिलहाल जारी फिलिस्तीन इजरायल युद्ध से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सभी देश अपने-अपने हितों के अनुसार इस मुद्दे पर अपने स्टैंड ले रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर जैसे दुनिया बिखर सी गई है। रुस, चीन, पश्चिम एशिया, यूरोपीय देश, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका सब के सब देश अपने हिसाब से काम कर रहे हैं।
इस मुसीबत भरे मुद्दे को लेकर यूरोपीय देश अमेरिका की नीतियों से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि अमेरिका इजरायल फिलिस्तीन युद्ध में आतंकवाद को बढ़ाने वाले इजरायल का खुलकर साथ दे रहा है। उनका मानना है कि जब अमेरिका यूक्रेन रूस युद्ध में रूस को दोषी बता रहा था तो अब वह इस युद्ध में, जब इसराइल निर्दोष बच्चों, महिलाओं और अस्पतालों पर हमले करके निर्दोष लोगों को बर्बर तरीके से मार रहा है, उनकी बिजली, पानी, सड़क, ईंधन और दवाइयां बंद कर रहा है, तो ऐसे में इजरायल की इन हरकतों को आतंकवादी क्यों नहीं कहा जा सकता? उनका कहना है कि अमेरिका का इसराइल और रूस को लेकर अलग-अलग स्टैंड है, जो सही नहीं है। अमेरिका की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है।
इजराइल फिलिस्तीन युद्ध के बाद जिस तरह किसी अमेरिका ने इसराइल के समर्थन में खुलकर काम किया है, वहां की स्थिति को देखे और जाने बिना उसने अपने युद्धपोत और लड़ाकू विमान इजरायल के समर्थन में भेज दिए हैं, उससे भी जहां पहले यूरोप के देश खिलाफ थे, अमेरिका के इस दोगले रवैए से अब पश्चिम एशिया के लगभग सभी देश भी खिलाफ हो गए हैं।
इस युद्ध के छिड़ने के बाद अमेरिका के प्रेसिडेंट बाइडेन ने सऊदी अरब, मिश्र, जॉर्डन और सीरिया के राष्ट्रीय अध्यक्षों से मिलने की बात कही थी। मगर अमेरिका के इस एकतरफा और दोगले रवैए के कारण, इन देशों के राष्ट्रपतियों ने अमेरिका के राष्ट्रपति से मिलने के कार्यक्रमों को रदू दिया है और उन्होंने कहा है कि इस युद्ध को लेकर अमेरिका का स्टैंड सही नहीं है, इसलिए हम उनसे वार्ता नहीं करेंगे और इस प्रकार उन्होंने वार्ताएं बंद कर दी हैं, स्थगित कर दी हैं और उनसे मिलने से ही मना कर दिया है।
इसी युद्ध के दौरान रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने विश्व शांति स्थापित करने के लिए और पश्चिम एशिया में युद्ध को रोकने के लिए, पश्चिम एशिया के तमाम मुस्लिम देशों से कहा है कि वे इस युद्ध को किसी भी तरीके से बढ़ने ना दें, इसमें भाग ना लें और किसी भी तरह से पश्चिम एशिया में इसराइल और फिलिस्तीन के मामले में युद्ध ना भड़कने दें और वहां किसी भी तरह से शांति कायम की जाए।
कमाल की बात यह है कि अभी तक इस युद्ध में मुस्लिम देशों ने कोई शिरकत नहीं की है, उन्होंने फिलीस्तीन को लेकर इसराइल पर कोई हमला नहीं किया है और वे सब वहां इस युद्ध को खत्म करने की बात कर रहे हैं और उन पर स्पष्ट रूप से पुतिन के आह्वान का असर हो रहा है। इसी दरमियान चीन के अंदर रूस और चीन के मध्य बातचीत हुई है। राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच तीन घंटे लंबी वार्ता हुई है।
इन दोनों देशों ने बीजिंग में हो रही 130 देशों की बीआरआई की इस मीटिंग में भी आह्वान किया है कि दुनिया के स्तर पर न्याय, औचित्यपूर्ण संबंध, शांति और सुरक्षा को आगे बढ़ाया जाए, दुनिया में हो रहे अन्यायों का मुकाबला किया जाए और अपने तमाम रिश्तों में औचित्यपूर्ण संबंध कायम किया जाएं।
इस फिलिस्तीन इजरायल युद्ध के दौरान चीन ने भी बढ़कर भूमिका अदा की है। यह युद्ध छिड़ने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सऊदी अरब और ईरान के विदेश मंत्रियों को आपस में मिलाने की बात कही, उनकी आपस में फोन पर बातचीत कराई और उन दोनों देशों का आह्वान किया कि वे इजराइल फिलिस्तीन युद्ध को लेकर अपने रिश्ते सामान्य करें और इस युद्ध में भाग ना लें और इस युद्ध को समाप्त करने में अपनी भूमिका निभायें। सऊदी अरब और ईरान पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस पहल का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। इसी पहल का प्रभाव है कि ईरान और सऊदी अरब ने अभी तक भी इसराइल और फिलीस्तीन संघर्ष में भाग नहीं लिया है और कोई युद्धोन्मादी भूमिका नही निभाई है।
इस युद्ध के दरमियान हम देख रहे हैं कि जहां अमेरिका और यूरोपीय देशों में आपसी मतभेद उभर कर आये हैं और जहां अमेरिका एक युध्दोन्मादी के रूप में सामने आया है, वही रूस और चीन का प्रभाव बढ़ रहा है और इस युद्ध में रूस के राष्ट्रपति पुतिन का पूरी दुनिया में रुतबा बढा है क्योंकि उन्होंने इस युद्ध को बढ़ावा नहीं दिया है और इस युद्ध को तुरंत समाप्त करने की बात कही है और उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के फैसलों के अनुसार फिलिस्तीन देश को एक स्वतंत्र राष्ट्र कायम किया जाना चाहिए। वही भूमिका चीन और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भी रही है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी पूरी कोशिश की है कि इसराइल और फिलीस्तीन के बीच चल रहा युद्ध और आगे ना फैले और पश्चिम एशिया के देश इस से दूर रहें।
इस प्रकार हम देख रहे हैं कि इसराइल और फिलिस्तीन युद्ध में चीन रूस और उनके राष्ट्रपतियों पुतिन और शी जिनपिंग का रुतबा पूरी दुनिया में बढा है। वे जैसे शांति के पक्ष में खड़े हो गए हैं और वे इस फिलिस्तीन इजरायल युद्ध का खुलकर विरोध कर रहे हैं और पूरी दुनिया में न्याय, औचित्यपूर्ण संबंध और शांति और सुरक्षा कायम करने की बात कर रहे हैं। अब दुनिया के समस्त शांतिप्रिय जनता और देश भी उनकी तरफ उम्मीद और आशा भरी नजरों से देख रहे हैं।
सच में निष्पक्ष होकर कहें तो इस युद्ध में राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग की हैसियत में काफी इजाफा हुआ है क्योंकि उन्होंने दुनिया को एक संदेश दिया है कि पूरी दुनिया में न्याय, औचित्यपूर्ण संबंध और शांति और सुरक्षा बनी रहनी चाहिए, तभी दुनिया विकास, शांति और सुरक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ सकती है और दुनिया से विवाद, झगड़े, टकराव और युद्ध की परिस्थितियां खत्म हो सकती हैं। वास्तव में रूस और चीन के राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग इस दुनिया में अमन और शांति बनाए रखने की अहम पहल कर रहे हैं और एक शक्तिशाली और शानदार भूमिका अदा कर रहे हैं।