अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

*”जिंदगी” की चाह : सही राह- सुयोग्य हमराह*

Share

           ~ सोनी तिवारी (वाराणसी)

वास्तविक खुशी-तृप्ति बाजार से नहीं मिलती। यह जोक्स सुनने-पढ़ने से या नशा करने से नहीं मिलती। यह किसी से लूटने या भीख मागने से भी नहीं मिलती।_

 तृप्ति हृदय की अवस्था है, समझौता नहीं। इसके लिए सही राह और सुयोग्य हमराह की जरूरत होती है।

   _तन से, मन से, मस्तिष्क से, स्वप्न से होने वाली सारी क्रियाओं के पीछे आपकी यही सोच होती है कि आपको खुशी- तृप्ति मिल जाएगी। होता उलटा है। आप नाखुश- अतृप्त होते जाते हैं और एक दिन महादु:ख में शरीर तक छोड़ने को मजबूर…।_ 

     इस तरह से विकास का नहीं, विनास का सिद्धांत साकार करते हैं आप। यानी आप जीवन की नहीं, केवल ‘मृत्यु’ की यात्रा करते हैं।

     _लोगों- हालातों को दोष न दें! अपनी कमी- कायरता स्वीकारें। अपनी दशा के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं!आपके जीवन-परिवेश में बर्बादी का आलम दुष्टों-शोषकों-पापियों की सक्रियता नहीं लाती, आपकी निष्क्रियता लाती है।_

     सफलता संयोग नहीं, आपके दृष्टिकोण का नतीजा है और अपना दृष्टिकोण आप खुद चुनते हैं।

         _गृहस्थ जीवन में तृप्ति-संबोधि-मुक्ति का एक ही बेस है : समग्र प्रेम से युक्त गहन संभोग._

   _अब  5- 10 मिनट में निचुड़ जाने वाले नामर्दों से तो ये होने से रहा. स्त्री की हॉटनेश/कामाग्नि जग ही नहीं पाती. जीवन भर वह महरूम रह जाती है अपरिमित/अलौकिक आर्गेज्मिक सेक्स की अनुभूति से._

    _आठ गुना अधिक कामाग्नि वाली स्त्री एक बार भी ठीक से गरम होकर, पिघलकर स्खलित हो सके तो वह बारबार जन्नत को शर्मिंदा करने वाले इस सुख की मांग करती है. इसके लिए मर्द को कम से कम एक घंटे टिकना होता है._

    हम देते हैं यह केपेसिटी बिना दवा, बिना फीस. हम ठीक से केस की इनालिसिस कर पाएं, कारगर समाधान सेलेक्ट करके दे पाएं इसके लिए कपल्स की काउन्ससिलिंग जरूरी होती है. अफ़सोस की अधिकांश कापुरुष इसके लिए भी तैयार नहीं होते.

    _ऐसे में अपने जैविक/नैसर्गिक हक के लिए निश्चित रूप से स्त्री को चाहिए कि वह सक्षम साथी को जीये : यही एकमात्र सही राह है उसके लिए._

           ‘स्व’-जागरण से सेहत और  चेतना विकास के लिए आप हमसे मिल सकते हैं। हम किसी से न कुछ छीनते हैं, न मांगते हैं और न उसके देने पर लेते हैं। श्रद्धा-विश्वास की बात भी हम नहीं करते।बस होश में रहकर, सजग रहकर गति करना जरूरी होता है I(चेतना विकास मिशन).

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें