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विरोध को दरकिनार कर भाजपा ने अजमेर में मौजूदा विधायकों को ही उम्मीदवार बनाया

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कांग्रेस की पहली सूची रघु शर्मा और राकेश पारीक का नाम नहीं

एस पी मित्तल अजमेर 

भाजपा ने अजमेर क्षेत्र से पांच और उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, पूर्व में किशनगढ़ से भागीरथ चौधरी (सांसद) और केकड़ी से शत्रुघ्न गौतम (पूर्व विधायक) को उम्मीदवार घोषित किया था और अब 21 अक्टूबर को जारी सूची में पांच मौजूदा विधायकों को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है। अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी और दक्षिण से अनिता भदेल को लगातार पांचवीं बार, ब्यावर सिंह शंकर सिंह रावत को चौथी, पुष्कर से सुरेश रावत को तीसरी और नसीराबाद से रामस्वरूप लांबा को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है। हालांकि इन विधायकों का लगातार विरोध हो रहा था, लेकिन ऐसे सभी विरोध को दरकिनार कर पार्टी ने मौजूदा विधायकों को ही चुनाव लड़ने का अवसर दिया है। अजमेर उत्तर में देवनानी के विरोध के लिए भाजपा के कार्यकर्ता जयपुर तक गए। भाजपा मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन भी किया। डिप्टी मेयर नीरज जैन, पूर्व सभापति सुरेश सिंह शेखावत, वरिष्ठ नेता सुभाष काबरा, कंवल प्रकाश किशनानी, हरीश गिद्वानी आदि ने वरिष्ठ नेताओं से आग्रह किया कि हम में से किसी एक को भी उम्मीदवार बनाया जाए लेकिन देवनानी को टिकट न दिया जाए। इसी प्रकार दक्षिण में भदेल का टिकट कटवाने के लिए भाजपा के कई पार्षदों ने जयपुर और दिल्ली तक दौड़ लगाई। आरोप है कि विधायकों को एकजुट करने में भाजपा की मेयर श्रीमती ब्रज लता हाड़ा के पति डॉक्टर प्रियशीला हाड़ा की भूमिका रही। इसी प्रकार पुष्कर से सुरेश रावत का टिकट कटवाने के लिए कई रावत नेता एकजुट हुए। यह भी आरोप लगाया गया कि सुरेश रावत की उम्मीदवारी से इस बार रावत मतदाताओं में विभाजन हो जाएगा। सेवानिवृत्त आईएएस हनुमान सिंह भाटी ने भी पुष्कर से अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत की। पुष्कर के कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत सेवानंदगिरि ने भी अपनी उम्मीदवारी के लिए साधु संतों तक से मांग करवाई। ब्यावर से शंकर सिंह रावत का टिकट कटवाने के लिए क्षेत्र के सभी मंडल अध्यक्षों ने पत्र भी लिखा। शंकर सिंह पर आरोप लगाया गया कि वे ब्यावर में भाजपा का समानांतर संगठन चला रहे हैं। इसी प्रकार नसीराबाद के विधायक रामस्वरूप लांबा पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सभी विरोधों को दरकिनार कर मौजूदा विधायकों पर ही दांव लगाया है।  संभवत: राष्ट्रीय नेताओं का मानना रहा कि मौजूदा विधायक ही जिताऊ उम्मीदवार हैं। चूंकि इन विधायकों ने हर विपरीत परिस्थितियों में चुनाव जीता इसलिए इस बार भी जीत जाए। प्रदेश में मौजूदा समय में कांग्रेस सरकार को हराने के लिए भाजपा ने मौजूदा विधायकों पर ही भरोसा जताया है। जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र है, भाजपा ने 7 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अब सिर्फ मसूदा क्षेत्र ही शेष रहा है। जातिगत समीकरणों को लेकर अभी मंथन चल रहा है। मसूदा से अभी राकेश पारीक कांग्रेस से विधायक हैं। ब्यावर और आसपास की विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं की नजर अब मसूदा पर टिक गई है। जिन भाजपा नेताओं को ब्यावर, नसीराबाद से टिकट नहीं मिला वे अब मसूदा से प्रयासरत हैं। जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा भी मसूदा से दावेदारी जता रही थीं। लेकिन अभी तक भी पलाड़ा को भाजपा में शामिल नहीं किया गया है। मालूम हो कि पलाड़ा ने बागी उम्मीदवार बनकर जिला प्रमुख का चुनाव जीता था। इस बात को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता अभी तक नाराज है। वहीं जानकार सूत्रों का कहना है कि श्रीमती पलाड़ा और उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा अब अजमेर और नागौर जिले कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करवा रहे हैं। लेकिन पलाड़ा दंपत्ति की ओर से कोई अधिकृत घोषणा नहीं की है।

वैश्य समाज से सिर्फ एक उम्मीदवार

अजमेर संभाग के अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा और टोंक जिले में विधानसभा की 30 सीटें हैं,इनमें से भाजपा ने 19 पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। लेकिन इन 19 उम्मीदवारों में से भीलवाड़ा के सहाड़ा को छोड़कर किसी भी सीट पर वैश्य समुदाय से जुड़े व्यक्ति को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। सहाड़ा से भी लादू लाल पितलिया को उम्मीदवार बनाया है जो अल्पसंख्यक जैन समाज से ताल्लुक रखते हैं। अजमेर में वैश्य समाज की ओर से मांग की गई थी कि कम से कम एक प्रतिनिधि को उम्मीदवार बनाया जाए। लेकिन अजमेर में वैश्य समाज की यह मांग अभी तक पूरी नहीं की गई है। अजमेर में जो सात उम्मीदवार घोषित किए गए हैं उनमें दो जाट, दो राजपूत और एक एक ब्राह्मण, सिंधी तथा एससी वर्ग के हैं। ऐसे में वैश्य समुदाय की मांग है कि मसूदा से किसी वैश्य को उम्मीदवार बनाया जाए।

रघु और पारीक का नाम नहीं:

अजमेर से केकड़ी के मौजूदा विधायक रघु शर्मा को जब गुजरात का प्रभारी बनाया गया था, तब राजस्थान की राजनीति में रघु शर्मा को सबसे ताकतवर नेता माना गया। समर्थक तो रघु को मुख्यमंत्री के तौर पर देखने लगे थे। यह भी कहा गया कि रघु का कद अब बहुत बड़ा हो गया है, इसलिए केकड़ी से उनके पुत्र को चुनाव लड़ाया जाएगा। लेकिन इन सब सपनों पर तब पानी फिर गया, जब 21 अक्टूबर को घोषित 33 उम्मीदवारों की सूची में रघु शर्मा का नाम शामिल नहीं किया गया। जो समर्थक अपने नेता के मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे थे, उन समर्थकों को तब मायूसी हुई तब पहली सूची में नाम शामिल नहीं हुआ। पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी का नाम पहली सूची हैं। जबकि रघु शर्मा का नाम नहीं है। पहली सूची में उन्हीं उम्मीदवारों का नाम शामिल हैं, जिन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी सहमति दी है। रघु शर्मा का नाम पहली सूची में शामिल नहीं होने से प्रतीत होता है कि गहलोत अथवा पायलट की आपत्ति है। यह बात अलग है कि केकड़ी से रघु की दबंगई के सामने किसी भी कांग्रेसी ने दावेदारी प्रस्तुत नहीं की है। इसी प्रकार पहली सूची में नागौर के परबतसर से रामनिवास गवाडिय़ा का नाम शामिल है, लेकिन मसूदा से मौजूदा विधायक राकेश पारीक का नाम नहीं है। गवाडिय़ा और पारीक दोनों पायलट के समर्थक हैं। दोनों ही पायलट के साथ दिल्ली भी गए थे। जानकार सूत्रों के अनुसार पायलट ने ही पारीक का नाम अभी होल्ड पर रखा है।

चन्नी का स्वागत:

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी 22 अक्टूबर को अजमेर प्रवास पर रहे, चन्नी ने पुष्कर में पूजा अर्चना और अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत की। अजमेर प्रवास के दौरान ही चन्नी ने बजरंगगढ़ स्थित अंबे माता मंदिर में दर्शन किए। इस अवसर पर मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख एडवोकेट राजेश टंडन ने चन्नी का स्वागत किया। चन्नी को माता की चुनरी ओढ़ाई गई और प्रसाद दिया। टंडन ने बताया कि चन्नी उनके पुराने मित्र हैं। इसलिए अजमेर में चन्नी उनके मेहमान रहे। चन्नी ने दोपहर का लंच टंडन के बड़लिया स्थित फार्म हाउस पर किया। इस अवसर पर टंडन के अनेक मित्र भी उपस्थित रहे। चन्नी ने अपनी अजमेर यात्रा को सुखद बताया। 

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