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*साइलेंट किलर ऑस्टियोपोरोसिस : जानकारी और बचाव*

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       ~ डॉ. प्रिया 

रोजमर्रा की जिंदगी में मील स्किप कर देना, एक्सरसाइज़ को अवॉइड करना और उचित मात्रा में वॉटर इनटेक न करना हमें सामान्य लगता है। क्या आप जानते हैं कि यही सामान्य और छोटी लगने वाली बातें धीरे धीरे आपके शरीर में किसी बड़ी समस्या के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। वो है ऑस्टियोपोरोसिस।

अक्सर ऐसा माना जाता है कि उम्रदराज लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस  का खतरा बढ़ता है। मगर वे लोग जिनकी उम्र कम है वे भी इस समस्या के शिकार हो सकते हैं।

     ये एक ऐसा साइलेंट किलर है, जो पोषक तत्वों की कमी के चलते हड्डियों को अंदर ही अंदर कमज़ोर और खोखला बनाने लगता है। इसटर्न मिरर नागालैण्ड की एक रिसर्च के अनुसार भारत में ऑस्टियोपोरोसिस  के मामले सबसे ज्यादा है। आंकड़ों की मानें, तो भारत में 61 मिलियन लोग इस समस्या के शिकार है, जिसमें 80 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।

 ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी साइंलेंट बीमारी है जिसमें बोन मास और बोन टिशूज के प्रभावित होने से हड्डियां कमज़ोर होने लगती है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं को ये बीमारी अधिकतर पाई जाती है।

*ऑस्टियोपोरोसिस के शुरूआती संकेत :*

    ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों में होने वाला वे रोग है, जिसमें बोन मास डेंसिटी का स्तर गिरने लगता है। इसमें आने वाला गिरावट का असर शरीर पर कई प्रकार से दिखने लगता है। इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या महिलाओं व पुरूषों दोनों में ही हो सकती है।

     मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस यानि एस्ट्रोजन लेवल में कमी आने के चलते इसकी संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा महिलाओं की हड्डिया पुरूषों की तुलना में पतली होती है। शरीर में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी की कमी होने से ये समस्या महिलाओं और पुरूषों दोनों में ही हो सकती है।

*1.ऊंचाई या लंबाई में कमी :*

     रीढ़ की हड्डी में होने वाले कंप्रेशन फ्रैक्चर का प्रभाव शरीर की लंबाई पर पड़ता है। दरअसल, फ्रैक्चर के चलते पीठ आगे की ओर झुकने लगता है। जो लंबाई के कम होने का कारण बनने लगता है।

    अगर आपका शरीर धीरे धीरे आगे की ओर झुकता चला जा रहा है, तो ये ऑस्टियोपोरोसिस की ओर इशारा करता है।

*2. फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाना :*

    फ्रेजाइल यानि कमज़ोर हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर को पोषण न मिल पाने के चलते फ्रैक्चर का खतरा बढ़ने लगता है।

      मामूली चोट या फिर गिरने से हड्डियों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है। वे लोग जिनकी बोन्स वीक हो जाती है। उनका ज़ोर ज़ोर से खांसना और छींकना भी हड्डियों को प्रभावित करने लगता है।

*3. पीठ में दर्द :*

    गर्दन और पीठ में होने वाला दर्द ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना को बढ़ा देता है। ये दर्द हल्के से धीरे धीरे तेज़ होने लगता है। रीढ़ की हड्डी में होने वाले फ्रैक्चर के चलते स्पाइन यानि वर्टेब्रिया छोटे टुकड़ों में बिखरने लगता है। जो नर्वस में चुभव का अनुभव देते हैं। इसके चलते पीठ और गर्दन में दर्द की शिकायत रहती है।

*4. नाखूनों की खराब सेहत :*

    नाखूनों के रंग और उनके टैक्सचर से बोन हेल्थ का पता आसानी से लगाया जा सकता है। अगर वे धीरे धीरे खराब हो रहे हैं, तो ये शरीर में कैल्शियम की कमी को दर्शाता है। जो हड्डियों की कमज़ोरी का संकेत हैं। इसके अलावा कैमिकल्स का नाखूनों पर अत्यधिक इस्तेमाल व बार बार गर्म व ठंडे तापमान के संपर्क में बाने से भी नाखून खराब होने लगते हैं।

*ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे से कैसे बचें?*

    1. शरीर को एक्टिव रखें :

  अन्य कार्यों के समान वर्कआउट को भी प्राथमिकता दें। शरीर की मज़बूती को बनाए रखने के लिए कुछ देर वॉक के लिए जाएं। इसके अलावा मॉडरेट एक्सरसाइज़ आपके शरीर को फुर्तीला और प्रबल बनाती है।

    इससे बार बार लगने वाली चोट के खतरे से आप बचे रहते हैं। साथ ही लंगे वक्त तक एक्टिव भी रहते हैं.

2. पोषक तत्वों को न करें इग्नोर :

   ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्या है, जो हड्डियों को धीरे धीरे कमज़ोर बनाने लगती है। इससे बचाव के लिए ज़रूरी पोषक तत्वों को डाइट में सम्मिलित करना आवश्यक है। हड्डियों के स्वस्थ्य की उचित देखभाल और बोन डेंसिटी को बनाए रखने के लिए विटामिन डी, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम को अपनी डज्ञइट में अवश्य शामिल करें।

3. हाइड्रेट रहना है ज़रूरी :

    शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकालने के लिए खुद को हाइड्रेट रखना ज़रूरी है। इससे आप बार बार होने वाली थकान से बच सकते हैं। साथ ही शरीर में बोन डेंसिटी बनाए रखने में भी मददबार साबित होता है। एक्सपर्ट के अनुसार वॉटर इनटेक बढ़ाने से हड्डियों को सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो सकती है।

4. कैफीन की अधिकता पर लगाएं अंकुश :

    दिनभर में बार बार पी जाने वाली कॉफी और चाय आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का काम करने लगती है। इसका प्रभाव हड्डियों पर नज़र आता है। एनसीबीआई के अनुसार कैफीन की मात्रा बढ़ाने से हड्डियां ब्लड फ्लो में कैल्शियम की रिहाई को बढ़ा देती हैं। इससे शरीर को पर्याप्त कैल्शियम की प्राप्ति नहीं हो पाती है। जो बोल डेंसिटी मास के कम होने का कारण साबित होता है। ऐसे में कैफीन इनटेक को लिमिट में रखें।

*ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी 5 भ्रांतियां और सही तथ्य :*

   मिथ 1 : हड्डियों के लिए सिर्फ कैल्शियम जरूरी है :

   ऑस्टियोपोरोसिस पर्याप्त कैल्शियम न मिलने के कारण होता है। कैल्शियम हड्डियों के लिए ज़रूरी होता है, लेकिन बहुत ज़्यादा मात्रा में कैल्शियम भी नुक़सानदायक होता है। हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए शरीर को कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी, विटामिन के, मैग्नीशियम और स्ट्रोंशियम जैसे अन्य पोषक तत्वों की भी ज़रूरत होती है।

 मिथ 2 : बढ़ती उम्र के कारण होता है :

यह सही है कि ऑस्टियोपोरोसिस उम्र बढ़ने के साथ आम हो जाता है। पर कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो सकते हैं। इसमें उम्र और लैंगिकता की भूमिका है, पर जीवनशैली और आहार भी इस पर प्रभाव डालते हैं।

 मिथ  3:  हड्डियां ज़्यादा टूटती हैं :

ऐसा ज़रूरी नहीं है। पतली हड्डियों वाले कई लोगों की हड्डी कभी नहीं टूटती है। इसके जोखिम का आकलन बोन डेंसिटी टेस्ट से किया जा सकता है।

 मिथ 4 : यह केवल महिलाओं को होता है :

ऐसा नहीं है। ऑस्टियोपोरोसिस पुरुषों को भी हो सकता है। हालांकि महिलाओं को इसका जोखिम ज़्यादा होता है, क्योंकि उनकी हड्डियां आमतौर पर छोटी और पतली होती हैं। अगर पुरुषों में विटामिन डी की कमी है, तो उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।

मिथ  5:  अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता :

ऑस्टियोपोरोसिस का फिटनेस, मांसपेशियों की शक्ति और हृदय  स्वास्थ्य पर असर (myths about osteoporosis) पड़ता है। स्वस्थ जीवनशैली, सक्रिय रहने और धूम्रपान एवं शराब सेवन में संयम रखने से हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

*ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज एवं रोकथाम के उपाय :*

1. संतुलित आहार :

हड्डियों को मजबूत रखने के लिए पोषक तत्व और विटामिन ज़रूरी होते हैं। कैल्शियम आवश्यक है, लेकिन इसका ज़्यादा मात्रा में सेवन नहीं करें। विटामिन K, मैग्नीशियम और स्ट्रोंशियम पर्याप्त मात्रा में लें। याद रखें कि विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है।

2. नियमित व्यायाम करें :

स्वस्थ हड्डियों के लिए शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण है। शारीरिक गतिविधि से न केवल मांसपेशियां, बल्कि हड्डियां भी मजबूत होती हैं। ज़रूरी नहीं कि ज़्यादा कठिन व्यायाम किए जाएं। तेज वॉकिंग, गार्डनिंग और डांस भी इसके लिये पर्याप्त हैं।

3. बोन डेंसिटी टेस्ट :

अगर अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता है या ज़्यादा जोखिम वाले समूह में हैं, तो डॉक्टर से बात करके बोन डेंसिटी टेस्ट कराएं। यह एक सरल और दर्द रहित परीक्षण होता है, जिससे हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिलती है।

4. दवाएं :

कभी-कभी डॉक्टर हड्डियों को होने वाले नुक़सान को कम करने और हड्डियों की डेंसिटी में सुधार लाने के लिए दवा देते हैं। ये दवाइयां प्रभावशाली हो सकती हैं, पर इनके फ़ायदों और साइड-इफ़ेक्ट्स के बारे में डॉक्टर से पूछ लें।

5. स्वस्थ जीवनशैली :

हड्डियों के स्वास्थ्य में जीवनशैली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह केवल ऑस्टियोपोरोसिस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी है। इसलिए संतुलित आहार लें, चुस्त रहें एवं धूम्रपान और शराब के सेवन का त्याग कर दें। इससे ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने और इससे पीड़ित लोगों को स्वस्थ बनाने में काफी मदद मिलेगी।

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