सत्यजीत सत्यार्थी
दुनिया तेज रफ़्तार से पूंजीवाद के गिरफ्त में जा रही है। यह सफल रहा तो आने वाले समय में एक दिन में काम के घंटे को 12 से बढ़ाकर 18 किया जाएगा। फिलहाल 8 घंटे को 12 घंटे करने का षड्यंत्र है। पूंजीपतियों के लिए अच्छा है लेकिन काम करने वालों को सिर्फ़ काम करना पड़ेगा और उसका व्यक्तिगत जीवन ख़त्म हो जाएगा और जब किसी का व्यक्तिगत जीवन ख़त्म हो जाता है तो वह आनंदित नहीं रह पाता। समाजवाद काम के घंटे को 18 से 8 पर लाया और सप्ताह में एक दिन छुट्टी लेकिन अब इतिहास को वापस उस जगह ले जाने का प्रयास है जहां कामगार को सिवाए शोषण और दो पैसे के कुछ नहीं मिलेगा और उस स्थिति को जीने के लिए वह अभिशप्त होगा।
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