राहुल गांधी और सतपाल मलिक के वार्तालाप में ये बात आई कि लोगों ने अब प्रिंट मीडिया और इलैक्ट्राॅनिक मीडिया पर भरोसा करना बन्द कर दिया है और सोशल मीडिया ही वर्तमान में विपक्ष की आवाज़ है । फिर ये बात भी कही गई दोनों द्वारा कि सोशल मीडिया पर भी उन जैसे ( राहुल गांधी – सतपाल मलिक जैसे ) की आवाज़ को दबा दिया जाता है ।
यह सच ही है । इसका बड़ा कारण है कि सोशल मीडिया को ऑपरेट करने के लिए कहीं ना कहीं किसी जगह जमीन पर तो खड़ा होना ही पड़ता ही है और वो जमीन किसी ना किसी देश की सरकार के अन्तर्गत होती है और उस सरकार के कायदे-कानून मानने ही पड़ते हैं । और कायदे-कानून सदा से ही सत्तासीन लोगों के हित में ही काम करते हैं । इसलिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म सरकार के नियंत्रण में तो रहेगा ही ।
मगर जो लोग राहुल गांधी या सतपाल मलिक जैसे महत्वपूर्ण नहीं हैं वे भी आजकल दावा करते हैं कि उनकी रीच कम कर दी गयी है ।
ये केवल एक फैशनेबल बयान है । सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और लाखों या करोडों लोग एक साथ काॅम्पिटीशन में हैं एक – दूसरे का ध्यान आकृष्ट करने में । हर कोई चाहता है कि वो चाहे किसी का लिखा पढ़े या ना पढ़े , उसे सब पढ़ें । यह किसी बहुत अच्छे लेखक के लिए तो हो सकता है , साधारण सोशल मीडिया यूज़र के लिए संभव नहीं है । रीच कम कर दिये जाने का रोना सबसे अधिक वो रोते हैं जिन्होंने कम काॅम्पिटीशन के समय कुछ कामयाबी पा ली थी और अब बदले हुए परिदृश्य की सच्चाई को पचा नहीं पा रहा । यदि आप चाहते हैं कि लोग आपको पढ़ें तो आप भी लोगों को पढ़ें और कोई प्रतिक्रिया देते रहें ताकि एल्गोरिथम आपके संबंध को याद रख सके । मगर इसमें बहुत समय आपको सोशल मीडिया पर बिताना होगा ।
यदि ऐसा नहीं कर सकते तो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को आप पे करें आपकी पोस्ट को अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी यही चाहते हैं और इसीलिए हर सोशल मीडिया पर सक्रिय व्यक्ति को प्रोफेशनल मोड में जाने की सलाह देते हैं ।
सोशल मीडिया भी अन्य मीडिया की तरह व्यापारिक उपक्रम है , यह ना भूलें : ना वो सरकार से झगड़ा मोल लेगा और ना वो मुफ़्त में सेवा करेगा ।
IF YOU ARE GETTING SOMETHING FOR FREE , YOU ARE THE PRODUCT.
उपरोक्त स्वर्णिम वाक्य को कभी ना भूलें ।