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इजराइल और अमेरिका का विश्व स्तर पर बहिष्कार करने की जरूरत 

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,मुनेश त्यागी

      फिलिस्तीन इसराइल संघर्ष में मानवीयता और अंतरराष्ट्रीय कानून की सारी हदें पार हो गई हैं।इजरायल अब लगातार और अंधाधुंध तरीकों से गाजा पट्टी में बिना किसी रोक-टोक के बम बरसा रहा है। इजरायल के हमलों में अभी तक 8000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 3300 से ज्यादा अबोध बच्चे और 2000 से ज्यादा निर्दोष औरतें शामिल हैं। इस युद्ध को लेकर यूएनओ के जनरल सेक्रेटरी मिस्टर गुटेरेस ने कहा है कि वर्तमान इजरायली फिलिस्तीन संघर्ष हवा में पैदा नहीं हुआ है। यह एक दिन की बात नहीं है, इसके पीछे एक बहुत बड़ी पृष्ठभूमि है। यूएनओ के 140 देशों ने मांग की है कि फिर फिलिस्तीन इजरायली संघर्ष में तुरंत युद्ध विराम होना चाहिए।

       माना की हर देश की तरह इजराइल को अपनी रक्षा का अधिकार है मगर उसे फिलिस्तीन की जमीन हड़पने का कोई अधिकार नहीं है, निहत्थी फिलिस्तीनी जनता का, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार करने का कोई अधिकार नहीं है। इस युद्ध में इजरायल ने मानवता के उसूलों की, मानवाधिकारों की और अंतरराष्ट्रीय कानून की सारी धज्जियां उड़ा दी हैं। इजरायल ने गाजा पट्टी में वाहन, सड़क परिवहन, बिजली, पानी, दवाई, ईंधन और इंटरनेट की सुविधाएं बंद कर दी हैं, इलाज की तमाम सुविधाएं बंद कर दी हैं, अस्पतालों में रोशनी और ऑक्सीजन नहीं है, बच्चे इंक्यूबेटर में पड़े हुए हैं जहां पर ऑक्सीजन नहीं है और इजरायल ने उन्हें मौत के गर्त में धकेल दिया है ।

     ये सारी जानकारियां इसराइल को समर्थन कर रही साम्राज्यवादी ताकतों जिनमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली शामिल हैं, सबको मालूम हैं। मगर इसके बावजूद भी अमेरिका इसराइल को अस्त्र-शस्त्र और लड़ाकू विमान दे रहा है, उसके द्वारा पिछले पिछत्तर साल से किये जा रहे फिलीस्तिनियों के दमन, नरसंहार और उनकी जमीन हड़पने को खुला समर्थन दिया जा रहा है और अब तो रिपोर्ट आ रही है कि अमेरिका के सैनिक फिलिस्तीन के पड़ोसी देशों पर हमले कर रहे हैं। सीरिया से इस तरह के हमले की रिपोर्ट आ रही हैं। इन हमलों की भयावहता और बर्बरता को लेकर मीडिया का रोल बहुत निराशाजनक और अफसोसजनक है। वह इन हमलों की बर्बरता की जानकारी पूरी दुनिया को नहीं दे रहा है।

       स्थिति यहां तक खराब हो गई है कि इसराइल ने यूएनओ के पर्यवेक्षकों को गाजा पट्टी में प्रवेश करने से मना कर दिया है। उसने इंटरनेट भी बंद कर दिया है, ताकि इंटरनेट के द्वारा फिलिस्तीनी गाजा पट्टी में इजरायल द्वारा की जा रही हमलों की तस्वीरें पूरी दुनिया के सामने ना आ सके और गाजा पट्टी के लोग फिलिस्तीन इजरायली शैतानी का शिकार बने रहें और गाजा पट्टी में हमलों के शिकार फिलीस्तीनी इंटरनेट के युग में “इंटरनेट अंधेरे” में रहें।

       हालात यहां तक भी खराब है कि इजरायल रात के अंधेरों में भी फिलिस्तीनियों पर हमले करके उन्हें मौत के घाट उतार रहा है। यह सब अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार निर्दोष बच्चों, महिलाओं और निहत्थे लोगों पर हमले नहीं किये जा सकते, रात को हमले नहीं किया जा सकते और हमलों के दौरान प्रभावित इलाकों की बिजली, पानी और इलाज की सुविधा बंद नहीं की जा सकती।

       मगर इसराइल बिना किसी खौफ के, यह सब कर रहा है और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को बिना किसी रोक-टोक और खौफ के, रौंद रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि साम्राज्यवादी लुटेरों का नेता अमेरिका, उसकी पीठ पर बैठा हुआ है, उसे हथियार दे रहा है, सैनिक दे रहा है, इसी सैन्य सहायता और समर्थन की वजह से इसराइल बैखौफ होकर, बिल्कुल बेरहम, निर्मम और बर्बर तरीके से निर्दोष फिलिस्तीनियों पर हमला कर रहा है, बच्चों महिलाओं को मौत के घाट उतार रहा है।

       यह कितने कमाल की बात है कि फिलिस्तीनियों को उनके देश से निकाल दिया गया है, उन्हें अपनी फसलें उगाने का अधिकार नहीं है, खेती करने का अधिकार नहीं है, अपने मकान बनाने का अधिकार नहीं है, उन्हें अपनी सैना रखने का अधिकार नहीं है, उनसे अपने खेत और अपनी जमीनों के सारे अधिकार इसराइल ने छीन लिए हैं। उनकी जमीन हड़प ली है, उनके सारे संसाधनों पर कब्जा कर लिया है, उन्हें पिछले 75 साल से अपमानित बेइज्जत किया गया है, मारा गया है, उनकी आवाज दबाई गई है और उन्हें अपने होलो कास्ट का शिकार बनाया गया है, उनका नरसंहार किया गया है और आज एक करोड़ से ज्यादा फिलिस्तीनी बेघर होकर लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, इराक, मिश्र आदि देशों में शरणार्थी बनने को मजबूर होकर रह गए हैं और कमाल की बात यह है कि इन फिलीस्तीनियों में मुस्लिम, ईसाई और यहूदी भी शामिल हैं।

      आश्चर्यजनक रूप से, इस युद्ध में मोदी का समर्थन इजरायल के साथ है। वह इसका मुख्य समर्थक बना हुआ है। मोदी सरकार ने गुपचुप तरीके से फिलिस्तीन के समर्थन की, आजाद फिलिस्तीन की, एक स्वतंत्र और सार्वभौमिक वतन की, फिलिस्तीनियों के अपने राष्ट्र की मान्यताओं को लगभग नकार दिया है। अप्रत्यक्ष रूप में हम देख रहे हैं कि मोदी सरकार अमेरिका और इजरायल की पिछलग्गू बन गई है। उसने नेहरू, इंदिरा, अटल बिहारी वाजपेई और मनमोहन सिंह सरकार और वामपंथियों की फिलिस्तीनियों के स्वतंत्र मुल्क की नीति को अधर में लटका दिया है।

      हमारा मानना हैं कि इस विवाद और युद्ध को संतोषजनक और न्यायपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए भारत सरकार खुलकर फिलीस्तिनियों के समर्थन में आए, खुलकर और बेखौफ होकर उनके स्वतंत्र और सम्प्रभू राष्ट्र की मांग करें, बच्चों, औरतों और निर्दोष लोगों पर हमले बंद करने और तुरंत युद्ध विराम की मांग की अगुवाई करे और पूरी दुनिया का आह्वान करें कि यह युद्ध तत्काल रूप से बंद होना चाहिए, फिलिस्तीनियों को उनका स्वतंत्र देश मिलना चाहिए, उन्हें अपनी मातृभूमि मिलनी चाहिए, अपना वतन मिलना चाहिए और इजराइल फिलिस्तीनों की अवैध रूप से कब्जाई गई पूरी की पूरी जमीन को वापस करें और उसका पूर्ण और प्रभावी नियंत्रण फिलिस्तीनियों को हैंड ओवर करे। 

     और हम तो यह भी कहेंगे कि भारत सरकार को इस मामले में पूरी दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए। पहले ही दुनिया के अधिकांश देश जिनमें रुस, चीन, ईरान, इराक, ब्राज़ील और एशिया के लगभग सभी देश शामिल हैं, उनके साथ मिलकर, पूरी दुनिया का आह्वान करना चाहिए और इसराइल और अमेरिका पर दबाव डालना चाहिए कि वे युद्ध को तथा तत्काल बंद करें और यूएनओ के समस्त प्रस्तावों समेत दो राष्ट्रों के सिद्धांतों को स्वीकार कर लागू करें।

      हमारा यह भी सुझाव है कि इसराइल को युद्ध से रोकने के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि पूरी दुनिया और अरब देश उसका आर्थिक रूप से बहिष्कार करें, उसे तेल और पैट्रोल डीजल ना दे, उसकी चीजों को, उसके सामान को ना खरीदें, उसका राजनीतिक, आर्थिक और बाजार के रूप में पूर्ण रूप से बहिष्कार कर देना चाहिए, तभी जाकर इजरायल और अमेरिका को उनके आक्रमणकारी और युद्धोन्मादी कदमों को पीछे खींचने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इसके अलावा इजराइल और अमेरिका के युध्दोन्मादी, आक्रमणकारी और फिलिस्तीनियों की जमीन को कब्जाने के अभियान को रोकने का और कोई साधन दुनिया के पास नहीं रह गया है।

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