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 *हाथ उठाओ, किस-किस को ‘जॉब’ मिला?*

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(निरुक्त भार्गव)

घनघोर चर्चाएं और दावे हैं कि म.प्र. कभी ‘बीमारू’ राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) की श्रेणी में गिना जाता था. अब वो राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों और पैमानों पर भी उत्कृष्ट स्थिति में पहुंच चुका है. शायद इसके पीछे ‘औद्योगिक विकास’ मुख्य कारक रहा होगा? जाहिर है इस तरह के अनुकूल वातावरण के चलते प्रदेश में भारी मात्रा में निवेश भी आया होगा? कुशल, अकुशल या अर्ध-कुशल लोगों और खासकर के युवा हाथों को तथाकथित प्राइवेट सेक्टर में भर-पल्ले जॉब मिले होंगे?

 व्यतीत 10 सालों में मध्यप्रदेश सरकार और उसके कारिंदों ने ‘इन्वेस्टर्स समिट’ के नाम से इंदौर, मुंबई और खाड़ी देशों में बहुत शूं-शां की है. औद्योगिक इकाइयों में धन लगाने के लिए काफी सारे तुतम्बे किए गए हैं. आंकड़ों के अनुसार, राज्य सरकार ने पिछले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे में $15.4 बिलियन से अधिक का निवेश किया है.

 राज्य में 1,20,000 एकड़ औद्योगिक भूमि बैंक है. पिछले वर्षों में इसने एसईजेड और विशिष्ट सेक्टर पार्क जैसे एसईजेड पीथमपुर, क्रिस्टल आईटी पार्क, तमोट और ग्वालियर में प्लास्टिक पार्क, लॉजिस्टिक्स पार्क शिवपुरी, विक्रम उद्योगपुरी, उज्जैन, स्पाइस पार्क, छिंदवाड़ा आदि विकसित किए हैं. इसके अतिरिक्त, छिंदवाड़ा में एक बहु-उत्पाद एसईजेड प्रस्तावित है.

 ये राज्य दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के प्रभाव क्षेत्र में आता है और इसने इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के साथ पीथमपुर-धार-महू, रतलाम-नागदा, शाजापुर-देवास और नीमच-नयागांव जैसे औद्योगिक और निवेश क्षेत्र विकसित किए हैं. ये राज्य भारत में स्थापित होने वाले बारह जापानी औद्योगिक टाउनशिप में से एक की मेजबानी करता है.

 रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश ने औद्योगिक निवेश में 7.2 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर पांचवां स्थान हासिल किया है. मध्यप्रदेश के 51 जिलों को 7 औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन) में विभाजित किया गया है जिनका मुख्यालय भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, रीवा और सागर में कागज़ों पर है.

 उज्जैन की विक्रम उद्योगपुरी लगभग 30 किमी के दायरे में स्थापित है और अब तक 29 औद्योगिक फर्मों ने अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए डीएमआईसी के साथ समझौता किया है. इन इकाइयों का निर्माण 275.778 एकड़ भूमि पर 1987.17 करोड़ रुपये के निवेश से किया जाना है. अगले दो-तीन सालों में 6466 लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है.

 हर दो वर्षों में इसी मध्यप्रदेश की भूमि पर सरकार ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट’ की मेजबानी करती है.  ये व्यापार सम्मेलन राज्य के विकास के लिए घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए आयोजित किया जाता है. 2019 में इंदौर में तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा ‘मैग्नीफिसेंट एमपी समिट’ आयोजित किया गया था, इसके बाद क्या हुआ…?

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