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*किशोरावस्था : क्रैश डाइट से बचिये, मिल सकते हैं गंभीर नतीजे*

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        ~डॉ. गीता शर्मा

एक दिन बेटी ने बताया कि स्कूल में उसकी एक दोस्त प्रेयर के दौरान बेहोश हो गई। उस बच्ची से टीचर के बात करने पर पता चला कि वह पिछले कुछ दिनों से क्रैश डाइट पर थी। इन दिनों बड़ों के साथ-साथ बच्चे ख़ास कर टीनएजर भी वजन घटाने के लिए कई तरह के प्रयास करते रहते हैं।

     इसमें डाइट पर कंट्रोल करना भी शामिल होता है। पिछले कुछ वर्षों से फिटनेस फ्रीक वेट लॉस के लिए क्रैश डाइट शब्द खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। जबर्दस्त मांग को देखते हुए बाजार में भी कई अलग-अलग तरह के क्रैश डाइट उपलब्ध हैं।

    ये तेजी से वजन घटाने का दावा करते हैं। हम डॉक्टर्स इस तरह की डाइट के बारे में चेतावनी देते हैं कि ये अन्हेल्दी डाइट हो सकते हैं। इसका टीनएज बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

*आहार में सभी पोषक तत्वों का होना जरूरी :*

      आहार शब्द का तात्पर्य भोजन के प्रकार और मात्रा से है, जिसे कोई व्यक्ति खाता है। एक स्वस्थ आहार में आमतौर पर विभिन्न खाद्य समूहों के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। क्रैश डाइट तेजी से वजन घटाने का वादा करता है।

     इसके लिए कई अलग-अलग खाद्य पदार्थों या खाद्य समूहों को बाहर कर दिया जाता है। इसलिए क्रैश डाइट के कारण अव्यवस्थित ढंग से खान-पान, एनोरेक्सिया या बुलीमिया जैसे खान-पान संबंधी डिसऑर्डर होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

*क्या है क्रैश डाइट ?*

   क्रैश डाइट डाइट प्लान के अनुसार भोजन लेना है। आम तौर पर आहार से विशिष्ट खाद्य पदार्थों और कभी-कभी संपूर्ण खाद्य समूहों को बाहर कर दिया जाता है।

      इससे कई आहार न के बराबर खाए जाते हैं। कभी-कभी क्रैश डाइट से शरीर को ठीक से काम करने के लिए जरूरी पोषण मिलना भी मुश्किल  हो जाता है।

     क्रैश डाइट के कारण वजन तो तुरंत घटने लगता है, लेकिन शरीर अस्वस्थ भी हो सकता है। ये आहार अक्सर एक विशिष्ट डाइट प्लान का पालन करने के लिए कहते हैं जो आमतौर पर लिए जा रहे आहार से बहुत अलग होता है।

      सेलिब्रिटी अक्सर क्रैश डाइट को बढ़ावा देते हैं। लेकिन क्रैश डाइट का पालन करना जोखिम भरा हो सकता है। वे फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

*क्या हो सकते हैं इसके जोखिम?*

     किशोरावस्था के दौरान शरीर तेजी से विकसित होता है। इसका मतलब यह है कि टीन्स को पोषक तत्वों की ज़रूरतें बढ़ गई हैं, जो उनके आहार द्वारा पूरी की जानी चाहिए।

     क्रैश डाइट या खाने की सनक का पालन करने से इन जरूरतों को पूरा करना अधिक कठिन हो जाता है।

     क्रैश डाइट के कारण गंभीर स्वास्थ्य परिणाम भी हो सकते हैं। इसके तहत खान-पान पर बहुत अधिक प्रतिबंध लगाना, आहार की गोलियां या सप्लीमेंट का अधिक उपयोग करना, कैलोरी गिनना भी होता है।

     क्रैश डाइट लेने से हर व्यक्ति को ईटिंग डिसऑर्डर नहीं होता है, लेकिन कुछ टीनएजर को हो सकता है।

*कुपोषण :*

कुपोषण तब होता है जब आहार में पर्याप्त विटामिन और मिनरल नहीं मिलते हैं। इसके कारण शरीर का विकास विशेष रूप से मांसपेशियों और हड्डियों का विकास रुक सकता है।

    मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकता है। इसके कारण डीहाइड्रेशन, कब्ज़, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, लो एनर्जी महसूस करना, कमज़ोरी और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है।

*हार्मोनल चेंज :*

    बहुत अधिक वजन कम होने से प्यूबर्टी गेन करने में देरी हो सकती है। पीरियड रुक सकता है। यह हार्मोन के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। बाद में प्रेगनेंसी में भी मुश्किल आ सकती है।

*मूड चेंज :*

क्रैश डाइट में पोषक तत्वों की कमी के कारण मूड स्विंग, एंग्जाइटी, घबराहट पैदा हो सकते हैं। इससे थकान भी महसूस हो सकती है। कंसंट्रेशन और फोकस में समस्या हो सकती है।

*क्या हैं बचाव के उपाय?*

     शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिए क्रैश डाईट नहीं लें। पौष्टिक खाद्य पदार्थों – जैसे हेल्दी फैट, फल, सब्जियां और होल ग्रेन न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि वजन घटाने में मदद भी करते हैं।

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