(झंडों पै नैं परो उंगरिया गिन लईयो-वोटर )
-सुसंस्कृति परिहार
बुंदेलखंड दबंगों और सामंती तबकों के शिकंजे में आज तक कैद है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक स्त्री अत्याचार और दलित उत्पीड़न मौजूद रहा है।यही वजह थी कि फूलन देवी को बंदूक उठाना पड़ी।लगता है फूलन देवी के बाद अब बुंदेलखंड की नारी आतताई सरकार के विरुद्ध कमर कस के वीरांगना दुर्गावती और लक्ष्मी बाई बनने तैयार है।इस अत्याचार के दमन हेतु प्रजातांत्रिक दायरे में कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं को दबंगों के खिलाफ उतार कर उन पर जो विश्वास दर्शाया है वह फलीभूत होता नज़र आ रहा है।उनके अंदर कांग्रेस ने एक चिंगारी प्रज्ज्वलित की है वे चुनावी मैदान में परेशानियों से घिरी हुई हैं किंतु एक आग उनके दिल में है जो उन्हें दबंगों से चुनाव लड़ने में हौसला अफजाई कर रही है।
बात रहली विधानसभा से शुरू करते हैं जहां इंजीनियर ज्योति पटेल का मुकाबला भाजपा के आठ बार विधायक मंत्री गोपाल भार्गव से है। अफ़सोसनाक ये उन्हें गढ़ाकोटा में पार्टी कार्यालय खोलने में विलंब हुआ। वजह उन्हें भय के साए में डूबे लोगों ने मकान देने में आनाकानी की ।गढ़ाकोटा में कांग्रेस का एक भी झंडा नज़र नहीं आता।यही हाल कमोवेश रहली का है।प्रथम दृष्टया तो लगता है रहली विधानसभा पूरी तरह भार्गवमयी है किंतु जब लोगों खासतौर पर चुप रहने वाली घूंघट में चेहरा छुपाए महिलाओं से बात होती है वे साफ कहती हैं ‘काए बे हमेसाई बनें रैहें’ उनके घरों पर भाजपा के दो दो झंडे लगे थे।एक बीड़ी मजदूर महिला कहती है बिड़ी गिनावें पांच मील दमोह जाने पड़त है हमाई समस्या अब बिन्नी जोति ही निपटाहें।क्षेत्र के पुरुष तो बिल्कुल मौन धारण करें हैं।एक गरीब खेत की बांगड़ लगा रहा था जब उससे पूछा गया भैया भार्गव को फिर जिता रहे हो क्या वह भाजपा का गमछा लपेटे था उसने बांगड़ में दो भाजपाई झंडे भी लगा रखे थे।उसने कहा झंडों में नैं परौ उंगरियां गिन लईयो। मैं चकित रह गई।मतलब ऊपर कुछ और अंदर कुछ। मुझे ज्योति पटेल की बात पर यकीन हो गया था जो पूरे दावे से जीत के प्रति आश्वस्त हैं।लगा घरों पर लगे झंडों के नीचे एक शांत गंभीर लहर चल रही है ।
यही हाल झंडों का लगभग दबंग मंत्री जी भूपेन्द्र सिंह राजपूत के क्षेत्र खुरई का था। कांग्रेस का झंडा बमुश्किल या तो कांग्रेस की प्रचारक गाड़ी में नज़र आया या कांग्रेस पार्टी के नटराज टाकीज के पिछवाड़े खुले मैदान में स्थित कार्यालय में नज़र आते हैं । यहां उग्रवादियों की तरह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा लगातार 151में पकड़ने की ख़बरें मिली। इसलिए इने गिने प्रचारकों के साथ ही रक्षा सिंह राजपूत कांग्रेस के साथ नज़र आते हैं उनको भी दबोचने की धमकियां मिल रही हैं और पकड़ा धकड़ी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। वहां बताएं जानकारी के अनुसार अब तक हजारों लोगों को इस तरीके से चुनाव प्रचार से रोका गया। इसलिए रक्षा महिलाओं को साथ लेकर प्रचार में सक्रिय हैं और विवाद से बचना चाहती है।उसने अपने दबंग प्रतिद्वंद्वी भूपेंद्र सिंह की एक सभा में पहुंचकर लोगों से वोट भी मांग लिया और भूपेंद्र सिंह से आशीर्वाद भी मांगा।जिससे उसकी राजनीतिक शालीन समझ का पता चलता है।इस घटनाक्रम के बाद यहां माहौल बदलना शुरू हुआ है।इस क्षेत्र में जो काम हुए उसमें रोजगार गुजरात प्रदेश से लाए लोगों को मिला है ऐसा बेरोजगार बताते हैं। कार्यालय में पीड़ितों की बड़ी संख्या मिली जो रक्षा के साथ अंदर अंदर काम कर रहे हैं।कुछ गांवों में युवक बताते हैं भाजपा का झंडा लगाए लोग कांग्रेस का काम कर रहे हैं।यह उत्पीड़ित क्षेत्र भी लगता है बदलाव का मन बना चुका है।ऐसी स्थितियों में रक्षा की जीत से इंकार नहीं किया जा सकता।
तीसरी महत्वपूर्ण सुरक्षित सीट पर भाजपा के महेश राय वर्तमान विधायक के साथ निर्मला सप्रे का मुक़ाबला है पिछला चुनाव महेश राय कांग्रेस से कम मतों से जीते थे। इस बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला है लेकिन पार्टी एकजुट है जिसका फायदा निर्मला सप्रे को मिलता नज़र आ रहा है निर्मला 2013के चुनाव में चूंकि कांग्रेस प्रत्याशी थीं इसलिए उनके पास चुनावी अनुभव भी है। यहां महेश राय का आतंक भी है किंतु निर्मला अपनी जिस कुशल रणनीति और मेहनत से चुनाव लड़ रही हैं उसे देखकर जनता कांग्रेस के साथ जुड़ती जा रही है। यहां भी झंडों से आकलन मुश्किल है।हर घर पर दोनों पार्टियों के झंडे शान से फहरा रहे हैं।अंदर की बात जनता के दिलों में है।
चौथी सागर जिले की महत्वपूर्ण सीट सागर है जहां जेठ का अनुज बहू से मुकाबला है। वे हैं भाजपा विधायक दो बार रहे शैलेन्द्र जैन और उनके भाई सुनील जैन की पत्नी निधि ।निधि आचरण अखबार की मैंनेजिंग काम के साथ, ख़बरों के चयन में सहभागी तथा सामाजिक संगठनों से जुड़ीं हैं। राष्ट्रीय राजनीति को भली-भांति समझती है।वे कांग्रेस की पुरानी कार्यकर्ता भी है। यहां का चुनाव पहले हल्की मानसिकता से लिया गया जेठ के आगे बहू कैसे जीत पाएगी किंतु चुनाव चरम पर आते आते मानसिकता में जबरदस्त बदलाव आया है वह सड़कों पर आसानी से देखा जा सकता है महिलाओं की बड़ी तादाद ,पिछला कांग्रेस का वोट और कांग्रेस वापसी की ख़बरों ने निधि की वोट को बहुत बढ़ा दिया है।निधि ने विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर घर में दस्तक दी है।उधर शैलेन्द्र के खिलाफ लोगों का एक संदेश भी, यह है दो बार का विधायक यदि मंत्री बनता तो बात थी निधि के बारे में जैन समाज में खासतौर से ये चर्चाएं हैं निधि यदि विजयी होती हैं तो अल्पसंख्यक कोटे से वे मंत्री ज़रुर बनेंगी।यह फेक्टर भी यहां काम कर रहा है।जैन मुनियों की कांग्रेस निष्ठा का लाभ भी निधि को मिलेगा।
कुल मिलाकर यदि सागर जिले की इन चार विधानसभा सीटों पर ये महिला उम्मीदवार आ रही हैं तो कांग्रेस का यह एक सफल प्रयोग तो होगा ही साथ ही साथ लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं के लिए नए द्वार खुलेंगे। दबंगों के बीच झंडों डंडों से दूर उंगलियों की जीत एक मिसाल कायम करेगी सुनिश्चित लगता है।