सुडान में गृहयुद्ध जारी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुडान के अर्धसैनिक बल और उसके सहयोगी अरब मिलिशिया के लड़ाकों ने सुडान के युद्धग्रस्त क्षेत्र दारफुर के एक शहर में तोड़फोड़ की। युद्ध में अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। बता दें, सुडानी सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच कई महीनों से युद्ध चल रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर के अंत में सऊदी अरब में दोनों पक्ष साथ आए थे। बावजूद इसके आरएसएफ दारफुर में आगे बढ़ गया और पूरे शहर और आस-पास के इलाकों पर कब्जा कर लिया। इस वजह से अमेरिका और सऊदी की अध्यक्षता में हुई मध्यस्थता की पहली बैठक विफल हो गई। सूडानी डॉक्टर यूनियन के प्रमुक सलाह टूर ने कहा कि आरामदाता में कई दिनों तक अर्धसैनिक बलों ने हमला किया था, जिसके बाद उसने एक सैन्य अड्डे पर कब्जा कर लिया। सेना बेस से भाग गई थी और दर्जनों सैनिक घायल हो गए थे।
सूडान में जारी हिंसा की वजह क्या है?
हिंसक घटनाओं की जड़ें तीन साल पहले हुए तख्तापलट से जुड़ी हैं। दरअसल, अप्रैल 2019 में एक विद्रोह के बीच सैन्य जनरलों द्वारा लंबे समय से शासन कर रहे निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। तब से सेना एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है। सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंद्विता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है। ताजा झड़प की वजह ये है कि सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अर्द्धसैनिकल बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
भारत ने सूडान हिंसा पर क्या प्रतिक्रिया दी?
कुछ महीने पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा था कि खार्तूम में हालात बेहद चिंताजनक हैं और भारत स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। वहीं, एक भारतीय की मौत पर जयशंकर ने कहा कि वे इसे लेकर काफी दुखी हैं और दूतावास परिवार को सारी मदद मुहैया कराने की कोशिश में है। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा था कि वह भारतीय नागरिक की मौत से आहत हैं। भारतीय दूतावास आगे की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए पीड़ित परिवार और चिकित्सा विभाग के संपर्क में है।