डॉ. गीता शर्मा
उम्र बढ़ने खासकर बुजुर्गों में जोड़ो में दर्द होना आम समस्या होती है। अक्सर हाथों, पैरों, कूल्हे, घुटनों और बैकबोन में भी जोड़ों का दर्द होता है। इसके कारण हड्डियां स्टिफ हो जाती हैं। दर्द के कारण कभी-कभी जलन या एनी समस्याएं भी महसूस हो सकती हैं। उम्र बढ़ने के कारण बोन डेंसिटी कम होने लगती है।
इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। एक्सरसाइज की कमी और खराब पोषण की वजह से भी जोड़ों में दर्द होता है। नेचुरोपैपैथी अपनाकर जोड़ों के दर्द को कम किया जा सकता है।
*क्यों होता है जोड़ों में दर्द?*
गठिया या अर्थरायटिस जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकती है. ऑस्टियोआर्थराइटिस में दर्द, जकड़न और सूजन होती है। विशेष रूप से हाथों, कूल्हों और घुटनों में परेशानी आम है। अर्थरायटिस के अन्य रूप जैसे कि गाउट, रुमेटीइड अर्थरायटिस और ल्यूपस भी जोड़ों के दर्द में योगदान दे सकते हैं।
फाइब्रोमायल्जिया, लाइम रोग और बोन कैंसर जैसी बीमारियां जोड़ों की परेशानी को बढ़ा सकती हैं। चोट लगने पर भी जोड़ों में दर्द हो सकता है।
*नेचुरोपैपैथी कैसे काम करती है?*
जॉइंट पेन और स्टिफनेस को कम करने के लिए नेचुरोपैपैथी की मदद ली जा सकती है। उपचार में मुख्य रूप से केयर के तरीकों पर ध्यान दिया जाता है।
इसमें आहार, जीवनशैली में बदलाव, फिजिकल एक्टिविटी, वजन नियंत्रण और खानपान में बदलाव खासकर प्लांट बेस्ड फ़ूड और हर्बल मेडिसिन का उपयोग किया जाता है। इसमें होम्योपैथी, ट्रेडिशनल चीनी चिकित्सा और एक्यूपंक्चर को भी शामिल किया जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा या नेचुरोपैपैथी जॉइंट मूवमेंट में सुधार करने और प्रभावित क्षेत्र में सूजन को कम करने के लिए मालिश और स्ट्रेचिंग जैसी तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है।
*जॉइंट पेन कम करने के लिए नेचुरोपैथी में उपाय :*
1. वजन नियंत्रण
नेचुरोपैथी में जॉइंट पेन को कम करने के लिए सबसे पहले वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दिया जाता है। स्वस्थ वजन बनाए रखना सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है।
अतिरिक्त वजन से जोड़ों, खास करके घुटनों, कूल्हों और पैरों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। वजन कम करने से गतिशीलता में सुधार हो सकता है। दर्द कम हो सकता है। जॉइंट को और ज्यादा नुकसान होने से रोका जा सकता है।
*2. हॉट और कोल्ड थेरेपी :*
हॉट और कोल्ड ट्रीटमेंट से काफी राहत मिल सकती है। गर्म शॉवर, इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट और हीटिंग पैड स्टिफनेस को कम करते हैं।
कोल्ड थेरेपी में आइस पैक का उपयोग किया जाता है। इससे दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।
*3. एक्यूपंक्चर :*
इस पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति का उद्देश्य शरीर में ऊर्जा संतुलन बहाल करना है। इस पद्धति में बारीक सुइयां एनर्जी चैनलों को उत्तेजित करती हैं।
इससे प्राकृतिक दर्द निवारक एंडोर्फिन रिलीज होता है। पर अगर आप डायबिटीज जैसी किसी समस्या से पीड़ित हैं , तो आपको इस उपाय से बचने की जरूरत है.
*4. योग :*
जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग सबसे अधिक असरदायक है। योग मांसपेशियों की ताकत, लचीलेपन और गतिशीलता में सुधार करता है। वारियर योगा पोज और डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज जैसे योग आसन जोड़ों को मजबूत कर सकते हैं।
*5. फूड और सप्लीमेंट्स :*
नेचुरोपैथी में आहार के माध्यम से भी जॉइंट पेन में आराम पहुंचाने का काम किया जाता है। कुछ खाद्य पदार्थ और सप्लीमेंट जोड़ों की ताकत बढ़ा सकते हैं और दर्द को कम कर सकते हैं।
एंटी इनफ्लेमेटरी एंथोसायनिन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, जैतून का तेल, विटामिन C और हल्दी युक्त ब्लूबेरी सप्लीमेंट जोड़ों की परेशानी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
*ध्यान रहे :*
कोई भी एक उपचार सभी के लिए एक सा काम नहीं करता। इसलिए अपनी स्थिति के अनुसार आपको किस उपाय के लिए जाना चाहिए, इस बारे में विशेषज्ञ से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए।
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