अग्नि आलोक
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*इतने निराश करने वाले नहीं हैं परिणाम,जितने बताए जा रहे हैं*

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*कांग्रेस के लिए स्थिती उतनी भी बुरी नही हैं ,जितनी दिखाई जा रही है*

दीपक अहुलुवालिया 

जैसा कि अपेक्षा थी , चुनाव‌ परिणाम आशानुरूप नही रहे । इससे धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक समाजवादी मूल्यों के हामी लोगो मे निराशा है ।सारी गोदी और सोशल मीडिया आज हवा से बातें कर रही है । जीत को महान जीत और हार को महान हार बताया जा रहा है । थोडा ठहर कर समझते हैं , क्या स्थिती वाकई इतनी बदहाल है जितना दिखाया जा रहा है , या कि यह हमारे हौंसलो को पस्त करने की मनोवैज्ञानिक चाल । मैने थोडे सी मेहनत से आंकडे जुटाए हैं , जो परिणामों की संख्यात्मक विश्लेषण करते हैं । भले ही बडे रूप मे प्रभावी दिखता हो , पर फासला थोडा ही है । बात अच्छी लगे तो आगे बढाएं ।

5 राज्यों की कुल 678 सीटों पर हुए चुनाव मे भाजपा 342 यानि 50.44 फीसदी सीटें जीतने मे कामयाब हुई है । जबकि कांग्रेस 235 यानि की 34.66 जबकि अन्य दल 101 सीट अर्थात 14.89 सीट । लगभग आधी आधी सीटे भाजपा और विपक्ष के बीच बंट गयी है , जबकि इसे देखा और दिखाया ऐसे जा रहा है मानो भाजपा और मोदीजी के मुकाबले कोई नही । विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी अभूतपूर्व रूप से सवालों की राडार पर‌ हैं । 2018 को देखें तो इन्ही राज्यों मे कांग्रेस 304 सीटों पर काबिज थी जबकि भाजपा 199 । देखा जाए तो कांग्रेस ने जहां कुल जमा 69 सीटे गवांई है वहीं भाजपा ने 143 सीटें बढाई है ।

वोट शेयर की बात करें तो यहां नफा़ नुक्सान अधिक हुआ नजर नही आता है , जितना कि सीटों के मामले मे हुआ । 2023 मे इन पांच राज्यों मे कांग्रेस को औसत 36.45 फीसदी और भाजपा को 31.09 फीसद वोट शेयर हासिल‌ हुआ है । यहां कांग्रेस भाजपा से कहीं आगे है । जबकि 2018 मे यही वोट शेयर कांग्रेस के पक्ष मे 36.33 तथा भाजपा का 25.41 फीसदी था । यानि की कांग्रेस का मत प्रतिशत पिछली बार कि तुलना मे मामूली रूप से 0.12 फीसदी बढा , जबकि भाजपा ने इसमे 4.7 फीसदी का इजाफा किया । यहां चुनावी प्रबंधन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है ।

प्राप्त मतों की बात करें तो मिजोरम को छोड कर बाकी चार राज्यों की स्थिती इस प्रकार है । 2023 मे इन चार राज्यों मे कांग्रेस ने 4,86,94,561 मत प्राप्त किये है जो भाजपा के 4,76,75,853 मतों के मुकाबले 10,18,708 मत ज्यादा हैं ।  2018 मे इन्ही चार राज्यों मे कांग्रेस को 4,15,50,437 वोट मिले थे जबकि भाजपा को 3,55,53,111 वोट मिले थे । यहां कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना मे अपने मतो मे 71,44,124 मत 17.19 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ बढाए हैं , वहीं भाजपा के लिए यह संख्या 1,21,22,742 है 34.09 की वृद्धि दर के साथ । फिर से बढत को कायम रखने मे प्रबंधन की कमी नजर आती है ।

कांग्रेस के पक्ष अभी यह आंकडा और बढेगा जब मिजोरम के मतों का आंकडा सामने आ जाऐगा , जहां कांग्रेस के 20.72 फीसदी मतों की तुलना मे भाजपा को 5.06 फीसदी मत ही मिल रहा है ।यानि जनता तो कांग्रेस को वोट करने मे कमी नही छोड रही , कांग्रेस ही तकनीकी रूप से उसे हैंडल नही कर पा रही है । इसे नेताओं को समझना होगा ।

राज्यवार स्थिती इस प्रकार रही है ।

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मध्यप्रदेश 

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2023 – कांग्रेस – कुल मत प्राप्त 1,71,88,236 (40.45%) सीट 66 । भाजपा – कुल मत प्राप्त 2,06,58,587(48.62%) सीट-163

2018 – कांग्रेस -कुल मत प्राप्त 1,55,95,696(40.89%) सीट 114 । भाजपा – कुल प्राप्त मत – 1,56,43,623(41.02%) सीट -109

राजस्थान 

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2023- कांग्रेस – कुल प्राप्त मत 1,56,67,947(39.53%) सीट 69 । भाजपा – कुल प्राप्त मत 1,65,24,787(41.69%) सीट115

2018- कांग्रेस – कुल प्राप्त मत 1,39,35,201(39.3%) सीट 99 । भाजपा – कुल प्राप्त मत 1,37,57,502(38.08%) सीट-73

छतीसगढ

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2023- कांग्रेस -कुल प्राप्त मत 66,02,586(42.23%) सीट 35 

भाजपा-कुल प्राप्त मत 72,34,968(46.27%)सीट 54

2018- कांग्रेस -कुल प्राप्त मत 61,36,429(43.0%) सीट 68

भाजपा -कुल प्राप्त मत 47,01,530(33%) सीट 15

तेलंगाना 

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2023- कांग्रेस -कुल प्राप्त मत 92,35,792(39.4%) सीट 64

भाजपा -कुल प्राप्त मत 32,57,511(13.9%) सीट 8

2018- कांग्रेस -कुल प्राप्त मत 58,83,111(28.4%) सीट19

भाजपा -कुल प्राप्त मत 14,50,456(6.98%)सीट 1

मिजोरम (प्राप्त मतों का आंकडा नही)

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2023- कांग्रेस – वोट प्रतिशत 20.72% सीट 1 , भाजपा वोट प्रतिशत 5.06 सीट 2

2018- कांग्रेस -वोट प्रतिशत 30.1% सीट 4 , भाजपा वोट प्रतिशत 8.0% सीट 1

खैर , कांग्रेस के लिए स्थिती उतनी भी बुरी नही हैं ,जितनी दिखाई जा रही है । कांग्रेस सरकारों की संख्या भले ही कम हो गयी हो , पर लोगो ने उसे नकारा नही है , ना ही वोट देना छोडा । रणनीतिक रूप से थोडा और चौकस होने की जरूरत है ।हमारा दायित्व बनता है हम उस नैरेटिव को समझें जो हमारे जेहन मे बैठाया जा रहा है । जीत या हार को देखना चाहिए , पर उसी आकार मे जिसमे वो है । अतिरेक मे आकर अपनी हार और किसी की जीत को बडा आंक कर हौंसले छोटे नही करने चाहिए । एक तथ्यात्मक आकलन विश्लेषण आवश्यक है , इससे उन कमियों का पता लगता है , जिन्हे सुधार की जरूरत होती है । वास्तव मे इनकी पहचान और काम कर लिया जाए तो हालात बदलने के लिए यही काफी होती है ।

लोकसभा मे धीर गंभीर यशस्वी शांत ऋषि भाव चेहरे पर लिए मोदी बैठे हैं , हालांकि उनका बनावटीपन छिपाए नही छिप रहा ।पीछे चुने हुए सांसद तालियां पीट कर तीसरी बार मोदी सरकार के नारे लगा रहे है । मोदीजी भी एकमात्र आता काम , यानि कि भाषण देना , दोगुने जोश के साथ दे रहे है । जीत हार पहले भी हुई पर ऐसा दंभ कभी किसी ने नही दिखाया । इन चुनावों को सेमिफाईनल मान कर फाईनल के लिए हतोत्साहित ना हों । बल्कि इस थोडे अंतर को पाटने के लिए कमर कस लें । वक्त थोडा है ।

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