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ईवीएम वहम या मतदाताओं के साथ छलावा

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सुसंस्कृति परिहार

इन दिनों जब से भाजपा को तीन  राज्यों में बड़ी जीत हासिल हुई है तभी से पहले दबे लहज़े में और अब खुलकर ईवीएम पर इल्ज़ाम लगाए जा रहे हैं यह पहली बार नहीं हुआ है 2019 में जब 2014 से अधिक मत भाजपा को तब भी संशय की स्थिति थी तब अमित शाह की भविष्यवाणी 300 पार सही सिद्ध हुई थी।ऐसा कैसे  संभव हो सकता है।जनता को सांप सूंघ गया था वैसी ही मनोदशा लगभग आज उन तीन राज्यों की है जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं। मिजोरम और तेलंगाना में क्षेत्रीय दलों का बर्चस्व था इसलिए वहां किसी तरह की कोई हरकत नहीं हुई।

 तेलंगाना में तो ईवीएम से चुनाव सम्पन्न हुए वहां कांग्रेस की बम्फर जीत हुई। ठीक वैसा ही हाल कांग्रेस का इन तीन राज्यों में भी था लेकिन वहां ईवीएम है हैक थी इसलिए अब बहुतेरे समझदार लोग इस बात पर संदेह कर रहे हैं जो उचित भी लगता है।

मतदाता धीरे-धीरे सुलग रहे हैं उनके मन में आक्रोश है वे भी खुलकर बोलने लगे हैं।सबसे संदेहास्पद बात यह है कि जिन क्षेत्रों में गड़बड़ियां हुईं उनकी सूचना बराबर चुनाव आयोग को दी गई लेकिन उसने एक जगह भी ना तो चुनाव के दौरान जांच की और ना ही कहीं पुनर्मतदान का ऐलान किया। दूसरी बात यह है कि डाक मत पत्रों में मध्यप्रदेश में कांग्रेस 199सीटों पर भाजपा से बहुत आगे चलती है जिसमें मतदान  सिर्फ़ कर्मचारी ही नहीं,दिव्यांग और 80 वर्ष के ऊपर के वृद्ध जन किए थे लेकिन जब ईवीएम खुलती है तो मामला उलट जाता है प्रत्येक मशीन भाजपा को जिताती जाती है यह जीत इस बार 30-35हज़ार से 1लाख से ऊपर तक चली जाती है।यह उलटफेर  सिद्ध करता है यह हैकिंग के ज़रिए वोट ट्रांसफर का मामला है।हम देख ही रहे हैं किस तरह साईवर क्राईम एक छोटे से मोबाइल से हो रहे हैं।

सबसे बड़ी बात तो ये है कि भारत के तमाम विपक्षी राजनैतिक दल ईवीएम हटाने की बात चुनाव आयोग से करते हैं वहीं सिर्फ सत्तारुढ़ भाजपा ही ऐसा दल है जो इसका विरोध नहीं करता और बिकाऊ चुनाव आयोग सत्ता के खिलाफ कैसे जा सकता है इससे यह स्वत: सिद्ध हो जाता है कि ईवीएम के ज़रिए गड़बड़ी करके भाजपा मनमाफिक जीत हासिल कर लेती है।

यहां यह बात भी समझने की ज़रूरत है कि विदेशों में एक दो देशों को छोड़कर सभी महत्वपूर्ण बड़े देश बेलेट से वोटिंग करवाते हैं।पहले वहां भी ईवीएम प्रयुक्त हुई लेकिन शिकायत मिलने पर इसे बेन कर दिया गया।एक हमारा देश है जहां हज़ारों शिकायतों को चुनाव आयोग नज़र अंदाज़ कर देता है और गर्व से हम कह देते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत है।

इस बार लगता है यह अहम् मुद्दा बन चुका है जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में उसी रात लाया गया जिस दिन परिणामों से लोग असहज हो गए थे। हालांकि इसके पूर्व सुको ने अपने आदेश में वीवीपेट द्वारा कुछ पर्चियां निकालने के आदेश दिए थे वे बहुत सीमित थे इसलिए धांधली चलती रही।अच्छा हो ईवीएम बेन हो यदि फिर भी इसे चालू रखा जाए तो सौ प्रतिशत पर्चियों की व्यवस्था हो तथा उन्हें भी ईवीएम की गिनती के साथ ही गिना जाए।

कुल मिलाकर मतदाता के मत का दुरुपयोग रोकने सुको को तमाम विपक्षी दलों के रुख को देखते हुए सख्त कदम उठाने चाहिए।ईवीएम निश्चित रुप से वहम नहीं बल्कि प्रजातांत्रिक पद्धति के साथ एक बहुत बड़ा छलावा और मज़ाक है।इस पर गौर नहीं किया गया तो जनता निकट भविष्य में अपने सभी अधिकार खो देगी और दीन-हीन बनकर एक तानाशाह की मर्जी की गुलाम होती चली जाएगी।

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