अग्नि आलोक
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“कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज भी व्यक्तिगत परीक्षण,मानवीय अनुभव से कई गुना पीछे “

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वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक नवीन टेक्निक है जो 1651 से आरंभ हुई,1920 में रोबोट, फिर मेट्रोपॉलिक, चेस, वोबोट, पेट डॉग, किस्मत रोबोट से होकर आज पर्सनल मेडिसिन तक पहुंची। प्रिवेंटिव केयर, जेनेटिक्स के आगमन के बाद भी व्यक्तिगत परीक्षण, संप्रेक्षण, पेशेंट से व्यक्तिगत वार्तालाप आज भी पहले सोपान पर है। मशीनें कभी भी मानव दिमाग का स्थान नही ले पाएंगी, मानवीय हितों की रक्षा भले ही कर सकती है।

उक्त उदगार एमजीएम एलुमनी एसोसिएशन एवं आयओजीसी द्वारा हेल्थ केयर सेशन में *आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस* व *चिकित्सकीय संचार की शक्ति विषय पर दिल्ली के डॉ रवि गौर और  डॉ पूनम भार्गव ने व्यक्त किए। अध्यक्षता डॉ संजय दीक्षित ने की।

स्वागत भाषण डॉ शेखर राव ने दिया, विषय प्रवर्तन डा विनीता कोठरी , डा भारत रावत ने किया। संचालन डा संजय लोंढे ने किया।डा अनुरूप दत्ता, डॉ सुनीता वर्मा, डा एम गुजराल, डा एस नैय्यर, डा रायसिंघानी, डा राकेश गुप्ता, अर्पित कोठरी विशेष रूप से उपस्थित थे।

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