अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

आगे आगे देखिये होता है क्या….छह महीने में बहुत कुछ बदलने वाला है….

Share

दिलीप कुमार

जब भजनलाल शर्मा का एलान हो रहा था, तब यूपी के ओबीसी नेता जी हाँ ओबीसी के नेता केशव मौर्य की मोदी के साथ बंद कमरे में मीटिंग चल रही थी. फिर शाह से मुलाकात हुई. सूत्रों को कानो-कानो ख़बर नहीं हुई.

नितिन गडकरी, शिवराज को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से पहले ही विदाई दे दी गई थी… राजनाथ सिंह प्रतीक बनकर रह गए हैं. बीजेपी कार्यकारिणी में मोदी, शाह, नड्डा के बाद भूपेंद्र यादव सबसे ज्यादा, सीनियर हैं. अब आप समझ सकते हैं, पार्टी में बगावत करने की मजाल किसी में भी नहीं है, क्योंकि बिना ताकत आप लड़ नहीं सकते. अगली बार नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह को टिकिट ही नहीं देंगे तो इसमे कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. ज़रा खुद से एक बार पूछिए कि जहां – जहां भाजपा के मुख्यमंत्री हैं, क्या किसी का कोई राजनीतिक वजूद एक विधायक से ज्यादा है?? क्या किसी सीएम को पूरा देश तो छोड़िए उनका राज्य जानता है? बिल्कुल नहीं जानता. शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया दोनों को दरकिनार कर दिया गया है, भाजपा के अंदर नेताओ में एक खौफ़ बैठ गया है, कि मोदी जी कुछ भी कर सकते हैं कुछ भी.. ये इसलिए किया जा रहा है, कि ग़र बीजेपी लोगों के जेहन में आए तो केवल और केवल दो चेहरे ही लोगों के जेहन में होने चाहिए, और गुजरात लॉबी इसमे अभी तक सफल भी हुई है. 

अब भाजपा में जनाधार वाला ताकतवर एक ही नेता है, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ‘महंत आदित्यनाथ योगी’ इन्हें संघ ने सीएम बनाया था, ये दिल्ली दरबार की पसंद नहीं थे, योगी की अपनी पहिचान कद्दावर नेता, लोकप्रियता, अपनी स्टाइल में काम के लिए जाने जाते हैं.. केंद्र की सुनते नहीं है, राजनीतिक पण्डित पीएम के रूप में नाम उछालते हैं,इसलिए योगी जी शाह – मोदी को खटकते रहते हैं.

केशव मौर्य का अचानक मिलना महज इत्तेफ़ाक नहीं है, हार कर भी डिप्टी सीएम बनने वाले मौर्य जी शाह के करीबी, योगी सरकार में दो लोगों के प्रतिनिधि हैं. सीएम योगी की हर मीटिंग से नदारत रहते हैं. या यूं कहिए उनकी अवहेलना करते हैं.. योगी आदित्यनाथ को सब ख़बर है, ग़र हमें है तो उन्हें भी होगी. मुझे लगता है, गुजरात लॉबी जब शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे को किनारे लगा सकती है, तो एक रिस्क ही तो लेना है, वैसे भी 80 सीटों का फैसला योगी जी पर गुजरात लॉबी करना नहीं चाहती… क्योंकि योगी जी भी पांसा उल्टा पार सकते हैं..राजनीति बहुत टेढ़ी होती है, यहां व्यक्तिगत रूप से कोई किसी का मित्र नहीं होता. इस लड़ाई में योगी जी थोड़ा पिछड़ते हुए दिख रहे हैं, हालांकि योगी अगर नहीं पिछड़े तो गुजरात लॉबी के लिए खतरे की घंटी है… 

छह महीने में बहुत कुछ बदलने वाला है…. आगे आगे देखिये होता है क्या

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें