जयपुर कमिश्नरी के पास शहीद स्मारक पर राजस्थान के लगभग सभी जिलों से आये हजारों युवाओं के बीच आक्रोश को देखा जा सकता है। शहीद स्थल पर धरने पर बैठे युवाओं में दूर-दूर से आये लोगों में महिलाओं की भी भागीदारी देखी गई। सभी लोगों का एक ही सवाल है कि पिछले 2 वर्षों से उनके द्वारा गांव-गांव में जन-जन तक राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को पहुंचाने का काम किया जाता रहा है।
इस काम के लिए हालांकि इंटरमीडिएट होना ही पर्याप्त माना गया था, लेकिन अधिकांश युवा स्नातक, पोस्टग्रेजुएट और बीएड पास लोग थे। बता दें कि 25 दिसंबर, 2023 को राजस्थान के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के निदेशक भंवर लाल बैरवा की कलम से कार्यालय आदेश में दो लाइन का आदेश जारी हुआ था, “राज्य में वर्ष 2021-22 से संचालित किये जा रहे “राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम” को दिनांक 31 दिसंबर, 2023 से तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है।”
जाहिर सी बात है यह काम मुख्यमंत्री स्तर से निकले निर्देश का परिणाम था। अगले ही दिन 26 दिसंबर तक यह बात राजस्थान में कार्यरत सभी 5,000 कर्मियों तक बिजली की गति से पहुंच गई, और आज 27 दिसंबर को भीषण ठंड के बावजूद ये युवा सरकार से जवाब मांगने राज्य की राजधानी में पहुंच चुके हैं।
धरनास्थल पर मौजूद युवाओं का सवाल है कि शासन द्वारा इस आदेश को 25 दिसंबर को सरकारी अवकाश के दिन जारी किया गया, जब क्रिसमस डे के अवसर पर लोग खुशियाँ मना रहे थे। मात्र 10,000 रुपये प्रतिमाह के stipend पर काम करने वाले इन 5,000 युवाओं के लिए राजीव गांधी युवा इंटर्नशिप कार्यक्रम के बंद कर दिए जाने के बाद भविष्य अंधकारमय हो गया है।
जाहिर सी बात है यह काम मुख्यमंत्री स्तर से निकले निर्देश का परिणाम था। अगले ही दिन 26 दिसंबर तक यह बात राजस्थान में कार्यरत सभी 5,000 कर्मियों तक बिजली की गति से पहुंच गई, और आज 27 दिसंबर को भीषण ठंड के बावजूद ये युवा सरकार से जवाब मांगने राज्य की राजधानी में पहुंच चुके हैं।
धरनास्थल पर मौजूद युवाओं का सवाल है कि शासन द्वारा इस आदेश को 25 दिसंबर को सरकारी अवकाश के दिन जारी किया गया, जब क्रिसमस डे के अवसर पर लोग खुशियाँ मना रहे थे। मात्र 10,000 रुपये प्रतिमाह के stipend पर काम करने वाले इन 5,000 युवाओं के लिए राजीव गांधी युवा इंटर्नशिप कार्यक्रम के बंद कर दिए जाने के बाद भविष्य अंधकारमय हो गया है।
युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री भजन लाल ने पद ग्रहण करते समय वादा किया था कि पिछली सरकार की किसी भी योजना को बंद नहीं किया जायेगा, लेकिन अब कहा जा रहा है कि भाजपा के विचार में पिछली गहलोत सरकार द्वारा एक पार्टी विशेष के कार्यकर्ताओं की भर्ती के लिए यह प्रोग्राम चलाया गया था। युवाओं में इस बात को लेकर भारी रोष और नाराजगी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि वे किसी पार्टी के लिए नहीं बल्कि केंद्र सरकार और राज्य की योजनाओं को फील्ड स्तर पर जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे थे। अशोक गहलोत की सरकार ने इस कार्यक्रम की शुरुआत 2021 में की थी।
धरनास्थल पर मौजूद एक युवा का का कहना था, “हम साधारण परिवार के लोग हैं। सरकार में चाहे राज्य या केंद्र सरकार की योजनायें हैं, हमारा काम उन्हें आम लोगों तक घर-घर तक पहुंचाने का रहा है। 25 दिसंबर की रात को जब हमें पता चला कि राज्य सरकार द्वारा अब 31 दिसंबर तक ही हमारी सेवाएं ली जाएंगी तो उस समय भी हम केंद्र की विकसित भारत संकल्प यात्रा के कार्यक्रम को जन-जन तक ले जा रहे थे।”
एक अन्य युवा का कहना था, “शासन की कलम के एक झटके में 5,000 युवा रोड पर आ चुके हैं, इसी से हमारा परिवार चल रहा था। सरकार से निवेदन है कि हमें तो सिर्फ सरकार के जनकल्याण के कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने के अपने काम से मतलब रहा है, वो चाहे किसी की भी सरकार हो। हमने केंद्र में मोदी जी की योजनाओं को भी घर-घर ले जाने का काम किया था। अब तो डबल इंजर की सरकार आ गई है, जिससे हमने बहुत सारी उम्मीदें लगा रखी थीं। चुनाव के दौरान इस सरकार ने 2।5 लाख रोजगार देने की बात की थी। हमें लगा था कि हमें भी स्थायी होने का मौका मिलेगा, लेकिन इस सरकार ने तो हमें एक झटके में ही काम से हटा दिया है।”
एक अन्य युवा ने बताया, “जो लोग पंचायत ऑफिस और जिला कार्यालय तक नहीं पहुंच सकते थे, उनके कामों को हम उनके घर तक पहुंच कर संभव बना रहे थे। यही नहीं केंद्र की विकसित भारत संकल्प यात्रा का कार्यकम भी लागू करा रहे थे। लेकिन भजन लाल सरकार ने रोजगार देने के बजाय 5,000 लोगों के रोजगार को छीन लिया है।”
शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे इन युवाओं में से कई ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यदि राजीव गांधी के नाम से सरकार को आपत्ति है तो वह इस कार्यक्रम को अटल योजना या दीन दयाल योजना के नाम से भी जारी रख सकती है, हमें तो काम करने से मतलब है। इन युवाओं का साफ़ कहना है कि वे किसी पार्टी विशेष का प्रचार नहीं कर रहे थे।
कई युवाओं का यह भी कहना था कि भाजपा सरकार को चाहिए था कि युवाओं को रोजगार के नए-नए अवसर दिए जायें, लेकिन सरकार ने तो जो कुछ हजार लोगों को रोजगार मिला था, उसे भी छीनने का काम किया है। एक अन्य युवा के अनुसार, “सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार तो जिला स्तर पर जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों तक किया जाता है। हम तो बेहद छोटे स्तर के लोग हैं। हमारे काम में वृद्धा माताओं के पेंशन को चालू कराने, पालनहार योजना, प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना में केवाईसी कराने जैसे अनेक कार्य शामिल हैं। सरकार से आम आदमी को जोड़ने और योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति से जोड़ने से ही प्रदेश और देश की उन्नति संभव है। हम ढाणी तक जाते हैं, जहां सरकार का कोई दूसरा नुमाइंदा नहीं पहुंचता है। राजस्थान के सांख्यकीय एवं आर्थिक विभाग के कामों में जन्म, मृत्यु एवं विवाह पंजीयन के काम को भी हमारे द्वारा किया जाता है। यहां तक कि हाल में विकसित भारत संकल्प यात्रा में भी हमारी सेवाएं ली जा रही थीं। इसके अलावा जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना जैसे कई केंद्र की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का काम इस कार्यक्रम के द्वारा किया जा रहा था।”
क्या है ‘राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम’?
अशोक गहलोत सरकार द्वारा वर्ष 2021 में राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत सरकार द्वारा योग्य युवाओं का चयन कर उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में 6 महीने तक इंटर्नशिप का अवसर दिया जाता था। इंटर्नशिप की अवधि पूरी होने पर इन युवाओं को प्रमाण पत्र भी दिया जाता था। यदि इनमें से किसी उम्मीदवार का प्रदर्शन अच्छा रहा तो इंटर्नशिप की अवधि को अधिकतम दो साल तक बढ़ाने का प्रवधान था।
योजना बंद करने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्यक्त की कड़ी प्रतिक्रिया
अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया योजना बंद करने के ऐलान पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट जारी कर उन्होंने कहा है, “राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम में सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे करीब 5,000 युवाओं की सेवाएं समाप्त करना उचित नहीं है। ये युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जागरुक हैं एवं सरकार की काफी मदद कर रहे हैं। नई सरकार को इस योजना के नाम से परेशानी थी तो राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की भांति नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कर सकती थी। जबकि प्रदेशवासी जानते हैं कि पिछले कार्यकाल में बीजेपी सरकार द्वारा अस्थायी तौर पर लगाए गए पंचायत सहायकों को हमारी सरकार ने स्थायी कर उनका वेतन बढ़ाया था। ऐसी ही सकारात्मक सोच से नई सरकार को भी राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम को जारी रखना चाहिए।”
अशोक गहलोत ने पीएम मोदी के राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान दिए गये आश्वासन को लेकर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि, “चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि बीजेपी सरकार बनने पर प्रदेश में कांग्रेस सरकार की किसी भी योजना को बन्द नहीं किया जाएगा। लेकिन पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुछ फैसलों से राज्य के सरकारी कर्मचारियों के मन में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई हैं। केन्द्रीय कर्मचारियों के मन में भी NPS को लेकर चिंताएं हैं। प्रधानमंत्री एवं राज्य की BJP सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि OPS को लेकर उनकी क्या सोच है? केन्द्र सरकार एवं अन्य राज्यों की सरकारों को कर्मचारियों की भावना के अनुरूप निर्णय करना चाहिए।”
दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसारा ने भी भजन लाल शर्मा सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डोटसारा का सवाल है कि राज्य में भाजपा को सरकार में आये हुए 25 दिन बीत जाने के बाद भी मंत्रिमंडल का गठन क्यों नहीं किया जा रहा है, क्योंकि राज्य में कई जरुरी काम रुके हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पिछली सरकार द्वारा शुरू किये गये राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम को बंद किये जाने की निंदा की है।
कुलमिलाकर देखें तो राजस्थान में भाजपा सरकार का आगाज राज्य की आम जनता के लिए खास उत्साहजनक नहीं रहा है। भाजपा की जीत के अगले ही दिन जयपुर में एक विधायक द्वारा अंडा-मीट की दुकानों और खोमचों को तत्काल प्रभाव से हटाने का हुक्मनामें का वीडियो वायरल होने से लेकर करणी सेना के प्रमुख की घर के भीतर घुसकर दिन-दहाड़े हत्या की घटना से स्तब्ध कर दिया था। लेकिन अब बगैर कैबिनेट गठन के भारी बेरोजगारी से त्रस्त राज्य में नए रोजगार की घोषणा के बजाय 5,000 युवाओं को एक झटके में बर्खास्त कर जता दिया है कि सरकार की प्राथमिकता में लाखों युवाओं के लिए रोजगार मुहैया कराना नहीं है। तीनों हिंदी प्रदेशों में जीत की हैट्रिक और 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद देश में महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी जैसे मुद्दे हवा हो सकते हैं या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।