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इंदौर में पूस की रात में भी कड़ाके की सर्दी के आसार कम

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ऐसा लगता है कि मौसम भी अपना रास्ता भटक गया है।महान कहानीकार प्रेमचंद ने वर्ष 1921 में पौष माह की कड़ाके की ठंड को सहकर पूस की रात कहानी लिखी थी। तब कितनी  जबरदस्त ठंठ रही होगी, जब उनके मन में ठंड और खेत में काम करते किसान की मनोदशा को लिखने का भाव जागा था। 27 दिसंबर बुधवार से पूस या पौष माह आरंभ हो गया है, परंतु पूस की रातें ठंडी होने के आसार बहुत कम हैं। अभी तो रात्रि में गर्मी का अहसास होता है और मद्दम गति पर पंखे चलाने की मजबूरी प्रतीत हो रही है।  दिसंबर माह में अंत में पड़ने वाली ठंड तो अकल्पनीय हुआ करती थी। कोल्ड डे (10 डिग्री से न्यूनतम) के पैमाने पर पारे का जाना, सीवियर कोल्ड डे जो कोल्ड से भी ठंडे होते हैं, उस स्तर पर ठंड का पहुंचना अभी कठिन ही लग रहा है। 

दिसंबर इतना बेवफा नहीं था…
शायराना अंदाज में कहें तो कह सकते हैं कि ‘दिसंबर तुम तो इतने बेवफा नहीं थे’। पता नहीं मौसम को क्या हुआ, जो ठंड में भी गर्म वातावरण कर किस बात का बदला ले रहा है। खेतों में गेहूं और चने की फसलें ठंड और उसमें गिरती ओस और चने के नन्हे-नन्हे पौधों  तथा गेहूं की बालियों पर चमकती नन्ही-नन्ही बूंदें सुनहरे मोतियों का अहसास कराने के लिए बेताब हैं। 

ऐसा लगता है कि मौसम भी अपना रास्ता भटक गया है। दिसंबर माह में अंत में पड़ने वाली ठंड तो अकल्पनीय हुआ करती थी। कोल्ड डे (10 डिग्री से न्यूनतम) के पैमाने पर पारे का जाना, सीवियर कोल्ड डे जो कोल्ड से भी ठंडे होते हैं, उस स्तर पर ठंड का पहुंचना अभी कठिन ही लग रहा है।  कड़ाके की ठंड नहीं पड़ने पर मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि हवाओं ने रुख बदला और ठंड रफूचक्कर हो गई है। खैर जो भी हो अभी तो गर्म वस्त्रों को आराम ही फरमा लेने दें। 

1936 में इंदौर में पारा 1.1 डिग्री पर गया था
इंदौर में 1936 में 27 दिसंबर को अभी तक का सबसे न्यूनतम पारा 1.1 डिग्री सेल्सियस  दर्ज किया गया था। अंदाज लगाया जा सकता है कि 87 साल पहले आज का दिन कितना ठंडा रहा होगा मालवा का इंदौर, उसकी कल्पना से ही ठंड लगने लगती थी। अब तो ठंड के लिए भी लोग तरसने लगे हैं। 2014 में 17 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था, यानि सीवियर कोल्ड डे था। अब ये ठंड के दिन मानों गायब हो गए हैं। इस वर्ष पूरे दिसंबर माह में न्यूनतम तापमान 20 दिसम्बर को 11.4 डिग्री सेल्सियस तक जाकर ठहर गया।  

अब इंतजार है कड़ाके की ठंड का लोग अपने घरों में हीटर, सिगड़ी और अलाव जला सकें, दूध के गर्म गर्म कड़ाव पर लोग दूध और जलेबी का स्वाद ले सकें, गजक खाकर थोड़े गर्म हो जाएं। दिसंबर की धूप सुनहरी लगा करती थी। वह भी अब कुछ समय के बाद चुभने लगती है। 

जनवरी से कहना कमी मत रखना…
दिसंबर तुम जो जा रहे हो, लेकिन जाते जाते जनवरी को कह जाना कि मेरी कमी को तुम पूरा कर देना ताकि जनमानस मुझे उलाहना न दे। यदि अमर साहित्यकार प्रेमचंद होते तो आज के लोग उनसे पूस की ठंडी रातों के गायब होने की शिकायत करते। 

पांच सालों में दिसंबर में न्यूनतम तापमान 

न्यनूतम तापमानतारीखवर्ष
11.4202023
10.12022
6.5  202021
8.0 292020
6.6 28 2019
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