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*चेक कीजिये, आप बैकबर्नर रिलेशनशिप के शिकार तो नहीं*

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        ~ अदिति शर्मा 

दो लोगों के बीच के रिश्ते को अक्सर दोस्ती का ही नाम दिया जाता है। फिर चाहे, वो दोस्ती से कुछ ज्यादा ही क्यों न हो। डेटिंग के इस दौर में प्यार को ढूंढने या तलाशने के मायने पूरी तरह से बदल चुके हैं।

    अब लोग वन पर्सन पॉलिसी की बजाए डेटिंग पार्टनर अलग और लविंग पार्टनर अलग रखते हैं। इससे बैकबर्नर रिश्तों में तेज़ी आने लगी है। यानि अब व्यक्ति प्यार के मामले में एक से ज्यादा लोगों के संपर्क में बना रहता हैं।

     इससे अगर डेटिंग पार्टनर लॉन्ग लास्टिंग रिलेशनशिप नहीं निभा पाता है, तो वह दूसरे ऑप्शंस की तरफ चला जाता है। पर भावनाओं का यह बंटवारा इतना आसान भी नहीं है। ऐसे रिश्तों में कोई न कोई पार्टनर या दोनों ही अकसर तनाव में रहते हैं। साथ ही इनमें स्थिरता भी बहुत कम होती है।

*क्या है बैक बर्नर रिलेशनशिप?*

      किसी पुराने दोस्त के साथ दोबारा से जुड़ने की संभावना को बनाए रखना बैकबर्नर रिलेशनशिप कहलाता है। बैकबर्नर उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो भले ही आपके साथ मौजूदा वक्त में किसी रिलेशनशिप में नहीं है।

    मगर संपर्क में रहने के कारण भविष्य में किसी रिश्ते में जुड़ने की संभावना हर पल बनी रहती है।

ऐसे जानें कि आप बैक बर्नर रिलेशनशिप में हैं या नहीं :

    *1. एक से ज्यादा लोगों को डेट करने को नॉर्मल बताना*

     एक वक्त में एक से ज्यादा लोगों से डेटिंग बैक बर्नर रिलेशन की ओर इशारा करता है। ऐसे व्यक्ति अपने डेटिंग पार्टनर के साथ घूमना, फिरना और सेक्सुअल रिलेशन रखने को भी नॉर्मल समझते हैं।

      हैंग आउट करना और डिनर डेटस पर जाना इनके लिए सामान्य है। अगर आप भी किसी ऐसे व्यक्ति को डेट कर रही हैं, तो आप भी बैकबर्निंग का शिकार हो रही हैं।

*2. कमिटमेंट को बंधन कहना*

      अगर आपका पार्टनर आपके साथ अपने रिलेशनशिप को लेकर किसी भी प्रकार के कमिटमेंट से डर रहा है, तो इसका अर्थ है कि आप बैक बर्नर रिश्ते में हैं।

    इसमें पार्टनर आपके संपर्क में रहना चाहता है और आपसे फ़्लर्ट भी करता है, मगर अपने रिश्ते को नाम देने से डरता है।

*3. हर चीज अपनी शर्तों पर चलाना*

    हर वक्त लोगों से घिरे रहने वाले ऐसे लोग अपने मन मुताबिक रिश्तों को निभाने में विश्वास रखते हैं। अपनी सुविधा के मुताबिक कभी लोगों से बात करते हैं, तो कभी लंबे वक्त के लिए दूरी बना लेते हैं या गायब हो जाते हैं।

   वे अपने अनुसार लोगों को डील करना जानते हैं और उन्हें कंविंस करने में भी माहिर होते हैं।

*4. अपनी मर्जी से उपलब्ध होना और गायब हो जाना*

     बैकबर्नर रिलेशनशिप का एक बड़ा संकेत यह है कि वे आपको उनकी मर्जी से उपलब्ध होंगे। जब आपको उनकी जरूरत है, तब नहीं।

    इसकी वजह है इनका एक से ज्यादा व्यक्तियों के साथ समय बिताना और उसके समायोजन में आने वाली मुश्किलें। वास्तव में इनके लिए प्राथमिकता केवल वे स्वयं होते हैं।

     ऐसे व्यक्ति अपने मन को बहलाने के लिए हर वक्त अन्य लोगों से बात करने के अवसर ढूढते रहते हैं। मकसद हल होने के बाद ये लोगों से दूर हो जाते हैं। गौर करने वाली बात ये है कि ऐसे लोगों किसी भी सिचुएशन में किसी भी कार्य के लिए प्रतिबद्ध नहीं रहते हैं यानि अन्य लोगों के समय की बर्बादी करते रहते हैं।

*5. अंतिम समय पर चीजें कैंसल कर देना*

     ऐसे लोग अक्सर लास्ट मूमेंट पर अपनी आवश्यकतानुसार प्लान कैसिंल करने से भी नहीं कतराते हैं। बाद में पार्टनर की नाराज़गी से बचने के लिए पछतावा जाहिर करते हैं।

     ये हर वक्त एक सुरक्षित जाल में लिपटे रहना चाहते हैं और लोगों को काल्पनिक दुनिया की सैर करवाने से पीछे नहीं हटते हैं।

जानें इससे होने वाले नुकसान :

   *1. तनाव :*

  लंबे वक्त तक बैक बर्निंग रिलेशनशिप में रहने से व्यक्ति तनाव का शिकार होने लगता है।

     इसके बाद वो धीरे धीरे डिप्रेशन में जाने लगता है। दरअसल, पार्टनर की ओर से कोई कमिटमेंट न मिलना मुश्किलों को बढ़ा देता है। इससे रिलेशनशिप में खोखलेपन का एहसास होने लगता है।

*2. हीन-भावना :*

   पार्टनर की ओर से बार बार डिच करना व्यक्ति के अंदर हीन भावना पनपने का कारण बनने लगता है। इससे व्यक्ति खुद को अधूरा और कमज़ोर महसूस करता है।   

    रिलेशनशिप में बार बार ऑन एंड ऑफ की स्थिति पार्टनर के प्रति मन में अविश्वास की स्थिति बनने लगती है।

*3. आत्मविश्वास खोने का डर :*

    हर पल एक व्यक्ति के बारे में सोचना जहां चेहरे पर खुशी ले आता है। वहीं उस व्यक्ति के जीवन में पार्टनर के रूप में पहचान बनाने की जगह स्टैण्ड बाए मोड पर रहना आत्मविश्वास खोने का कारण साबित होने लगता है।

     आवश्यकतानुसार बात करने और आउटिंग पर ले जाने से व्यक्ति खुद को कमतर आंकने लगता है।

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