भोपाल: ‘वक्त है बदलाव का’ नारा देने वाली कांग्रेस ने अपने संगठन में बदलाव की शुरुआत कर दी है। हाल ही में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐसे फैसले लिए हैं जिसके बाद कांग्रेस में सीनियर नेताओं के सियासी भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव में यूथ वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस ने पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे किया है। शनिवार को बड़ा बदलाव करते हुए कई राज्यों के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं जिसमें किसी भी सीनियर नेता की पसंद को मौका नहीं दिया गया है।
लोकसभा चुनाव को देखते हुए संगठन ने युवा चेहरों को आगे किया है। बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने उन नेताओं को मौका दिया है जो आलाकमान की पसंद हैं। मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ को दरकिनार किया गया है। फिलहाल इन दोनों नेताओं को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। राहुल गांधी के तीन फैसले बता रहे हैं कि मध्यप्रदेश में अब दिग्विजय और कमलनाथ के युग का अंत हो चुका है।
कौन से हैं राहुल गांधी के 5 बड़े फैसले
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने घोषणा पत्र समिति की घोषणा की है। इस समिति में मध्यप्रदेश से आदिवासी नेता ओकार मरकाम को जगह मिली है। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ को शामिल नहीं किया गया है। इससे पहले कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 5 सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति का गठन किया। जिसमें कमलनाथ और दिग्विजय को शामिल नहीं किया गया। वहीं, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को इस कमेटी में जगह मिली है।
तीसरा चौंकाने वाला फैसला था। राज्य में नए प्रभारी की नियुक्ति। शनिवार को कांग्रेस ने 12 महासचिव और प्रभारियों को नियुक्ति की। इस लिस्ट में भी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को शामिल नहीं किया गया। मध्यप्रदेश का प्रभारी भंवर जितेंद्र को सौंपी गई है। भंवर जिंतेद्र, गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं और युवा नेता हैं। सूत्रों का कहना है कि इस फैसले में राज्य के किसी सीनियर नेता की सलाह नहीं ली गई है।
प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में भी नहीं चली
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। कमलनाथ की जगह राहुल गांधी के करीबी जीतू पटवारी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जीतू पटवारी, कमलनाथ और दिग्विजय किसी भी खेमे के नहीं हैं। जीतू पटवारी की इन दोनों नेताओं से मतभेद की भी खबरें आ चुकी हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी उमंग सिंघार को सौंपी गई गई। उमंग सिंघार और दिग्विजय सिंह की अदावत पहले से ही जगजाहिर है।
मध्यप्रदेश में जब कमलनाथ की सरकार थी। उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर खुला हमला बोला था। दिग्विजय सिंह पर कई आरोप लगाते हुए उमंग सिंघार ने उन्हें माफिया कहा था। ऐसे में युवा नेताओं की नियुक्ति इस बात का संदेश दे रही है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस अब कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से ऊपर उठकर नए फैसले ले रही है।