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आम आदमी पार्टी की गुजरात-हरियाणा में दावेदारी के मायने,कांग्रेस के कंधे पर बैठकर बड़े होना चाहते हैं केजरीवाल!

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अरविंद केजरीवाल ने जब दिल्ली से आम आदमी पार्टी की राजनीतिक पारी शुरू की थी, तब उन्होंने कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंध लगाई थी। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों, दलितों-मुसलमानों का वोट बैंक पूरी तरह केजरीवाल के साथ चला गया और आम आदमी पार्टी दिल्ली की सबसे बड़ी पार्टी बन गई, जबकि कांग्रेस शून्य पर सिमट कर रह गई। यही हाल पंजाब में भी हुआ जहां कांग्रेस की अंतर्कलह का लाभ आम आदमी पार्टी को मिला। शिरोमणि अकाली दल का कुछ और कांग्रेस का लगभग पूरा वोट बैंक खिसककर केजरीवाल के साथ आ गया और वह प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में पहुंच गई। पंजाब में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हरियाणा के एक कांग्रेस नेता ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी दोबारा बहुत मजबूत हुई है। आम आदमी पार्टी भी इस जमीनी बदलाव को समझ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस को खत्म पार्टी करार देने वाले भगवंत मान अब कांग्रेस को 6 सीटें तक देने को तैयार हो चुके हैं…

लेकिन अब अपने राजनीतिक विस्तार के लिए भी आम आदमी पार्टी कांग्रेस को ही हथियार बनाना चाहती है। इंडिया गठबंधन के तले वह 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन कर रही है। 8 जनवरी को कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक के आवास पर हुई बैठक में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को दिल्ली में दो और पंजाब में छह सीटें देने का प्रस्ताव रखा है, जबकि इसके बदले में वह हरियाणा में तीन और गुजरात में पांच सीटें मांग रही है।  

आम आदमी पार्टी की तरफ से संदीप पाठक, आतिशी मारलेना और सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि दिल्ली-पंजाब में वह सत्ता में है और मजबूत स्थिति में है। वह यहां पर कांग्रेस को जगह दे रही है, तो इसके बदले में उसे गुजरात और हरियाणा में अपने लिए सीटें चाहिए। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी ने अपने लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी एक-एक सीट की मांग की है।  

दिल्ली में हम मजबूत- कांग्रेस

दिल्ली कांग्रेस कमेटी के एक नेता ने अमर उजाला को बताया कि अरविंद केजरीवाल यह गलतफहमी फैलाना चाहते हैं कि दिल्ली में वे मजबूत हैं। जबकि असलियत यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली की सभी सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी और आम आदमी पार्टी हर जगह तीसरे स्थान पर रही थी। उनके ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। ऐसे में उन्हें यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि वे दिल्ली में मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस तीन से चार सीटों की मांग कर रही है जिसके बिना गठबंधन नहीं होगा।

पंजाब में भी मजबूत हुई कांग्रेस

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की अंतर्कलह के कारण आम आदमी पार्टी को सफलता मिल गई थी। अब पंजाब की परिस्थितियां बदल चुकी हैं। चर्चा है कि भगवंत मान सरकार प्रशासन चलाने में बुरी तरह असफल साबित हुई है, उसके अनेक नेताओं-मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। सरकार किसानों की मांगें पूरी करने में असफल रही है और किसान उसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इस बार आम आदमी लोकसभा चुनाव में जाएगी तो उसे पंजाब में संभवतः उसे एक-दो सीटों पर ही सफलता मिलेगी।

पंजाब में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हरियाणा के एक कांग्रेस नेता ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी दोबारा बहुत मजबूत हुई है। आम आदमी पार्टी भी इस जमीनी बदलाव को समझ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस को खत्म पार्टी करार देने वाले भगवंत मान अब कांग्रेस को 6 सीटें तक देने को तैयार हो चुके हैं।

अपनी स्थिति मजबूत होते देख पंजाब कांग्रेस के नेता राज्य में कोई गठबंधन नहीं चाहते। उनका कहना है कि यदि केजरीवाल से समझौता किया, तो भगवंत मान सरकार के भ्रष्टाचार और असफलता की कीमत उन्हें चुकानी पड़ेगी। नेता के मुताबिक, यदि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिलेगी, जिसकी संभावना बहुत ज्यादा है, तो इससे विधानसभा चुनाव में भी उनकी दावेदारी मजबूत होगी। जबकि आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने से पार्टी उसी तरह समाप्त हो जाएगी, जिस तरह वह दिल्ली में हुई है। जबकि यदि कांग्रेस के सहारे आम आदमी पार्टी ने कुछ सीटें पा लीं, तो उनकी जड़ें हमेशा के लिए मजबूत हो जाएंगी।

‘हरियाणा-गुजरात में पैर जमाने का अवसर देना खतरनाक’

कांग्रेस नेता के अनुसार, इस समय शराब घोटाले में फंसे अरविंद केजरीवाल की हालत सबसे खराब दौर में है। इस समय उन्हें कोई सहारा देना उन्हें संजीवनी देने जैसा होगा। हरियाणा में आम आदमी पार्टी अपनी पूरी ताकत के बाद भी पांव जमाने में सफल नहीं हो पाई है। जबकि गुजरात में उसे पांच सीटों पर सफलता मिल गई थी, लेकिन अब वहां भी वह कमजोर हो गई है। ऐसे में आम आदमी पार्टी को हरियाणा-गुजरात में सीटें देना कांग्रेस के लिए आत्मघाती कदम होगा।  

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी अपने लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी एक-एक सीट मांग रही है। इसी मांग के कारण बैठक में सीटों के समझौते पर अंतिम मुहर नहीं लग सकी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के कंधे पर बैठकर दूसरे राज्यों में अपना विस्तार करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस सहयोगियों के सामने ज्यादा झुक कर ही उत्तर प्रदेश और बिहार में कमजोर हुई है। इस समय भी सीटों के समझौते में सहयोगी दल महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में उसे दबाकर ज्यादा सीटें हासिल करना चाहते हैं, लेकिन अब वह यही गलती नहीं दोहराएगी। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि उनका सभी सहयोगी दलों के साथ सम्मानजनक समझौता होगा और इसके दम पर वे भाजपा को हराएंगे।

  

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