नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक की अग्रिम जमानत याचिका पर गुरुवार को बंगाल सरकार से जवाब मांगा है। निसिथ प्रमाणिक के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ कर रही थी। कोर्ट में शुक्रवार को राज्य की तरफ से अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत की जानी है। शुक्रवार की सुनवाई से पहले कोर्ट ने प्रमाणिक के वकीलों से राज्य को याचिका की एक प्रति देने को कहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कलकत्ता हाई कोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ की ओर से पारित आदेश के खिलाफ अपील दायर की है। आदेश 4 जनवरी को पारित किया गया था जिसने उन्हें अंतरिम सुरक्षा देने से मना कर दिया गया था। लेकिन मामले को 22 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
प्रमाणिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी.एस. पटवालिया ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के एक सवाल के जवाब में कहा कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक कारणों से गिरफ्तारी की आशंका है क्योंकि वह पहले तृणमूल कांग्रेस के साथ थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए।
पटवालिया ने दावा किया कि प्रमाणिक के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि एक मजिस्ट्रेट ने अक्टूबर में प्रमाणिक के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था हालांकि उसे किसी भी तरह अपराध से जोड़ा नहीं जा सका था।
पीठ इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई करना चाहती थी लेकिन वकील की लगातार दलीलों पर न्यायाधीश शुक्रवार को मामले की फिर सुनवाई करने पर सहमत हो गए।
प्रमाणिक के खिलाफ वर्ष 2018 में पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के दिनहाटा पुलिस स्टेशन में हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया था। उस समय भीड़ ने तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर गोलीबारी की थी। जिसमें एक व्यक्ति को कथित तौर पर गोली मार दी गई और वह घायल हो गया। प्रमाणिक ने अपनी याचिका में कहा कि एक मजिस्ट्रेट ने मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी किया है।
प्रमाणिक पहले टीएमसी में थे बाद में फरवरी 2019 में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने 2019 में भाजपा के टिकट पर संसदीय चुनाव लड़ा था और कूच बिहार लोकसभा सीट जीती थी।
(‘द टेलीग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)