भोपाल। भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के दौरान बगावत करने वाले 35 नेताओं को 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। उनमें से दो नेता माधवसिंह डाबर और नंदराम कुशवाह सरकार में अभी भी कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा लेकर बैठे हैं। बागी नेताओं से मंत्री पद का दर्जा छीनने के लिए न तो भाजपा संगठन ने दखल दिया और न ही सरकार ने संज्ञान लिया है। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिवराज सरकार के समय निगम, मंडल, प्राधिकरण एवं बोर्ड में नियुक्त किए गए किसी भी नेता को फिलहाल नहीं हटाया है।
दरअसल मप्र वन विकास निगम के अध्यक्ष माधवसिंह डाबर ने आलीराजपुर जिले की जोबट सीट और मप्र कुक्कुट विकास निगम के उपाध्यक्ष नंदलाल कुशवाह ने निवाड़ी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। पार्टी ने बगावत के चलते 35 नेताओं को निष्कासित किया था, जिनमें डाबर और कुशवाह भी शामिल थे। चुनाव में भाजपा जोबट सीट पर हारी, जबकि निवाड़ी सीट जीती।
चूंकि प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनी है, ऐसे में फिलहाल किसी निगम, मंडल, बोर्ड एवं प्राधिकरण के पदाधिकारियों को नहीं हटाया है। इसका फायदा दोनों बागी नेताओं को भी मिला है। माधवसिंह डाबर ने बाकायदा 10 जनवरी से वन विकास निगम में बैठना शुरू कर दिया है। सरकार बनते ही दोनों नेताओं को कैबिनेट एवं राज्यमंत्री की सुविधाएं भी फिर से मिलने लगी हैं। माधवसिंह डाबर 17 जनवरी को निगम की बोर्ड बैठक में भी शामिल होंगे। खास बात यह है कि इस मामले में मप्र भाजपा संगठन ने भी चुप्पी साध रखी है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि दोनों नेताओं की जल्द ही निगम-मंडल से भी छुट्टी हो सकती है।