~ नीलम ज्योति
रावण की बेटी का उल्लेख थाईलैंड की रामकियेन रामायण और कंबोडिया की रामकेर रामायण में किया गया है, जबकि वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के रामचरित मानस में इसका उल्लेख नहीं किया गया है।
रामकियेन और रामकेररामायण के मुताबिक, रावण के तीन पत्नियों से 7 बेटे थे। इनमें पहली पत्नी मंदोदरी से दो बेटे मेघनाद और अक्षय कुमार थे। वहीं, दूसरी पत्नी धन्यमालिनी से अतिकाय और त्रिशिरा नाम के दो बेटे थे।
तीसरी पत्नी से प्रहस्थ, नरांतक और देवांतक नाम के तीन बेटे थे। दोनों रामायण में बताया गया है कि सात बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी, जिसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्स्य था। कहा जाता है कि सुवर्णमत्स्य देखने में बहुत सुंदर थी। उसे स्वर्ण जलपरी भी कहा जाता है। एक अन्य रामायण ‘अद्भुत रामायण’ में राम जी की पत्नी सीता जी को भी रावण की बेटी बताया गया है।
दशानन रावण की बेटी सुवर्णमत्स्य का शरीर सोने की तरह दमकता था। इसीलिए उसको सुवर्णमछा भी कहा जाता था। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, सोने की मछली। इसीलिए थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली को ठीक उसी तरह से पूजा जाता है, जैसे चीन में ड्रैगन की पूजा होती है
राम जी ने लंका पर विजय अभियान के दौरान समुद्र पार करने के लिए नल और नील को सेतु बनाने का काम सौंपा। राम जी के आदेश पर जब नल और नील लंका तक समुद्र पर सेतु बना रहे थे, तब रावण ने अपनी बेटी सुवर्णमत्स्य को ही ये योजना नाकाम करने का काम सौंपा था।
पिता की आज्ञा पाकर सुवर्णमछा ने वानरसेना की ओर से समुद्र में फेंके जाने वाले पत्थरों और चट्टानों को गायब करना शुरू कर दिया। उसने इस काम के लिए समुद्र में रहने वाले अपने पूरे दल की मदद ली।
रामकियेन और रामकेर रामायण में लिखा गया है कि जब वानरसेना की ओर से डाले जाने वाले पत्थर गायब होने लगे तो हनुमानजी ने समुद्र में उतरकर देखा कि आखिर ये चट्टानें जा कहां रही हैं? उन्होंने देखा कि पानी के अंदर रहने वाले लोग पत्थर और चट्टानें उठाकर कहीं ले जा रहे हैं। उन्होंने उनका पीछा किया तो देखा कि एक मत्स्य कन्या उनको इस कार्य के लिए निर्देश दे रही है।
कथा में कहा गया है कि सुवर्णमछा ने जैसे ही हनुमानजी को देखा, उनसे प्रेम हो गया। हनुमानजी उसके मन की स्थिति भांप लेते हैं और समुद्रतल पर ले जाकर पूछते हैं कि आप कौन हैं देवी ? वह बताती हैं कि मैं रावण की बेटी हूं। फिर हनुमान जी उसे समझाते हैं कि रावण क्या गलत कार्य कर रहा है। हनुमानजी के समझाने पर सुवर्णमछा सभी चट्टानें लौटा देती हैं, तब रामसेतु के निर्माण का कार्य पूरा हो पाता है।
थाई रामायण रामकियेन के अनुसार महाबली हनुमान जी के आशीर्वाद से स्वर्णमछा को एक पुत्र की प्राप्ति भी हुई थी जिसका नाम मैकचनू (मछानु) था।