प्रदीप सिंह
राम मंदिर उद्घाटन समारोह की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, समारोह में शामिल होने से मना करने वाले विपक्षी दलों की संख्या बढ़ती जा रही है।अधिकांश दलों ने सीधे तो कुछ ने इशारों में ही समारोह में शामिल होने से मना कर दिया है। दरअसल, संघ-भाजपा समर्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मोदी-योगी के इशारे पर विपक्षी दलों को आमंत्रित कर रहा था। इस आमंत्रण का अर्थ विपक्षी दलों के प्रमुखों को समारोह में बुलाना नहीं बल्कि उन्हें राम और हिंदू विरोधी साबित करना था। लेकिन अब विपक्षी दलों ने इस पूरे कार्यक्रम को संघ-भाजपा और मोदी सरकार का कार्यक्रम बताते हुए आयोजकों की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यही नहीं अधिकांश विपक्षी दलों ने समारोह में जाने से सीधे तौर पर इनकार कर दिया है।
सबसे पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आयोजन में शामिल होने से इनकार किया था। सीपीएम का तर्क था कि किसी भी सरकार या राजनीतिक दल को किसी धर्म के कार्यक्रम में शामिल होने से परहेज करना चाहिए। फिर कांग्रेस ने इसे संघ-भाजपा का कार्यक्रम बताते हुए शामिल होने से इनकार कर दिया। लेकिन अब इनकार करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। राजद, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, वंचित बहुजन आघाड़ी ने साफ तौर पर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से मना कर दिया। जबकि बहुजन समाज पार्टी, जेडीयू और कुछ दलों ने सीधे तौर पर मना नहीं किया है लेकिन उनके जाने की संभावना नगण्य है।
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता ठुकरा दिया है। इसके बाद एक बार फिर विपक्षी दलों का प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने का मामला सुर्खियों में आ गया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से मना करते हुए राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख चंपत राय को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि मुझे 22 जनवरी को अयोध्या में हो रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता मिला। इसके लिए मैं आभारी हूं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम भारत के ही नहीं, विश्वभर में फैले करोड़ों भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक हैं।
शरद पवार ने इशारों में ही अधूरे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का सवाल उठाते हुए कहा कि वह 22 जनवरी के समारोह के समापन के बाद रामलला के दर्शन के लिए जा सकेंगे। तब तक राम मंदिर का निर्माण भी पूरा हो चुका होगा।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अयोध्या जाने के बजाए कालीघाट मंदिर में पूजा अर्चना करके सर्वधर्म सद्भावना रैली निकालने का एलान किया है। यह रैली दक्षिण कोलकाता के हाजरा मोड़ से शुरू होकर पार्क सर्कस मैदान तक जाएगी। खास बात ये है कि ये रैली मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे से होकर गुजरने वाली है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से एक पत्र मिला है। लेकिन मुझे बताया गया था कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर निजी निमंत्रण भी भेजा जाएगा, जो अभी तक नहीं मिला है। सुरक्षा कारणों की वजह से एक निमंत्रण पर सिर्फ एक ही शख्स को वहां जाने की मंजूरी दी गई है। इस वजह से मैं 22 जनवरी के बाद पूरे परिवार के साथ अयोध्या जाऊंगा। जिसमें मेरी पत्नी के साथ ही मेरी मां भी शामिल होंगी।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार करते हुए कहा कि वह कार्यक्रम के बाद अयोध्या जरूर जाएंगे।
वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख एवं डॉ भीमराव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि मेरे दादा बीआर आंबेडकर ने चेतावनी दी थी कि अगर पार्टियां धर्म को देश से ऊपर रखती हैं तो हमारी आजादी एक बार फिर खतरे में पड़ जाएगी और शायद हमेशा के लिए छीन ली जाए। मेरे दादा का डर आज वास्तविकता बन गया है। संघ-भाजपा ने नस्ल को देश से ऊपर रख दिया है।
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मुझे निमंत्रण मिला है, मैं इसका स्वागत करती हूं। लेकिन अभी ये पूरी तरह से साफ नहीं है कि मैं 22 जनवरी को अयोध्या जा पाऊंगी या नहीं क्योंकि पार्टी से जुड़ी व्यस्तता है। इस संबंध में जो भी फैसला होगा, उसके बारे में बता दिया जाएगा।
राम मंदिर उद्घाटन भाजपा का “चुनावी समारोह”
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी राम मंदिर उद्घाटन के निमंत्रण पर जारी राजनीतिक विवाद पर मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस ने इस कार्यक्रम पर “कब्ज़ा” कर लिया है और इसे “चुनावी समारोह” में बदल दिया है, जिससे कांग्रेस को इसमें शामिल होना मुश्किल हो गया है।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 22 जनवरी के मंदिर अभिषेक को “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के आसपास” डिजाइन किया गया था, इसे “चुनावी” और “राजनीतिक” रूप दिया गया। उन्होंने शंकराचार्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा, “यहां तक कि हिंदू धर्म के सबसे बड़े संतों ने भी इस समारोह के बारे में अपने विचार सार्वजनिक कर दिए हैं कि वे इस समारोह के बारे में क्या सोचते हैं।”
राहुल ने कहा कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो कोई भी राम मंदिर का दौरा करना चाहेगा… हमारे सहयोगियों और हमारी पार्टियों में से… ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह समारोह में नहीं जाएंगे… हमारे लिए ऐसे राजनीतिक समारोह में जाना मुश्किल है जो भारत के प्रधानमंत्री और आरएसएस को ध्यान रखते हुए तैयार किया गया हो।”