*सुबह से दोपहर तक दासगांव में* –
*यह वो गांव है जहां 1924 में दलितों के लिए गांव के तालाब से पानी लेने की अनुमति नहीं*थी। इसके विरोध में अम्बेडकर ने महाड आंदोलन की शुरुआत इस गांव से की थी। उस गांव के साथी*आर.बी.मोरे और भी कई गांव प्रमुख ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। उस आंदोलन की स्मृति और दलितों और गरीबों को भी शिक्षा प्राप्त हो इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु स्कूल की स्थापना की गई। उन सब की याद में स्कूल में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा उस काल के स्मृति चिन्हों जिन्हें बाद में इतिहास में बड़ी चतुराई से दफन कर दिया गया,उन स्मृति चिन्हों तक रैली की गई।*
*दोपहर से रात के प्रथम प्रहर तक महाड में*
*शिवाजी की प्रतिमा पर उन्हें साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के प्रतीक के रूप में स्टेच्यू पर माल्यार्पण कर व सद्भावना और प्रेम के मराठी व हिंदी में गीत गाकर यात्रा प्रारम्भ की शहर की गलियों में प्यार – मुहब्बत के गीत गाते हुए बाबा साहेब के क्रांति स्थल जहां 25 दिसंबर 1927 को बाबा साहेब और उनके कुछ साथियों ने “मनुस्मृति” के पन्ने फाड़कर उसको जलाया था वहां पहुंच कर पहले माल्यार्पण व बाद में गीतों के साथ एक छोटी सभा का आयोजन हुआ।*
*ढलती शाम को वहां से रैली शहर के मध्य एक बगीचे में सांस्कृतिक संध्या के रूप में गीतों और नाटकों से शहर के लोगों को कबीर के ढाई आखर प्रेम के संदेश को याद दिलाया।*
विजय दलाल