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जब राजकुमार ने कहा- हम खाते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि कहीं भी खा लें…

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गुजरे जमाने की सबसे खूबसूरत और टैलेंटेड एक्ट्रेस में से एक वहीदा रहमान में  इतना गजब का टैलेंट था कि देव आनंद से लेकर अमिताभ बच्चन तक उनके साथ काम करने को हमेशा तैयार रहते थे। वहीदा रहमान ने उस जमाने के मशहूर एक्टर राजकुमार के साथ कई फिल्में कीं। इन्हीं में से एक थी उल्फत की नई मंजिलें। इसी फिल्म के दौरान एक बार वहीदा रहमान ने राजकुमार को घर पर खाने के लिए बुलाया। अपने मुंहफट अंदाज के लिए मशहूर राजकुमार वहीदा रहमान के घर खाने पर तो पहुंच गए लेकिन उन्होंने खाना नहीं खाया। ये किस्सा सलमान खान के पापा सलीम खान ने कपिल शर्मा के शो पर सुनाया था।

सलीम खान के मुताबिक, राजकुमार साहब बहुत ही इंटरेस्टिंग आदमी थे। उनकी एक फिल्म बन रही थी उल्फत की नई मंजिलें। उसमें साधना जी और वहीदा रहमान जी थीं। एक दिन वहीदा जी और साधना जी ने राजकुमार को खाने पर बुलाया। खाना लगने लगा। साधना जी ने कहा- राज साहब आइए खाना खाते हैं। इस पर उन्होंने कहा- नहीं नहीं आप लोग खाइए।

इस पर वहीदा जी ने कहा- थोड़ा सा कुछ तो खा लीजिए। ये सुनकर राजकुमार ने फिर मना कर दिया। इस पर उनसे पूछा गया कि आप खाना तो खाते होंगे न? तो राजकुमार ने अपने बेबाक अंदाज में कहा- जानी खाना तो हम खाते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कहीं भी कुछ भी खा लें।

बता दें कि कुछ साल पहले एक कार्यक्रम में महानायक अमिताभ बच्चन ने वहीदा रहमान के प्रति अपने प्यार का इजहार किया था। बिग भी ने कहा था- अगर मैं शादीशुदा नहीं होता तो वहीदा रहमान के साथ रोमांस करता। मेरे अनुसार वहीदा जी अपने जमाने की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस थीं। उनके अंदर भारतीयता, सौम्यता और निर्मलता का भाव था, जो दिल को छू लेता है।

वहीदा रहमान के फिल्म इंडस्ट्री में आने की कहानी बेहद दिलचस्प है। उनके पिता कलेक्टर थे। बचपन से ही वहीदा रहमान का रुझान नृत्य और संगीत की ओर था। पिता ने नृत्य के प्रति उनकी रुचि को पहचान कर उन्हें अपना शौक पूरा करने के लिए ना सिर्फ प्रेरित किया, बल्कि उन्हें भरतनाट्यम सीखने को कहा। बचपन में वहीदा रहमान डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन 13 साल की उम्र में उन्हें स्टेज पर भरतनाट्यम परफॉर्म करने का मौका मिला। उनके डांस की तारीफ हुई, मेडल मिला और अखबार में फोटो भी छपी। यहीं से वहीदा के जीवन की दिशा बदल गई।

वहीदा रहमान के डांस को देखकर उस समय कई फिल्म निर्माता उन्हें अपनी फिल्म में काम करने के लिए प्रस्ताव देने लगे। लेकिन वहीदा रहमान के पिता ने सभी प्रस्तावों को ये कहकर मना कर दिया कि वहीदा अभी बच्ची है।

कुछ समय बाद वहीदा रहमान के पिता की अचानक मृत्यु हो गई और घर की आर्थिक जिम्मेदारी वहीदा पर आ गई। अब फिल्मों में काम करना उनकी मजबूरी बन गई थी। पिता के एक दोस्त की मदद से वहीदा को सबसे पहले एक तेलुगु फिल्म में काम करने का मौका मिला। यह फिल्म सफल रही और वहीदा के काम को भी पसंद किया गया।

तेलुगु फिल्म हिट होने का फायदा वहीदा को मिला और उन्हें गुरुदत्त की फिल्म “सीआईडी” में काम मिल गया। सीआईडी में वैसे वहीदा का ज्यादा रोल नहीं था लेकिन उनके शानदार डांस ने सबके दिलों को छू लिया, जिसकी बदौलत उन्हें गुरुदत्त की अगली फिल्मों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम मिल गया। 

सीआईडी की सफलता के बाद फिल्म ‘प्यासा’ में वहीदा रहमान को लीड हीरोइन का रोल मिला। यह वो फिल्म थी, जिसके बाद वहीदा और गुरुदत्त के बीच नजदीकियां बढ़ी थीं। गुरुदत्त और वहीदा की फिल्म ‘कागज के फूल’ की असफल प्रेम कथा इन दोनों की लाइफ पर ही बेस्ड थी। दोनों कलाकारों ने फिल्म ‘चौदहवीं का चांद’ और ‘साहिब बीबी और गुलाम में साथ-साथ काम किया, जो बेहद कामयाब रहीं।

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