वित्त मंत्री सीतारमण ने गुरुवार को साल 2024 का अपना अंतरिम बजट पेश किया। लगातार छठी बजट और दूसरी बार अंतरिम बजट पेश करने वाली सीतारमण संसदीय इतिहास में मोरारजी देसाई के बाद दूसरी ऐसी वित्त मंत्री बन गईं, जिन्होंने एक बार से ज्यादा अंतरिम बजट पेश किया। बजट पेश किए जाने के मौके पर ज्यादातर रेड कलर फैमिली की साड़ी में दिखने वाली सीतारमण ने इस बार अपना कलर कोड तोड़ते हुए ब्लू कलर को चुना। वह रॉयल ब्लू कलर की कांथा स्टाइल की मलबरी सिल्क की साड़ी में नजर आईं। बजट पेश करने से पहले सुबह वह अपने सहयोगियों वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी व भगवत कराड के साथ फोटो खिंचवाती नजर आईं। वहीं बजट पेश किए जाने से पहले वह परंपरानुसार अपने दोनों सहयोगियों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने रायसीना हिल्स पहुंचीं। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने हाथ से मीठा खिलाकर वित्त मंत्री को शुभकामनाएं दीं।
उल्लेखनीय है कि बजट पेश किए जाने से पहले जहां कैबिनेट की मंजूरी लेनी होती है, वहीं राष्ट्रपति से भी मुलाकात होती है। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद वह सीधे संसद पहुंचीं। इस बार भी सीतारमण के हाथों में सुनहरे रंग वाले राष्ट्रीय प्रतीक से सजे लाल रंग के बहीखाते नुमा थैले में मौजूद टैबलेट में पेपरलेस बजट था। गुरुवार का बजट भाषण वित्त मंत्री का अब तक सबसे छोटा बजट भाषण था, जिसकी कुल अवधि 57 मिनट रही।
बजट के समय सदन से नदारद थे राहुल गांधी और अधीर रंजन
बजट पेश किए जाने के मौके पर जहां प्रधानमंत्री पीएम मोदी व उनकी अधिकांश कैबिनेट सदन में मौजूद दिखी तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, डीएम के टीआर बालू, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, एनसीपी की सुप्रिया सुले जैसे नेता मौजूद थे। हालांकि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में अपनी व्यस्तताओं के चलते राहुल गांधी नहीं दिखे, वहीं दूसरी ओर लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी भी नहीं थे। अंतरिम बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से शिष्टाचारगत मुलाकात की। कहा जाता है कि दोनों के बीच अंतरिम बजट के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई।
बजट भाषण में नई शब्दावली
अपने बजटीय भाषण में सीतारमण ने कुछ नए शब्दावलियों को सामने रखने की कोशिश की तो वहीं कुछ प्रचलित शब्दावलियों को नई परिभाषा देती दिखीं। उन्होंने अपने भाषण में एफडीआई व जीडीपी जैसे प्रचलित आर्थिक शब्दावलियों को नई परिभाषा देने की कोशिश की। एफडीआई (विदेशी विनिवेश ) को उन्होंने फर्स्ट डिवेलप इंडिया करार दिया। इसी तरह सकल घरेलू आय के लिए इस्तेमाल होने वाले जीडीपी को उन्होंने नए सिरे से परिभाषित करते हुए गर्वनेंस, डिवेलपमेंट एंड परफॉर्मेंस का नाम दिया। सेकुलरिज्म के मुद्दे को लेकर अकसर बीजेपी व सरकार पर निशाना साधने वाले विपक्ष पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष करते हुए वित्त मंत्री ने अपनी सरकार के समावेशी सोच व विकास कार्य के लिए एक नई शब्दावली गढ़ने की कोशिश की- सेकुलरिज्म इन एक्शन।