अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अंतरराष्ट्रीय तिब्बती सिनेमा के जनक-पेमा सिडेन

Share

तिब्बत हमारा पड़ोसी देश है, मगर वहां इतनी फिल्में बनती हैं और इतनी अच्छी फिल्में बनती हैं, अनोखी फिल्में बनती है, यह अधिकांश दर्शकों के लिए बहुत आश्चर्य की बात है। 1959 के बाद से तिब्बत, चीन के दबदबे में है, चीन ने उसे जबरदस्ती अधिकृत कर लिया है, अत: वहां के बहुत सारे कलाकारों ने देश छोड़ दिया। ये लोग विभिन्न देशों में बस गए हैं। बहुत सारे तिब्बती भारत में बस गए। इसके दो प्रमुख कारण हैं, एक तो सबसे अधिक लोकतांत्रिक देश भारत, तिब्बत के सबसे निकट है, दूसरा तिब्बत से आकर धर्मगुरु दलाई लामा भारत में बस गए हैं।तिब्बती फिल्म निर्देशक, प्रोड्यूसर, स्क्रीनप्ले राइटर, शिक्षक पेमा सिडेन 3 दिसम्बर 1969 को तिब्बत के सोल्हो (Tsolho) इलाके में जन्मे थे। 9 फिल्में निर्देशित करने वाले सिडेन ने 55 पुरस्कार अपने नाम किए। उन्हें 60 पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया।

तिब्बत का अपना विशिष्ट धर्म है, आध्यात्मिकता है, अपनी संस्कृति, भाषा, राजनीति है और यह सब बहुत प्राचीन है। प्रवासी तिब्बती इसे कायम रखना चाहते हैं। बाहर रहने वाले तिब्बती लोगों में से कुछ फिल्म निर्देशन की दिशा में अग्रसर हैं। इनमें सर्वाधिक नाम कमाया है, पेमा सिडेन ने।

2011 में पेमा सिडेन की फिल्म ‘ओल्ड डॉग’ अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में धूम मचा रही थी। यह उनकी तीसरी फीचर फिल्म थी। इसके पहले उन्होंने ‘द साइलेंट होली स्टोन्स’ (2005) तथा ‘द सर्च’ (2009) जैसी फिल्में बनाई थी। उनकी फिल्म ‘ओल्ड डॉग’ के सिनेमाटोग्राफर ने भी 2011 में अपनी पहली कमाल की फिल्म ‘द सन बीटेन पाथ’ बनाई। पर आज बात की जाए पेमा सिडेन की।

तिब्बती फिल्म निर्देशक, प्रोड्यूसर, स्क्रीनप्ले राइटर, शिक्षक पेमा सिडेन 3 दिसम्बर 1969 को तिब्बत के सोल्हो (Tsolho) इलाके में जन्मे थे। 9 फिल्में निर्देशित करने वाले सिडेन ने 55 पुरस्कार अपने नाम किए। उन्हें 60 पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया। उनकी ख्याति उपरोक्त फिल्मों के अलावा ‘बलून’, ‘स्नो लेपर्ड’, ‘सेक्रेड एरो’, ‘जिन्पा’ जैसी फिल्मों के लिए भी है। पेमा सिडेन ने 10 फिल्मों का लेखन किया साथ ही 20 फिल्में प्रड्यूस भी कीं। उन्हें चीनी भाषा में वानमा कैदान के नाम से भी पुकारा जाता है।

पेमा सिडेन, तिब्बत सिनेमा का महत्वपूर्ण अंग

पेमा सिडेन के साथ तिब्बत के सिनेमा का एक नया अध्याय प्रारंभ होता है। उन्होंने तिब्बत के गंभीर सिनेमा की शुरुआत की। पेमा सिडेन की शिक्षा द बेझिंग फिल्म अकादमी, चीन के एक प्रमुख फिल्म स्कूल में हुई थी। मगर उन्होंने अपनी सिनेमा शैली विकसित की। उनकी पहली फिल्म, ‘द साइलेंट होली स्टोन्स’ तिब्बत से आने वाली ऐसी फिल्म रही है, जो तकनीकि और सृजनात्मकता का कुशल संयोजन है। जिसमें तिब्बत की संवेदना नजर आती है। तिब्बत का वनस्पति विहीन लैंडस्केप और वहां के पात्र, भाषा एक भिन्न खुशबू से दर्शक को परिचित कराते हैं। लैंडस्केप अपने आप में एक पात्र की अनुभूति देता है।

मजे की बात है, चीन की सरकार इस फिल्म का विज्ञापन कर रही थी, इसे तिब्बत की भाषा में बनी पहले फीचर फिल्म का दर्जा दे रही थी। फिल्म में चीन के एक प्रांत किंघाई प्रदेश की बोली एम्डो का प्रयोग हुआ है। फिल्म तिब्बत के युवा सन्यासियों को टेलिविजन सिरीज देखने में रमा हुआ दिखाती है, वे वीडियो गेम खेल रहे हैं। गुरु और शिष्य दोनों साथ में यह कर रहे हैं।

एक युवा बौद्ध सन्यासी वीडियो प्लेयर, कैसेट और मॉनीटर अपने मठ में लाता है। फिल्म इसका संकेत देती है, यदि चीनी भाषा न पढ़ी तो काम मिलना कठिन है। बौद्ध मठ में बैठकर बौद्ध ग्रंथ पढ़ने की अपेक्षा तिब्बती युवा चीनी भाषा सीख कर शहर जाना पसंद करता है। निर्देशक बहुत सूक्ष्म तरीके से अपनी सभ्यता-संस्कृति के समाप्त होते जाने का इशारा करता है।

चार पुरस्कारों से सम्मानित करीब पौने दो घंटे की इस ड्रामा फिल्म का नाम तिब्बती भाषा में Lhing vjags kyi ma ni rdo vbum है। सिनेमाटोग्राफी का भार एन ली ने संभाला है। ग्याल सोन्थर प्रोडक्शन डिजाइनर हैं।

Pema Tseden first filmmaker in greater China to make films entirely in Tibetan language

चार साल बाद पेमा सिडेन ने Xunzhao zhimei gengdeng, इंग्लिश शीर्षक ‘द सर्च’ फिल्म बनाई और दो पुरस्कार जीते। करीब दो घंटे की इस फिल्म में एक फिल्म बनाने वाला अपनी टीम के साथ, अपने तिब्बती ऑपेरा (ड्रिम कुंदन) में काम करने केलिए अभिनेता-अभिनेत्री की खोज करते हुए हिमालय में यात्रा कर रहा है। पेमा सिडेन अपनी फिल्म की कहानी स्वयं लिखते थे। ‘द सर्च’ में प्रिंस कुंदन की कहानी भी खुलती चलती है। बौद्ध कथा में दयालु राजा कुंदन दूसरों के लिए अपना सबकुछ, पत्नी-बच्चे यहां तककि अपनी आंखें भी बलिदान कर देता है। 

इस राजा का जिक्र सिडेन की पहली फिल्म में भी आता है, जब तिब्बत के नए साल का जश्न चल रहा है और बच्चे-युवा-वृद्ध सब इस कहानी का आनंद ले रहे हैं। ‘द सर्च’ में यात्रा के दौरान निर्देशक अपनी टीम के साथ कई लोगों से मिलता है और ऑडीशन करता है। फिल्म के बीच में एक रहस्यमयी लड़की भी आती है।

यात्रा के दौरान कार में अमेरिका में बसे एक तिब्बती लोकप्रिय गायक का गाया गाना बराबर बजता है। एक युवा तिब्बती एक नाइटक्लब में गिटार पर इंग्लिश गाना गा रहा है। यहां परम्परा और आधुनिकता साथ नजर आती है। एक समीक्षक ने ‘द सर्च’ को हिमालय की आत्मा की खोज नाम दिया है। 


फिल्म- ‘ओल्ड डॉग’

उनकी तीसरी फिल्म ‘ओल्ड डॉग’ ने तिब्बती सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित कर दिया। यह उनकी दोनों पिछली फिल्म से हट कर है। इसका संदेश बहुत स्पष्ट है। यहां पेमा सिडेन का गुस्सा दीखता है, उनका दर्द, उनका नैराश्य, उनकी हताशा नजर आती है। हालांकि कहानी बहुत सीधी चलती है। चीन के नवधनाड्य लोगों के बीच तिब्बती कुत्तों की मांग अचानक बढ़ जाती है। अब या तो घुमक्कड़ तिब्बतियों के मस्टिफ प्रजाति के कुत्ते बेचे जा रहे हैं, अथवा चुराए जा रहे हैं। इसी बीच एक बूढ़े घुमक्कड़ तिब्बती का निठल्ला, पियक्कड़, नपुंसक बेटा उनका बूढ़ा कुत्ता एक स्थानीय चीनी व्यापारी को बेचना चाहता है, उसका पिता ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता है।

बूढ़े का कहना है, ‘मैं खुद को बेच दूंगा, कुत्ते को नहीं।’ कारण कुत्ता घुमक्कड़ों की सबसे कीमती सम्पत्ति होती है। एक अन्य घुमक्कड़ समुदाय का व्यक्ति बिचौलिए का काम करता है। वह बूढ़े को अच्छे दाम का लालच देता है, कुत्ता चुराने की कोशिश करता है। बूढ़े के सारे प्रयासों के बावजूद कुत्ता चीनी व्यापारी के पास पहुंच जाता है। यहां चारागाह के स्थान पर अब सपाट उजाड़ है। सिडेन की इस पॉवरफुल फिल्म में कंटीली बाढ़ सांकेतिक रूप से बहुत कुछ कहती है। जगह-जगह कचड़े के ढ़ेर हैं।

‘जिंपा’ में अपराध बोध से ग्रसित एक ट्रक ड्राइवर की कहानी चलती है। एक दुर्घटना में उसका ट्रक एक भेंड़ पर चढ़ गया था और रास्ते में उसे एक हिचहाइकर मिलता है, दोनों में दोस्ती हो जाती है, और दोनों का जीवन बदल जाता है। पेमा सिडेन चाइना एकेडमी ऑफ आर्ट में पढ़ा रहे थे, वे चाइनीज फिल्म-लिटेरेचर एसोसिएशन के सदस्य थे। ऐसे कुशल, प्रतिभाशाली फिल्म निर्देशक पेमा सिडेन का 8 मई 2023 को मात्र 54 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। नि:संदेह तिब्बती सिनेमा की अपूर्णीय क्षति हुई है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें