ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक साथ पांच लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है।भारत सरकार हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे जननायक कर्पूरी ठाकुर, पूर्व उप- प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बाद, अब चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंहा राव और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का एलान किया गया है. एक साल में 3 लोगों को ही यह सम्मान दिया जा सकता है, फिर मोदी सरकार ने यह सम्मान 5 लोगों को कैसे दिया आइए इस खबर में जानते हैं इसके बार में.
केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने की घोषणा की गई थी. इन सबको मिलाकर इस साल 2024 में पांच लोगों को भारत रत्न मिला है. वहीं 2023 में किसी को भी भारत रत्न नहीं दिया गया था. आइए जानते हैं कि जब एक साल में 3 लोगों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है तो साल 2024 में 5 लोगों को भारत रत्न कैसे मिल गया.
साल 2023 में भारत रत्न नहीं दिए जाने के कारण इस साल यानी 2024 में पिछले साल का बैकलॉग क्लियर किया है. दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले साल किसी को यह सम्मान नहीं दिए जाने के कारण इस साल यह सम्मान दिया गया है. इसी कारण एक साल में अब तक पांच लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है.
यह पुरस्कार न केवल इन्हें प्राप्त करने वाले लोगों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. यह उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने उत्कृष्ट योगदान दिया है जिसका भारत की प्रगति और विकास पर स्थायी प्रभाव पड़ा है. भारत रत्न देने की परंपरा देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 2 जनवरी 1954 से शुरू की थी. शुरुआत में ये सम्मान साहित्य, कला, विज्ञान और सामाजिक क्षेत्र में किसी शख्सियत के उसके विशिष्ट योगदान के लिए दी जाती थी. बाद में इसका दायरा बढ़ा दिया गया.
इन्हें दिया गया पहला भारत रत्न
भारत रत्न के पहले प्राप्तकर्ता डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जिन्हें एक दार्शनिक, राजनेता और अकादमिक के रूप में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए 1954 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला था. भारत रत्न पुरस्कार उन लोगों के लिए राष्ट्रीय मान्यता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है जिन्होंने देश की प्रगति और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
भारत रत्न से जुड़े कुछ तथ्य
- भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
- जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना कोई भी व्यक्ति इस सम्मान के लिए पात्र है।
- यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर की असाधारण सेवा/प्रदर्शन की मान्यता के लिए प्रदान किया जाता है।
- भारत रत्न के लिए सिफारिशें स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को किया जाता है। इसके लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की आवश्यकता नहीं होती है।
- पुरस्कार प्रदान किए जाने पर, प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है। पुरस्कार में कोई मौद्रिक अनुदान नहीं है।
हर साल ज्यादा से ज्यादा तीन लोगों को ही भारत रत्न से सम्मानित करने की परंपरा रही है।
- संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार, पुरस्कार का उपयोग प्राप्तकर्ता के नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में नहीं किया जा सकता है।
- यदि कोई पुरस्कार विजेता इसे आवश्यक समझता है, तो वह अपने बायोडाटा/लेटरहेड/विजिटिंग कार्ड आदि में निम्नलिखित अभिव्यक्ति का उपयोग कर सकता है।
- सबसे पहला सम्मान स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1954 में दिया गया था।
- अब तक कुल 48 लोगों को भारत रत्न सम्मान दिया गया है। आखिरी बार ये सम्मान साल 2019 में दिया गया था।
- यह पहला मौका है, जब एक साथ पांच लोगों को इस सम्मान से सम्मानित करने का एलान किया गया है।
- ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों से किसी को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया था, अभी इस बात की घोषणा नहीं हुई है कि किस शख्सियत को किस साल के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।
- राज्य सरकार भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं।
- वर्ष 1956, 1959, 1960, 1964, 1965, 1967, 1968-70, 1972-74, 1977-79, 1981, 1982, 1984-86, 1993-96, 2000, 2002-08, 2010-13, 2020-22 में भारत रत्न नहीं दिया गया।