श्रीगोपाल नारसन
जीते जी तो सम्मान नही
मरने पर लड्डू खिलाए गए
वृद्धा आश्रम में छोड़े रखा
मरने पर पूजनीय बताए गए
कैसी सोच हमारी हो गई
बुजुर्गों से कुत्ता प्यारा है
कुत्ता सो रहा बैडरूम में
बुजुर्ग बेचारा बेसहारा है
हाय री इस आबोहवा को
हवा दूसरी ही लग गई
संस्कार भूल गए हम अपने
जिंदगी व्यसन में चली गई
मां- बाप ने जीवन लगाया
औलाद को फिर भी न भाया
कैरियर के नाम पर उसने
कर दिया मां-बाप को पराया
रिश्ते नाते भूल गया वह
पैसे की चमक में खो गया
अंतिम संस्कार करने न आया
पड़ोसी को खर्चा भिजवाया
रो रही थी आत्मा उनकी
जिन्होंने विदेश भिजवाया था
घर ही नही अब बाहर भी
ऐसे किस्से हजार हुए
मर गए थे जो वर्षो पहले
भारत रत्न वह आज हुए
मेरी मानो जीते जी का
सम्मान सबसे प्यारा है
मां-बाप सिर आंखों पर रहे
यही अरमान हमारा है
भारत रत्न नेताओं से पहले
उन शहीदों को मिलना चाहिए
देश के लिए बलिदान हुए जो
उनका सम्मान करना चाहिए।