इंदौर। ।
एक वर्ष में तीन बार मौसम बदलते हैं,,, सर्दी, गर्मी, बरसात, वहीं पांच वर्षों में होते तीन चुनाव,,, नगरीय, विधानसभा, लोकसभा. सभी में होता परिवर्तन लेकिन इन्दौर के अधिकतम थानों में वर्षों से अगंत की तरह पैर जमाए पुलिसकर्मी के नहीं होते थानों से स्थानांतरण।
कई ही पुलिसकर्मी एक थानों रहकर पदोन्नति भी हुएं आरक्षक से प्रधान आरक्षक बन गए. कई तो(ASI) ए एस आई तक की भी नियुक्ती हो चुके लेकिन अब तक इनके थानों का चयनित नहीं हुआं। जिसके कारण इनके हऊभाव ठाड बने हुए हैं लेकिन इनके क्षेत्रों में नशा,जुआं, सट्टा, के कारोबारी भी खूब पनपने हुए हैं, क्या इनकी नजरें उन तक नहीं पहुंच पातीं या फिर यह बातें कुछ और इशारे की ओर जाती है । पांच वर्ष और उससे भी अधिक समय एक ही थाने पर रहते हुए इनके तालमेल सबसे अच्छे हो जाते फिर इनके पास अवैध कारोबार की खबरें कैसे नहीं पहुंच पातीं है। अब तो कूपूर्ता की भी हद हो गई है सुबेदार की सुबेदारी भी ग्याब सी हो गई है नजदीक ही चुनाव होने वाला हैं । क्या अगंत की तरह पैर जमाए पुलिसकर्मी जाने वाले हैं..?
प्रश्न यह उठता है कि कई बार लिस्ट में नाम आने के वाबजूद भी यह कैसे उसी जगह पर रह जातें हैं।
एक तरफ़ चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव की बाते करता है दूसरी ओर ध्यान ही नही रखता । यही पुलिसकर्मी पोलिंग बूथों पर तैनात रहते हैं, जहां एक पक्ष से तालमेल तो दुसरे पक्ष से बिगाड़ इनका रहता तभी चुनाव में पुलिस की राजनेताओं से नोंक-झोंक होती है।
चुनाव आयोग इस पर संज्ञान ले पांच वर्ष से अधिक वाले पुलिसकर्मियों को दुसरे थानों पर रवानगी दें.
इन्दौर के इन थानों में अगंत की तरह पैर जमाए बैठे हैं पुलिसकर्मी जिनके सारक्षणदाता है मजबूत वहीं जमाए बैठे हैं अपनी बूट ।
इंदौर के इन थानों में ….कई पुलिसकर्मी पांच वर्ष से अधिक जमें हुए हैं
आजाद नगर, खजराना, कनाड़िया,सदर बाजार, भंवरकुआं, तेजाजी, चन्दननगर , राजेन्द्र नगर, लसुड़िया,हिरा नगर, बाणगंगा, संयोगितागंज, में कई पुलिसकर्मी पांच वर्ष से अधिक जमें हुए हैं ।
कई पुलिसकर्मियों को तो एक दशक से भी अधिक समय हो चुका है।