इंदौर के पश्चिमी बायपास की योजना को जमीन पर लाने के काम प्रशासन ने शुरू कर दिए है। राऊ से लेकर तलावली चांदा तक 35 किलोमीटर के इस बायपास में 19 गांवों की 402 एकड़ जमीन आ रही है। जिसे लेने के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन जमीनों को देने के लिए किसान राजी नहीं है। उन्होंने बुधवार को ट्रैक्टर रैली निकाल कर अपना विरोध भी जताया।इंदौर विकास प्राधिकरण ने बायपास का सर्वे कराया। 402 एकड़ में से 40 प्रतिशत जमीन सरकारी है, लेकिन अधिग्रहण में असली परेशानी निजी जमीनों की है।
इंदौर के संतुलित विकास के लिए पश्चिम बायपास जरुरी है,क्योंकि 20 साल पहले राऊ से मांगलिया तक पूर्वी बायपास बन चुका है। इंदौर-अहमदाबाद, इंदौर चितौड़गढ़ हाइवे और मुबंई से आने वाले ट्रैफिक को शहर से बाहर रखने के लिए पश्चिम बायपास की डिमांड वर्षों से उठ रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी पश्चिमी बायपास के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे चुके है।
इसके बाद इंदौर विकास प्राधिकरण ने बायपास का सर्वे कराया। 402 एकड़ में से 40 प्रतिशत जमीन सरकारी है, लेकिन अधिग्रहण में असली परेशानी निजी जमीनों की है। पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने के कारण किसान जमीन नहीं देना चाहते है।
उनका कहना है कि बाजार की कीमत के हिसाब से ली जा रही जमीनों के एवज में पैसा मिलना चाहिए। पश्चिमी बायपास के लिए प्रशासन ने19 गांवों में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राऊ, रंगवासा, सिंदोड़ा, श्रीराम तलावली, नावदा पंथ, बिसनावदा, रिजलाय, नैनोद, जम्बुर्डी हप्सी, बुधानिया, पालाखेड़ी,लिंबोदागारी, बरदरी, रेवती, जाखिया, भांग्या, शकरखेड़ी, कैलोद हाला और तलावली चांदा गांव से यह बायपास गुजरेगा।
यह है प्रोजेक्ट
35 किलोमीटर लंबे बायपास में 2 रेलवे ब्रिज, एक बड़ा ब्रिज, तीन छोटे ब्रिज, सात पुलियाएं और 48 छोटी पुलियाएं बनेगी। इस प्रोजेक्ट पर एक हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी। बायपास के बनने से सुपर काॅरिडोर पर भारी वाहनों का दबाव कम होगा। आउटर बायपास से दिल्ली,मुबंई,राजस्थान, अहमदाबाद की तरफ जाने वाले ट्रैफिक को शहर के भीतर आने की जरुरत नहीं पड़ेगी। बाणगंगा, एमआर-10, देपालपुर रोड से ट्रैफिक का दबाव कम होगा।