एमपीपीएससी परीक्षाओं में गलत प्रश्न पूछे जा रहे हैं। साक्षात्कार में भी गड़बड़ी की जा रही है। पीएससी की एक परीक्षा में तो चार प्रश्नों के उत्तर गलत थे। ऐसे में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ का परीक्षा में उम्मीदवारी पर बड़ा फैसला सामने आया है। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए पीएससी से जवाब तलब किया है।
ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सहायक अभियोजन अधिकारी (एडीपीओ) भर्ती परीक्षा में गलत प्रश्न के मामले में सुनवाई करते हुए कहाकि एमपी-पीएससी का पुराना रिकॉर्ड गलती का रहा है। प्रश्न पत्र सेट करते वक्त विशेषज्ञ क्या देखते हैं, एक अभ्यर्थी के भविष्य का सवाल है। इसलिए पीएससी बताए कि क्या अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए योग्य था या नहीं। 28फरवरी को याचिका की फिर सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता ने एडीपीओ की परीक्षा के चार प्रश्नों के गलत होने का दावा किया है। रूपेश कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनके अधिवक्ता योगेश चतुर्वेदी ने बताया कि पीएससी ने एडीपीओ की परीक्षा ली है, उसमें चार प्रश्नों के उत्तर गलत हैं। याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति की श्रेणी में आता है, 50 फीसदी विकलांग भी है। उसका आखिरी अवसर है।
साक्षात्कार के लिए जो अभ्यर्थी बुलाए गए हैं, उन्हें रोल नंबर केहिसाब से बुलाया गया है। मेरिट के हिसाब से नहीं बुलाया है। पीएससीकी ओर से याचिका का विरोध किया गया। विज्ञापन की शर्त के अनुसार याचिकाकर्ता ने कोई आपत्ति नहीं की। पीएससी स्वतंत्र निर्णय लेती है, इसलिए याचिकाकर्ता राहत का हकदार नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि पीएससी का पिछला रिकॉर्ड गलती करने का रहा है, इसलिए मामले में अपना जवाब पेश करे।चार प्रश्नों को चुनौती
याचिकाकर्ता को सेट-ए मिला था। उसमें प्रश्न नंबर-5 के उत्तर के जो
चार विकल्प दिए थे, उसमें तीन विकल्प सही थे। यदि प्रश्न का उत्तर
लगाया जाता तो माइनस मार्किंग हो जाती। सेट ए के 4, 5, 9, 39 प्रश्न
को हटा दिया जाता है तो रूपेश साक्षात्कार के लिए पात्र हो जाएगा। उसके 29.86 फीसदी अंक आए हैं। जबकि साक्षात्कार के लिए 30 फीसदी अंक चाहिए।
पूर्व परीक्षा के केस भी
दरअसल पीएससी ने अलग-अलग परीक्षाएं आयोजित की थीं। इन परीक्षाओं के प्रश्नों पत्रों में प्रश्नों के गलत उत्तर दिए जाते हैं। गलत प्रश्नों के खिलाफ हाईकोर्ट में लगातार याचिकाएं दायर हो रही हैं। एक याचिका में कोर्ट ने पीएससी को लेकर तल्ख टिप्पणी भी की थी। कहा था कि पीएससी पर भरोसा खत्म होता जा रहा है।