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अवसाद (Depression) से उबरना है तो मानें हमारी सलाह

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      डॉ. श्रेया पाण्डेय

रोजमर्रा के जीवन में कई ऐसी बातें होती है, जो मेंटल हेल्थ को प्रभावित करने लगती है। दिनभर उसी के बारे में सोचना और परेशान रहना व्यक्ति के जीवन में तनाव का कारण बनता है।

      इसका असर न केवल निजी जिंदगी पर दिखता है बल्कि सेहत संबधी समस्याएं भी शरीर को घेर लेती हैं। हर वक्त चिंतित और बेचैन रहने के चलते व्यक्ति काम पर फोक्स कर पाने की क्षमता को धीरे धीरे खोने लगता है। इसके चलते व्यक्ति कोई भी निर्णय लेने में समर्थ नहीं हो पाता है। 

*डिप्रेशन किसे कहते हैं?*

    असहाय जरूरतमंद के लिए निःशुल्क सुलभ, हमारे मेडिटेशन ट्रेनर और मनस्विद डॉ. विकास मानवश्री के अनुसार डिप्रेशन एक मूड डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति उदासी, गुस्से और अकेलेपन से जन्मी अतृप्ति की पीड़ा महसूस करने लगता है। प्रेम के आभाव के अलावा लंबे वक्त तक किसी एक ही समस्या पर फोकस करना भी डिप्रेशन का कारण बनने लगता है।

     मानसिक ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल से व्यक्ति हर वक्त खुद को परेशान महसूस करता है। इसका असर ओवरऑल हेल्थ पर भी दिखने लगता है। लंबे वक्त तक डिप्रेशन की चपेट में रहने से उसका असर डे टू डे एक्टीविटीज पर भी दिखने लगता है।

*क्या कहते हैं आंकड़े?*

     सेंटर फॉर डिज़ीज कन्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार अमेरिका में 39.5 फीसदी लोगों में डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिलते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ साइकेटरी के अनुसार पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में डिप्रेशन के अधिक मामले पाए जाते हैं।

    रिपोर्ट के मुताबिक डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं। जहां पुरूषों में डिप्रेशन के 5.9 फीसदी मामले मिलते हैं, तो महिलाओं में इसकी संख्या 9.2 फीसदी है।

    नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार 15 फीसदी भारतीय एक से अधिक मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स से जूझ रहे हैं। रिसर्च के अनुसार 20 में से एक भारतीय डिप्रेशन का शिकार है।

    शोध में पाया गया है कि में भारत में 558,000 से अधिक आत्महत्याओं के मामले सामने आएं। इसमें 15 से लेकर 49 वर्ष के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

*डिप्रेशन का प्रभाव :*

बार बार मूड स्विंग की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। छोटी छोटी बातें इरिटेशन का कारण बनने लगती हैं।

   किसी भी काम पर फोकस करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्क प्रोटक्टिविटी प्रभावित होती है।

   नींद की गुणवत्ता कम होने लगती है। समय पर सोना और उठना मुश्किल हो जाता है। नींद न आने की समस्या से जूझना पड़ता है।

   बदन में दर्द अनुभव होने लगता है। सिरदर्द, पेट दर्द और कमर दर्द से दो चार होना पड़ता है।

   किसी भी गतिविधि में हिस्सा लेने से कतराते हैं और सोशल सर्कल भी दिनों दिन कम होने लगता है।

*1. खुद को चार दीवारी में न करें कैद :* 

अगर कोई समस्या चिंता का कारण बनी हुई हैं, तो उससे डरकर खुद को घर के अंदर कैद न करें। इससे समस्या हल नहीं हो पाएगी।

    बाहर निकलें और सोशल सर्कल क्रिएट करें। अगर लोगों से नहीं मिलना चाहते हैं, तो ताज़ी हवा और धूप में कुछ वक्त ज़रूर बिताएं। इससे शरीर हेल्दी और मज़बूत बना रहता है।

*2. दूसरों से तुलना न करें :*

अगर आपने जीवन में फेलियर का सामना किया है, तो उससे डरकर मायूस होने की जगह आगे बढ़े और उससे सीख लें।

    इससे व्यक्ति जीवन में अगली बार अवश्य सफल होता है। सोशल मीडिया पर अत्यधिक वक्त न बिताएं। दूसरों की तह अपने जीवन में बदलाव लाने से बचें। व्यक्ति को अचछे बुरे की पहचान होना आवश्यक है।

*3. समस्याओं से भागे नहीं :* 

जीवन में अगर कोई परेशानी आ गई हैं, तो उसका सामना करना सीखें। उससे भागने से आपकी समस्या हल नहीं हो पाएगी और परेशानी गंभीर होने लगेगी। बातचीत के ज़रिए या किसी एक्सपर्ट से सलाह लेकर जीवन को नर्ठ दिशा दें और आगे बढ़ने का प्रयत्न करें।

    किसी से मिला धोखा या नाकामसाबी को लेकर हर वक्त सोचना मेंटल हेल्थ को खराब कर देता है। खुश रहें और समस्या से डील करें।

*4. हर समय बेड पर न लेटें :*

डिप्रेस्ड इंसान अपनी परेशानी को लेकर हर पल चिंतित रहता है। ऐसे में अधिकतर लोग हर पल बेड पर लेटकर सोचते रहते हैं।

    इससे समस्या हल नहीं होगी बल्कि नींद न आने की समस्या से गुज़रना पड़ता है। दिनभर में कुछ वक्त आउटिंग के लिए निकालें और व्यायाम भी करें। इससे डिप्रेशन को कम करने में मदद मिलती है।

*5. हठयोग, ध्यानयोग और संभोग का सहयोग लें*

   हठयोग यानी नियमित व्यायाम. ध्यानयोग में प्राणायाम और मेडिटेशन शामिल है. संभोग का अर्थ है नर-मादा द्वारा सेक्सुअल ऐक्टिविटी का एक समान सुख लेना. इसका आधार प्रेम और पौरुष है.

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