अनामिका, प्रयागराज
स्नेह से हमारा आशय प्रेम है. प्रेम ही परमात्मा है. बिना प्रेम के जीवन संभव नहीं है. संसर्ग यानी संभोग. संभोग गंदा काम नहीं है, सबसे पवित्र और अहम साधना है यह. अन्य साधनाओं से सबकुछ अर्जित करने वाले ऋषि-महर्षि भी संभोग साथे और भगवान कहे गये लोग भी. सेहत का मतलब आप सबको पता है.
प्रेम, संभोग और स्वास्थ्य : इन तीनो का अन्योनाश्रित संबंध है. जिन्दगी थ्रीव्हीलर है. इसके लिए तीनों पहियों का समान महत्व है.
यह पोस्ट मैडिटेशन ट्रेनर और डिवाइन आर्गेज्म क्रिएटर हमारे प्रेरक डॉ. विकास मानवश्री के साक्षात्कार पर आधारित है.
1. स्त्री की संतुष्टि के लिए पेनिस की लंबाई कितनी होनी चाहिए?
~ सामान्यतया पेनिस की लंबाई 3 से 5 इंच होती है।
3 इंच स्त्री की तृप्ति के लिए काफी है। नारी की तृप्ति विशुद्ध प्रेमपूर्ण फोर-प्ले पर, जी-स्पाट के टचनेस/घर्षण पर निर्भर करती है। योनि का टाइटनेस मायने रखता है.
लिंग की मोटाई- लंबाई नहीं, उसकी पर्याप्त समय तक कड़ाई अहम होती है। लिंग 2 इंच का है, तब जरूर चिंता की बात हो सकती है। हालांकि सेक्स के लिहाज़ा योनी का 2 से 2.5 इंच तक का आरंभिक हिस्सा ही संवेदनशील यानी सेन्सटिव होता है।
2. पेनिस का आकार कैसे बढ़ाया जा सकता है?
~पेनिस को आपरेशन (प्लास्टिक सर्जरी) के अलावा तैल या किसी भी दवा से बढाया नहीं जा सकता।
_भूलकर भी किसी नेट-ऐप या नीम-हकीम के झांसे में न आएं।_
3. हस्तमैथुन से कोई नुकसान?
~ दमन खतरनाक़ होता है। नैचुरल सेक्स का अवसर न मिलने पर, तीब्रतम वेग की स्थिति यानी विशेष परिस्थिति में हैंड-प्रैक्टिस से रिलैक्स होने की सलाह आधुनिक मैडिकल साइंस देती है।
मगर, इसे आदत में शामिल करने पर :
पेनिस की नसें कमजोर हो जाती हैं, फैल जाती हैं। वह निर्जीव हो जाता है। संभोग शुरू होते ही वीर्य बह जाता है। यानी इंसान नामर्द। नारी को हैन्ड-प्रैक्टिस से कोई खास नुकसान नहीं होता।
4. घातु जाना क्या है?
~ यह नैचुरल है, कोई बीमारी नहीं। उत्तेजना की दशा में नर-नारी दोनों के प्राइवेट पार्ट्स से रिसाव होता है।
इसके चक्कर में नीम-हकीमों के जाल में नहीं फंसना चाहिए।
5. क्या नारी कम सैक्सुअल होती है; वह अमूमन सैक्स से कतराती क्यों है?
~ऩारी में 8 गुना अधिक सैक्सुअलिटी होती है। संसर्ग के दौरान अमूमन जब तक उसमें सैक्सुअलिटी जगती, वह हॉटनेस में डूबने को होती है: नर निढाल पड़ जाता है, अपना काम निकाल कर।
नारी गरम होने, पिघलने- निचुड़ने में 30 से 45 मिनट का समय चाहती है। नर इसके पहले निढाल हुआ तो वह अतृप्त रहकर मन-मस्तिष्क से रोगी बनती है।
ऐसे में आर्गाज्म का अनुभव तो छोडिए, इसका अहसास तक नहीं हो पाता नारी को। यही कारण है कि एक वर्ष बीतते-बीतते ज्यादातर नारियां सैक्स से कतराने लगती हैं।
6. नर के शीघ्र स्खलन का कारण क्या है?
~जन्मजात/वंशानुगत कारण के अलावा पेनिस में चोट लगना, अधिक टेंशन, हैंड-प्रैक्टिस, अनेक लोंगों से सैक्स, पशु से सैक्स, गुदा सैक्स, नशे और सैक्स पावर बढ़ाने वाली दवावों का सेवन।
7. सैक्स पॉवर बढाने की हानि-रहित दवा क्या है?
~ कोई नहीं। किसी भी पैथी की दवा न लें। मेडिसिन तत्काल राहत देकर कुछेक दिन तो आपको तीसमारखां बना देगी लेकिन बदले में आपकी नैचुरल क्षमता भी छीन लेगी। आंखों और लिवर के लिए तो ये खतरनाक़ होती ही हैं।
खान-पान, नियम-संयम का घ्यान रखें. शीध्र स्खलन रोकने के लिए मैडिसिन नहीं, मेडिटेशन की शरण लें।
8. क्या ओरल सैक्स और गुदा सैक्स करना चाहिए?
~नहीं। इससे मुंह, गुदा और गले का कैंसर तक हो जाता है। योनि और गुदा में बहुत बैक्टीरिया होते हैं।
पेनिस सरीर के बाहर होता है, आसानी से साफ करके; “नारी की अपनी भूख-प्यास हो तो” वह ओरल सैक्स कर सकती है। जबरदस्ती करवाने पर वह भी रोगी बनेगी क्योंकि उसकी मनोस्थिति उसमें नैगैटिव हारमोंस का स्राव करेगी।
9. सैक्स किससे करना चाहिए?
~ जिससे वास्तविक प्रेम हो। मन-मस्तिष्क-रूह के मिक्सअप के बिना तन के मिक्सअप की सोचना भी पशुता है। जाहिर है की ‘प्रेम’ यानी मन-मस्तिष्क-रूह का एकाकार ‘एक’ से ही हो सकता है। बिना प्रेम का सेक्स पशु जैसा काम है, मशीन जैसा काम है। यह रोगी, खासकर मनोरोगी बनाता है।
10. मैडिकल साइंस कहती है कि वीर्य में प्रोटीन, कैल्सियम, लवण, गलूकोज़, कार्बोहाइट्रेट, जिंक जैसे ६० तत्व होते हैं जो नारी की सैक्सुअलिटी, हैल्थ और व्यूटी बढाते हैं। तो नारी को वीर्यपान क्यों नहीं करना चाहिए?
~ दैहिक-मानसिक-बैद्धिक तौर पर स्वस्थ और प्रखर चेतना की ऊर्जा से संपंन्न, सात्विक नर के वीर्य में ये गुण संभव हैं।
ऐसा इंसान आज के दौर में करोणों में नहीं, शायद अरबों में कोई एक मिले।
11. सैक्स किस ऊम्र तक करना चाहिए?
~किसी भी उम्र तक। सैक्स जोड़ों में दर्द की, टेंशन की, अनिद्रा की, हिस्टीरिया की, सर्वाइकल अटैक की, बॉडीपेन आदि की दवा है।
लेकिन ध्यान रहे, अतृप्ति-जनित सेक्स निराशा, हतासा, कुंठा देकर मन-मस्तिष्क को रोगी बनाएगा। रुग्ण मन-मस्तिष्क तन को भी रोगी बना देता है।
12. सैक्स किस समय करना चाहिए, कितनी बार करना चाहिए? क्या सैक्स से सेहत बिगड़ती है?
~जिस समय आपका तन-मन-मस्तिष्क तैयार हो। तब 1, 3, 5, 7, 10 यानी कितनी ही बार आप सैक्स कर सकते हैं.
जितनी बार करने की भूख-प्यास और क्षमता हो आप दोनों में, सेक्स कर सकते हैं। सफल सैक्स स्वास्थ्य-वर्धक होता है, स्वास्थ्य-नासक नहीं।
13. सेक्स में उम्र का अनुपात क्या होना चाहिए?
सेक्स का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता है. इम्पोर्टेन्ट स्त्री की हॉटनेस होती है और पुरुष का लैंगिक पौरुष. सतरह साल वाला बूढ़ा सावित हो सकता है, सत्तर साल वाला जवान सावित हो सकता है.
पेनिस अगर ठीक है और पुरुष हाफने लगता है कमजोरी से तो स्त्री उसके ऊपर चढ़कर कमांड अपने हाथ में ले सकती है. लेकिन अगर पेनिस ही काम का नहीं हो तो हैण्डसम जवान को लेकर क्या स्त्री चाटेगी?
इसी तरह अगर स्त्री की योनि ढीली है हो कैसा भी पेनिस उसे कुछ फील नहीं करा पाएगा. पुरुष को भी लगेगा की किसी बड़े होल में डाल दिया है.
14. योनि की टाइटनेस के लिए क्या करना चाहिए?
आजकल कृत्रिम हाईफन झिल्ली तक लगाकर स्त्री को वर्जिन योनि वाली बना दिया जाता है. योनि को प्लास्टिक सर्जरी से चुस्त भी बनाया जाता है. हम इसके लिए आम तौर पर स्प्रिचुअल मसाज थेरेपी का उपयोग करते हैं.
15. नामर्दी का दर्द झेल रहे लोगों को क्या करना चाहिए?
~शिव तंत्र-सूत्र में आध्यात्मिक/तांत्रिक सैक्स के सूत्र उपलब्ध हैं। मेडिटेशन में रुचि रखने वाले लाभ ले सकते हैं।
मेडिटेशन की साइंटिफिक टैक्निक्स के जरिए भी मनचाहे समय तक स्खलन को रोका जा सकता है।
हम 02 उपाय सुझाते हैं :
【A】
इच्छुक “दम्पति” किसी समर्थ प्रशिक्षक के या हमारे सानिध्य में (न्यूनतम 15 दिन) रहकर यौगिक, तांत्रिक, मेडिटेटिव सेक्स सीख सकते हैं।
हम कोई पैसा नहीं लेते। अपने रहने-खाने का इंतजाम भी हमसे करवाना चाहेंगे तो हमें मुश्किल होगी।
[2]
मैडिकल साइंस में सर्जरी का रास्ता है। पैनिस की नसों को ठीक करना, अपेक्षित आकार देना और टाइम बढ़ाना अब संभव है।
तीसरा रास्ता जो अपनाया जाता है वह सेक्सटॉय का। यह बेहद खरनाक होता है। हाथ, बैटरी या विद्युत चालित ये प्लास्टिक या रबर के यंत्र होते हैं। इनके प्रयोग से योनि की सेंसिटिविटी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। फिर नारी को किसी भी नर द्वारा सन्तुष्ट करना असंभव हो जाता है।
तैल, कैपसूल्स, टैबलेट्स, इंजैक्शन, चूर्ण से बचना चाहिए।