नई दिल्ली: पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर देशव्यापी अनिश्चिकालीन हड़ताल होने वाला है. पुरानी पेंशन बहाली को लेकर इस बार रेलवे से लेकर राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे. रेलवे और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित केंद्र सरकार के 28 लाख कर्मचारियों और राज्य सरकारों के तीन करोड़ से अधिक कर्मचारियों और शिक्षकों के बीच काम करने वाले ट्रेड यूनियनों और संघों के एक मंच ने 1 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. 1 मई से होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह है कि ये कर्मचारी वर्तमान राष्ट्रीय पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ की खबर के मुताबिक, ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम की दिल्ली बैठक में यह निर्णय लिया गया है. ज्वाइंट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि 19 मार्च को संबंधित प्रशासनों को हड़ताल को लेकर नोटिस दिया जाएगा. जेएफआरओपीएस के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्र के साथ चर्चा विफल होने के बाद हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया.
महासचिव शिव गोपाल मिश्रा कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली संयुक्त सलाहकार मशीनरी के सचिव (कर्मचारी पक्ष) भी हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘हमने ओपीएस यानी ओल्ड पेशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए. हमने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर ओपीएस बहाल करने का आग्रह किया. हम इस मुद्दे को जेसीएम की बैठकों में भी उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को नजरअंदाज कर दिया और अब हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हैं.’
रिपोर्ट के मुताबिक, अनिश्चितकालीन हड़ताल के आह्वान से पहले रेलवे, विभिन्न विभागों और केंद्र के अधीन सार्वजनिक उपक्रमों के विभाग में हड़ताल के लिए मतदान हुआ और यूनियनों का दावा है कि उन्हें कर्मचारियों का करीब 100 फीसदी समर्थन मिला है. वहीं अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, ‘सरकारी कर्मचारियों ने सरकार के कामकाज में बाधा डाले बिना विरोध कार्यक्रम आयोजित करके 20 सालों तक धैर्यपूर्वक इंतजार किया है. सभी सरकारें हमारी मांग को नजरअंदाज कर रही हैं और निराशाजनक राष्ट्रीय पेंशन योजना को जारी रख रही हैं. हाल ही में न्यायिक वेतन आयोग ने न्यायाधीशों के लिए परिभाषित और गारंटीशुदा पेंशन की सिफारिश की है. फिर सरकारी कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों किया जाता है?’
उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारी हड़ताल करने को मजबूर हैं क्योंकि सरकार उनकी वास्तविक शिकायतों के प्रति असंवेदनशील है और सरकार समर्थक भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोड़कर सभी यूनियनें हड़ताल में भाग लेंगी. यह पूछे जाने पर कि अगर हड़ताल का नोटिस जारी होने तक आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है तो क्या होगा, शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि वे चाहते हैं कि चुनाव में ओपीएस के मुद्दे पर चर्चा हो. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें करोड़ों लोगों का जीवन शामिल है. लोगों को हमारी मांगों पर चर्चा करने और निर्णय लेने दीजिए.’