आयुषी दवे
जब हम वन्यजीव या वाइल्डलाइफ शब्द सुनते हैं तो अमूमन हमारे दिमाग में सबसे पहले जंगल और वहां रहने वाले शेर, चीता भालू जैसे बड़े जंगल जानवरों का ख्याल आता है| दरअसल वन्यजीव उन सभी जीवों को कहा जाता है जिन्हें मनुष्यों द्वारा पालतू ना बनाया गया हो. वन्यजीवों में ना केवल जानवर बल्कि वो सभी पेड़ पौधे, कीड़े मकोड़े, कवक और सूक्ष्म जीव भी आते है जो अपने प्राकृतिक वातावरण में बिना मनुष्यों के दखल के रहते हैं। ये वन्यजीव पृथ्वी के हर महाद्वीप और लगभग सभी देशों में पाए जाते है. ये हमारी प्राकृतिक धरोहर का एक बहुत अहम हिस्सा हैं क्यूंकि पृथ्वी में पाए जाने वाले हर पारितंत्रों यानी इकोसिस्टम जैसे वन, रेगिस्तान, घासभूमि, मैदान, पर्वत, समुद्री क्षेत्र में इनकी अच्छी खासी संख्या देखी जा सकती है।
पर्यावरण को संतुलित करने में वन्यजीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन्य जीवन प्रकृति की विभिन्न प्रक्रियाओं को स्थिरता प्रदान करता है। प्रत्येक जीवित वस्तु आपस में जुड़ी हुई है। यदि केवल एक जीव भी ख़तरे में पड़ जाता है या विलुप्त हो जाता है, तो इसका पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ता है। यह खाद्य श्रृंखला यानी फ़ूड चेन को भी बाधित करता है, जिससे पर्यावरण में सदमे की लहर फैल जाती है। इसीलिए इन वन्यजीवों का संरक्षण बेहद अहम् हो जाता है। इसीलिए इस हेतु विश्व की बहुत सारी सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाए निरंतर प्रयासरत हैं। जो सभी अलग-अलग स्तर पर अपने-अपने ढंग से वन्यजीवों को ना केवल संरक्षित कर रही हैं बल्कि अपने तमाम कार्यक्रमों के माध्यम से लोगो में इनके संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैला रही है।
ऐसे ही एक प्रयास के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 20 दिसंबर 2013 को हुए 68वें सेशन में हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाने की घोषणा की। 3 मार्च की तिथि इसलिए निर्धारित किया गया ताकि इसी दिन 1973 में आईयूसीएन यानी इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्सेर्वटिव ऑफ़ नेचर अर्थात प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ के 80 सदस्यों द्वारा सीआईटीईएस(साइट्स) समझौते पर हस्त्ताक्षर किये गए थे।
साइट्स जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन सरकारों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों और पौधों के नमूनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा न हो। 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस अब वन्यजीवों को समर्पित वैश्विक वार्षिक कार्यक्रम बन गया है जिसे हर साल 3 मार्च को मनाया जाने लगा।
इसमें हर साल वन्यजीव से जुड़े किसी नए विषय या थीम के अंतर्गत मनाया जाता है। इस साल 2024 में इसका विषय है लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज इस वर्ष का पूरा एजेंडा इस बात पर केंद्रित रहेगा की कैसे डिजिटल नवाचार और तकनीकों की मदद से हम संरक्षण का काम कर सकते हैं और कैसे मनुष्य और वन्यजीवों के सहअस्तित्व का निर्धारण कर सकते हैं।
विश्व वन्यजीव दिवस का उद्देश्य लोगों को प्रकृति से जोड़ना और उन्हें जानवरो और पेड़ पौधों के संरक्षण के लिए प्रेरित करना है।भारत में भी वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बहुत से प्रयास किये जा रहे हैं| जिसके तहत 1972 में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट नामक सख्त कानून पारित किया गया| नेशनल पार्क, वन्यजीव अभ्यारण, टाइगर रिज़र्व, हाथी रिज़र्व जैसे बहुत से संरक्षित क्षेत्र भी घोषित किये गए|
समय समय पर इनकी गणना भी की जाती है| इनकी संख्या बढ़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रम जैसे प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफैंट, प्रोजेक्ट राइनो, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड, प्रोजेक्ट वल्चर आदि चलाये जा रहे हैं| वन्यजीव और प्रकृति बड़े पैमाने पर भावनात्मक और सामाजिक कारणों से मनुष्यों से जुड़े हुए हैं। वन्य जीवन के महत्व को पारिस्थितिक, आर्थिक और खोजपूर्ण महत्व के साथ-साथ जैविक विविधताओं के संरक्षण आदि के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विविधता आवश्यक होती है। उदाहरण के लिए पौधों पर विचार करें। पौधों की विस्तृत विविधता का अर्थ है अधिक उत्पादकता और बेहतर स्वास्थ्य। यदि पौधों की प्रजातियाँ कम हैं, तो उन्हें प्रभावित करने वाली बीमारी तेजी से और अधिक प्रभावी ढंग से फैलती है। अधिक विविधता का अर्थ है बेहतर प्रतिरोध।
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा वन्यजीव और प्रकृति में माध्यम से आता है। बहुत से लोग अपनी जीविका के लिए कहीं ना कहीं वन और वन्यजीवों पर आश्रित हैं इसीलिए इनका संरक्षण और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है। वन्यजीवों का न केवल आर्थिक और सामाजिक महत्व बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है। ये शुरू से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं| इतना ही नहीं एक बेहतर मानसिक स्वास्थ के लिए भी प्रकृति और वन्यजीवों के करीब रहने की सलाह दी जाती है|
हर जगह लोग भोजन से लेकर ईंधन, दवाएँ, आवास और कपडे तक अपनी सारी जरूरतों को पूरा करने के लिए वन्यजीवन और जैव विविधता आधारति संसाधनों पर निर्भर हैं। प्रकृति हमें और हमारे ग्रह को जो लाभ और सुंदरता प्रदान करती है उसका आनंद लेने के लिए, ये जरुरी है की लोग यह सुनिश्चित करें कि पारिस्थितिकी तंत्र फलने-फूलने में सक्षम हों और पौधों तथा जानवरों की प्रजातियां भविष्य की पीढ़ियों के लिए अस्तित्व में रहने में सक्षम हों।
निश्चित ही इस दिशा में वैसे तो बहुत से काम किये जा रहे है परन्तु पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने के लिए अभी और प्रयासों की आवश्यकता है। जरुरत यह भी कि हम वन्यजीवों के महत्व को समझें, उनका होना एक वरदान समझ कर उनके होने का जश्न मनाएं और उनके संरक्षण की बात को केवल कागजी बात ना मान कर उसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाते हुए इस दिशा में निरंतर प्रयास करते रहें और दुनिया भर की सरकारी. गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा किये हुए प्रयासों को सफल बनाने में हम भी अपनी एक सक्रिय भूमिका निभाएं।
(लेखिका इलेक्ट्रॉनिक-कम्युनिकेशंस में इंजीनियर है)