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देवी, परी या प्रिंसेस नहीं, कॉन्फिडेंट गर्ल की जरूरत 

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      रिया यादव 

दुनिया में खूबसूरती से भी ज्यादा अगर कुछ आर्कषक है, तो वो है कॉन्फिडेंस। वो आत्मविश्वास जो किसी व्यक्ति में उसे मोटिवेट करके जगाया जा सकता है।

      एक वक्त था, जब लड़कियों की छवि सजीली और सुरीली हुआ करती है। उन्हें राजकुमारी की तरह रखने में पेरेंटस गर्व महसूस करते थे। 

     खुद को राजकुमारी समझकर बच्चियां आत्मनिर्भर होने की जगह राजकुमार की तलाश में रहती हैं और उनमें आत्मविश्वास की भी कमी होती थी। अब बेटी या तो पापा की परी बनाई रही हैं या कमर मटकाती भौडी नचनिया.

      पर जीवन की हकीकत बिल्कुल उलट है। दिनों दिन सामाजिक ढ़ाचे में आने वाले बदलाव के चलते लड़कियों में कॉन्फिडेंट की ज़रूरत है, जो नामुमकिन चीजों को भी मुमकिन करने की ताकत रखता है। 

*गर्ल चाइल्ड के लिए आत्मविश्वास क्यों है ज़रूरी?*

     समय के साथ सोसोयटी में दिनों दिन बदलाव आ रहे है। मगर हमेशा से मेल डॉमिनेटिंग सोसायटी होने से गर्ल चाइल्ड में हिचकिचाहट बढ़ने लगती है। साथ ही बच्चियों के भविष्य संबधी योजनाओं को लेकर भी कॉम्प्रोमाइज़ किया जाता रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं कि बदल रहे वक्त के साथ हर क्षेत्र में लड़कियां आगे बढ़ रही है।

        परिवार और समाज की मानसिकता में आने वाले बदलाव से ये संभव हो पाया है। बच्चियों के फैसलों का समर्थन करके और उन्हें मज़बूत बनाकर समाज में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए तैयार किया जा सकता है। मगर इसके लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना आवश्यक है।

सात पेरेंटिंग टिप्स :

*1. खुद पर विश्वास करना सिखाएं :*

     हर वक्त ये कहना कि तुम नहीं कर पाओगी या तुम्से नहीं हो पाएगा। बच्चे के दिमाग में नकारात्मकता को बढ़ाने लगता है। इससे बच्चे खुद को अन्य की तुलना में कम आंकते हैं। सबसे पहले बच्चे के करीब जाएं और उसके इमोशंस को समझें। उसके बाद बच्चे को ये समझाएं कि तुम जो भी करना चाहती है, कर सकती है। तुम हर उपलब्धि को हासिल कर सकती है। इससे बच्चे में कॉन्फिडेंस का स्तर बढ़ने लगता है।

*2. कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकालें :*

    एक वक्त था जब पिता और भाई के साथ ही लड़कियों को बाहर जाने की इजाज़त मिला करती थी। कोई दोराय नही कि बच्चियों के लिए हिफ़ाज़त बेहद ज़रूरी है। मगर साथ ही उन्हें दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते की सीख दें। इससे बच्चों में समझ का दायरा बढ़ने लगता है और खुद पर विश्वास बढ़ने लगता है। उन्हें आउटिंग पर जाने दें और हर मुश्किलात का सामना खुद करने दें।

*3. प्रिंसेस फिगर को बदलें :*

हर पल बच्चियों को प्रिंसेस कहकर पुकारना और फिर उन्हें उसी तरह से ट्रीट करने से उनके व्यवहार में अपने आप बदलाव आने लगते है। इससे वो हर पल खुद को किसी स्टोरी का करेक्टर मानने लगती है और जीवन की सच्चाई से दूर रहती है। लड़कियों को घर के अन्य बच्चों के समान ट्रीट करें और जीवन की मुश्किलों के बारे में जानकारी दें। हर पल उनकी खूबसूरती को निहारने और उसकी तारीफ करने की जगह उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए बूस्ट करें। साथ ही उसे उसके किए गए किसी काम या कोशिश के लिए सराहें।

*4. अपने लुक्स को एक्सेप्ट करना सिखाएं :*

बढ़ती बच्चियां कभी अपने बालों तो कभी स्किन को लेकर परेशान रहती हैं। ऐसे में उन्हें अपने लुक्स से संतुष्ट रहने की सलाह दें। इससे बच्चे का ध्यान खुद से हटकर अन्य कार्यो की ओर लगने लगता है और बच्चे का व्यवहार तुलनात्मक होने से बच जाता है। ऐसे में बच्चों का ध्यान अन्य चीजों पर डायवर्ट होने से जीवन में खुशहाली बढ़ती है और व्यपहार में आत्मविश्वास की भावना पनपने लगती है। अब बच्चे अपनी बात को किसी के सामने रखने से नहीं डरते हैं।

*5. सोशल और इकोनॉमिकल जिम्मेदारी समझाएं :*

लड़कों के अलावा घर की बेटियों को भी सोशली और इकोनॉमिकली रूप से मज़बूत बनाते के लिए जिम्मेदारियों का बंटवारा किया जाना चाहिए। इससे लड़कियों में सोच और समझ के अलावा बाहरी माहौल में खुद को ढ़ालने में मदद मिल जाती है। लकडियां मज़बूत बनने लगती है और उन्में आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।

*6. वेलिड डिसीजन को वेल्यू दें  :*

अगर बच्चियां किसी फैसले को लेने में अपनी राय दे रही है, तो उनकी सराहना करें और उन्हें बराबर वैल्यू दें। इसके अलावा अगर उनका कोई फैसला सही है, तो उसे इम्प्लीमेंट अवश्य करें। इससे बच्चे खुद पर विश्वास करने लगते है और उनके बातचीत के ढ़ग में बदलाव और सुधार आने लगता है। साथ ही बच्चों कम्यूनिकेशन का लेवल बढ़ने लगता है।

*7. मुश्किल हालात से लड़ना सिखाएं :*

   अगर सही समय पर बच्चों का बाहर के माहौल से अवगत करवाया जाता है, तो बच्चे आसानी से अपने आप को उसके अनुसार ढ़ाल लेते हैं। साथ ही बच्चे इस बात को भी समझ जाते हैं कि मुश्किल हालात में अपना बचाव कैसे करना है। उन्हें ओवरप्रोटेक्ट करने की जगह अकेले चैलेंज को फेस करना सिखाना आवश्यक है।

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