सुसंस्कृति परिहार
वो डरा रहे थे, बहन डरी नही। वो उसे पर्दा करने से और पढ़ने से रोकना चाहते थे, वो पर्दा करके भी आई और पढ़ने भी चली गई। वो उसका अपमान करना चाहते थे, दुनिया उन पर थूक रही है। वो सैकड़ों की तादाद में उसे डराने की कोशिश कर रहे थे, वो करोड़ों के लिए मिसाल बन कर चली गई।आजम खान का ये बयान आज उन सबका बयान है जो संघ की हरकतों से निरंतर बर्बाद होते देश को देख रहे हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं संघियों की फितरत का कोई भरोसा नहीं।कभी लड़कियों के कम कपड़ों पर आपत्ति करते हुए इसे यौन हिंसा की वजह फरमाते हैं तो कभी ढंकी मुदीं महिला के हिजाब में इनके अंदर समानता का बोध जोर मारने लगता है।वे स्कूल की पोशाक एक जैसी चाहते हैं।कल को ये भी कह देंगे सलवार कमीज़ नहीं चलेगी। उन्हें साड़ी पहननी होगी।जबकि कंगना रणावत उनकी फैन हैं। हालांकि ये सब क्योंकर हो रहा है सभी भलीभांति जान गए हैं कि उत्तर प्रदेश में इनकी हिंदू मुस्लिम ट्रेन अब पटरी से उतर चुकी है। इसलिए मुस्लिम समाज को आहत करने और अपने आतंक से उनमें दहशत भरने का ये सिलसिला है लेकिन यहां भी वे बुरी तरह मात खा गए जब एक अकेली मुस्कान ने साहस का परिचय देकर ना केवल उन पट्टेधारियों की मुस्कान छीनी बल्कि उस पट्टेधारी गैंग के प्रणेताओं को मायूस कर दिया।जब दुर्दिन आते हैं तो वे चारों खाने चित्त ही करते हैं।

कर्नाटक का यह नाटक कई दिनों से जारी था उसका पटापेक्ष इस तरह होगा संघियों ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा।कभी कभी अच्छी ख़बरे जल्द मिलने से तबियत ख़ुश हो जाती है न्यायमूर्ति एस कृष्ण दीक्षित ने यह स्पष्ट तौर पर कहा कि “मैंने संविधान के पालन के लिए शपथ ली है – मैं उसी के अनुरूप चलूँगा” और यह भी कि “अदालत के लिए देश का संविधान भगवद्गीता से ऊपर है और वह संविधान के अनुरूप ही चलेगा।ये महत्वपूर्ण टिप्पणी उन्होंने हिजाब पहनकर स्कूल जाने के बावजूद छै छात्राओं की याचिका सुनवाई के चलते दिए।उम्मीद की जाती है कि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान सामने आ जाएगा।कर्नाटक कालेजों में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद की आंच अब मध्यप्रदेश तक भी आ गई। मध्यप्रदेश में भी हिजाब पहनकर स्कूल आने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को कहा कि हिजाब यूनिफॉर्म कोड का हिस्सा नहीं है। अगर कहीं कोई हिजाब पहनकर स्कूल में आता है, तो प्रतिबंध लगेगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में जो यूनिफॉर्म कोड लागू किया गया, उसका ही पालन करना चाहिए। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के इस बयान के बाद प्रदेश में भी हिजाब को लेकर विवाद की स्थिति बन सकती है।
कर्नाटक के कॉलेज मजहबी अखाड़ा बन गए हैं। मामला कोर्ट में हैं, फैसला भी जल्द ही आ सकता है, लेकिन हिजाब v/s भगवा का यह प्रदर्शन नारेबाजी और पत्थरबाजी तक पहुंच गया है। बानगी देखने मिली मांड्या के PES कॉलेज में, जहां हिजाब पहन कर आई एक मुस्लिम छात्रा मुस्कान को जय श्रीराम के नारे लगा रहे प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया।उसने अल्लाहू अकबर के नारे लगाकर डटकर प्रतिकार किया।जिसकी प्रशंसा हो रही है। फिलहाल वहां स्कूल कालेज तीन दिवस के लिए बंद कर दिए गए हैं।क्योंकि भगवा पट्टेधारी गैंग संघ द्वारा प्रायोजित थी ।मुस्कान ने भी बताया है कि उस जत्थे में कालेज के छात्र कम थे बहुसंख्यक भाड़े के टट्टू थे।इससे पूर्व सोमवार को कुंडापुरा के एक कॉलेज के बाहर 2 आरोपियों को हथियार सहित पकड़ा गया।एक कॉलेज में तिरंगा फहराने वाले पोल पर चढ़कर भगवा झंडा फहरा दिया गया।मामला इतना बढ़ चुका कि अब कॉलेज के बाहर पत्थरबाजी भी होने लगी है।
कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी में शुरू हुआ था। उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में बैठने से रोक दिया गया था। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताया था। इसके बाद कुछ लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। लड़कियों का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।
भारत का संविधान निश्चित तौर पर हमें यह इज़ाजत देता है कि वह अपनी संस्कृति और धर्मानुसार अपनी पहचान कपड़ों से चेहरे के श्रृंगार से सुरक्षित रख सकता है इसलिए कहीं घूंघट है, तो कहीं हिजाब या दुपट्टा है। कहीं बिंदी सिंदूर है तो कहीं होंठों की लाली तो वहीं दक्षिण में वेणी चेहरे की रौनक है। हमारे इन अधिकारों पर इस तरह डाका डालना अनुचित है। कल को सलवार कुर्ती को भी बेन कर सकते हैं, बिंदी लगाना अनिवार्य भी हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। इसलिए माननीय न्यायालय शीध्र इस मसले पर पहल करें और इस उठती चिंगारी को आग बनने से रोकें। इस गैंग का पर्दाफाश कर उसे दंडित करे।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने शिक्षा मंत्री के आपत्तिजनक बयान के बारे में आज बताया है कि उनकेपास इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया है ।किंतु इस तरह का बयान आना शर्मनाक है क्योंकि इस प्रदेश का मालवांचल ऐसी ही नई गैंग के बार बार साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश से उलझ रहा है।शिक्षा मंत्री को स्वत: अपने बयान का खंडन करना चाहिए। उन्होंने इस आग को प्रदेश में प्रज्जवलित करने की यह हरकत क्यों की इसकी जांच भी जरूरी है। मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।