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भारत के मान सम्मान और भविष्य को बचाने का पथ-प्रदर्शक संग्राम

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            ,,,,,, मुनेश त्यागी

      इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर खबर छापी है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण के खिलाफ दो f.i.r. हुई हैं जिसमें यौन शौषण की दस शिकायतें दर्ज कराई गई है। एक्सप्रेस में बृजभूषण शरण द्वारा पहलवानों के साथ किए गए कुकर्मों का खुलासा किया है। अखबार में बताया गया है कि बृजभूषण के खिलाफ दो खिलाफ f.i.r. की गई हैं जिनमें में 2012 से 2022 तक की यौन शोषण की घटनाओं का वर्णन है।

       अखबार ने जानकारी दी है कि ये पहलवान लड़कियां बृजभूषण के खौफ से बचने के लिए खाने के लिए अकेले नहीं, ग्रुप में जाती थीं। वह उनसे सेक्सुअल फेवर की मांग करता था, उसने उन्हें जबरदस्ती अपने गले लगाया, सेक्स के लिए सप्लीमेंट देने की बात की, उन्हें जबरदस्ती छुआ, उनके साथ छेड़खानी की, छाती और पेट को जबरदस्ती छुआ, कस कर पकड़ा, जोर जबरदस्ती की, यौन संबंध बनाने का दबाव और कोशिश की।

      उसने उनकी लज्जा भंग करने के इरादे से उन पर हमला किया, उनका यौन उत्पीड़न किया, उनका पीछा किया, खाने की मेज पर छुआ, उसने कई बार उन्हें जबरन अपने पास खींचा और कस कर पकड़ लिया कि वह हिल भी नहीं पाई। बृजभूषण ने नाबालिक पहलवान से कहा कि तुम मुझे सपोर्ट करो मैं तुम्हें सपोर्ट करूंगा और उसे धमकी दी कि अगर लड़की ने कोपरेट नहीं किया तो ट्रायल में उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

       रिपोर्ट में कहा गया है ब्रज भूषण ने कहा कि  महासंघ उसके इलाज का खर्च वहन करने को तैयार है बशर्ते कि वह शारीरिक संबंध बना ले। बृजभूषण शरण ने उनकी टी शर्ट उतारी और जांच के बहाने गलत तरीके से उसकी ब्रेस्ट और पेट को छुआ। अब यह सारे तथ्य और घटनाएं देश और दुनिया के सामने आ गई हैं मगर इन के बावजूद भी पुलिस और सरकार इस बर्बर यौन उत्पीड़न के अपराधी बृजभूषण के खिलाफ समय से कार्यवाही करने को तैयार नहीं है।

         इस सब को देखकर लगता है कि क्या भारत की बेटियां आगे पहलवान बनेगी? क्या उनके मां-बाप उन्हें कुश्ती और खेलों के लिए प्रेरित करेंगे? महावीर फोगाट ने तो यहां तक कहा है कि अगर यह सब चलता रहा और इस जालिम के खिलाफ तुरंत कार्यवाही नहीं की गई तो बेटियां पहलवानी करना छोड़ देंगी। 

       इस मामले को लेकर सरकार, उसके मंत्री, उसके सांसद चुप हो गए हैं, अंधे गूंगे और बहरे बन गए हैं। राष्ट्रवाद और धर्म की राजनीति करने वाले चुप हो गए हैं, उन्हें तो जैसे सांप ही सूंघ गया है। संसद में स्थापित “सेंगोल” आरोपी को नहीं पकड़ रहा है मगर पीड़िताओं को ही पीड़ित कर रहा है। तथाकथित साधु सन्यासी यह सब कुछ देख कर भी चुप हैं बल्कि उन्होंने आरोपी बृजभूषण को समर्थन देने का मन बना लिया है।

      मोदी दो मुंही बात बोल रहे हैं। उन्होंने राजस्थान में दिये गये अपने भाषण में कहा है कि राजस्थान की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, जबकि दिल्ली में यौन शौषण को लेकर धरना प्रदर्शन कर रही पहलवान बेटियों को लेकर, मोदी अंधे, बहरे और गूंगे बन गए हैं और बात यहां तक बढ़ गई है कि रामशरण और साधु सन्यासी पोक्सो एक्ट में बदलाव करने की बात कर रहे हैं और बृजभूषण बेखौफ तरीके से प्रेस और कैमरे के सामने अनाप-शनाप बयान दे रहा है। इस सब के बाद भी सरकार ने चुप्पी साध रखी है।

    इन सारी घटनाओं से हिंदुत्ववादियों और फर्जी और नकली राष्ट्रवाद के ठेकेदारों का औरत विरोधी चेहरा देश और दुनिया के सामने आ गया है। पूरी दुनिया के लोग और खिलाड़ी, बेटी पहलवानों के सम्मान और मान सम्मान को रौंदने वाले सांसद समर्थकों, सरकार और साधु सन्यासियों का क्रूर और बर्बर चेहरा देख रहे हैं। इनके “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के कुत्सित नारे की पोल खुल गई है।

        यहां पर सवाल खड़ा होता है कि क्या इस सब के खुलासे के बाद भी भारत का कानून अभी अपना काम नहीं करेगा? मामला इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि 1983 की विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम का बयान आया है कि प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के साथ जो बदतमीजी की गई है, उसे देखकर वे परेशान हैं, बेचैन हैं और दुखी हैं। अभिनव बिंद्रा और वीरेंद्र सिंह और कई खाप पंचायतें भी इन बेटियों के समर्थन में आ गई हैं।

        पूरा विपक्ष इन बेटियों के साथ खड़ा हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा भी इन बेटियों की इज्जत बचाने के देशव्यापी अभियान में जुट गया है। सर्व खाप और सर्व जातीय जाति खापों की महापंचायत हो रही हैं। अधिकांश जनवादी और प्रगतिशील संगठन इन बेटियों का समर्थन करके इनके साथ होने वाले अन्याय को दूर कर आरोपियों को तुरंत दंड देने की बात कर रहे हैं।

      पिछले साल भारत के विजयी किसान आंदोलन के बाद, यह देश का दूसरा सबसे बड़ा जन आंदोलन बन गया है। इसने जातियों और धर्म की दीवारों को तोड़ दिया है। इसने लोगों को और औरतों को राह दिखाई है, उन्हें आवाज दी है, उनका हौसला बढ़ाया है, उन्हें लड़ना सिखाया है। अब यह भारत के भविष्य को बचाने की लड़ाई बन गई है।

      इंडियन एक्सप्रेस ने इन बेटियों के साथ हुए यौन शोषण की घटनाओं को प्रकाशित करके, देश और दुनिया के सामने ला दिया है। इसने पूरी देश और दुनिया की जनता को बता दिया है कि भारत की सरकार वोट के लालच में जिस सांसद का समर्थन कर रही है, वह कितना बड़ा अपराधी क्रूर और यौन शोषणकर्ता है। इंडियन एक्सप्रेस ने भारत के मीडिया की शाख को बचा लिया है कि यहां सारा मीडिया, गोदी मीडिया ही नहीं बन गया है, कुछ मीडिया हाउसों में अभी भी अपनी मान, मर्यादा व नैतिकता जिंदा है। इंडियन एक्सप्रेस के इस प्रकाशन ने इन जालिमाना हरकतों का विमर्श ही बदल दिया है और पूरी सच्चाई को दुनिया के सामने ला दिया है और दुनिया की आंखें खोल दी हैं और पूरी सरकार को दबाव में ला दिया है।

     भारत की ये बेटियां नए भारत की नई पौध हैं। ये आधुनिक समाज की, नई भारत की, नई महारानी लक्ष्मीबाईयां हैं। भारत का भविष्य इन महान बेटियों के प्राणदायी संघर्ष को सदा सदा याद रखेगा। भारत की इन पहलवान बेटियों का यह महान संघर्ष, जालिम सरकार और तमाम जातिवादी और धर्मांध ताकतों और जालिमों के खिलाफ, आवाज बुलंद करने और संघर्ष के मैदान में उतरने का, क्रांतिकारी मार्ग प्रशस्त करेगा। 

    इन पहलवान बेटियों ने अपना कैरियर, इज्जत ,नौकरी, जान सब कुछ दांव पर लगा रखी है, ताकि कोई गुंडा भविष्य में देश की शान के साथ कोई खिलवाड़ ना कर सके। भारत की आगे आने वाली पीढ़ियां, इन महान संघर्षी और क्रांतिकारी बेटियों का सदैव कर्ज बंद रहेगा। यह भारत के भविष्य और मान सम्मान को बचाने की महान क्रांतिकारी लड़ाई है। भारत की इन महान संघर्षी बेटियों को शत-शत नमन, वंदन और अभिनंदन और क्रांतिकारी सलाम।

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