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इंदौर के रेलवे स्टेशन पर एक ही टीसी ने बिना टिकट होने पर बना डाले 4 हजार केस

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 ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो ट्रेनों में अक्सर बिना टिकट चलते हैं पर पकड़े नहीं जाते या येन—केन—प्रकारेण छूट जाते हैं। ऐसे लोगों को अब संभलकर रहने की जरूरत है, क्योंकि एमपी में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां से कोई भी बिना टिकट यात्री यूं ही नहीं निकल सकता। एमपी की व्यवसायिक राजधानी इंदौर के रेलवे स्टेशन पर टिकट चेकर बेहद सख्त हैं। यहां की एक महिला TC ने तो बिना टिकट यात्री पकड़ने में नया रिकार्ड कायम कर लिया है।

यही कारण है कि इंदौर रेलवे स्टेशन, रतलाम मंडल का सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला स्टेशन बन गया है। यहां प्लेटफार्म और ट्रेनों में टिकट चेकिंग के दौरान खासतौर पर महिला टीसी खासी सक्रिय देखी जाती हैं। इंदौर की डिप्टी सीटीआई अलका मिश्रा ने तो महज 12 माह में 6 हजार 357 केस बना दिए हैं। इनमें करीब 4 हजार केस बिना टिकट यात्रा के हैं।

पिछले वित्तीय वर्ष में रतलाम मंडल की महिला उप मुख्य टिकट इंस्पेक्टर ने सबसे ज्यादा राजस्व दिया है। इनमें अलका के माध्यम से रेलवे को 33 लाख 99 हजार 585 रुपए का राजस्व मिला है। रतलाम मंडल ने पहली बार महिला डिप्टी सीटीआई के रूप में अलका को इस उपलब्धि के लिए अवार्ड देकर सम्मानित भी किया है।

इंदौर रेलवे स्टेशन से हर रोज 35 हजार से ज्यादा यात्रियों का आवागमन होता है। इनमें से कई यात्री बिना टिकट होते हैं पर महिला टीसी की निगाह से नहीं बच पाते। रतलाम मंडल में कुल पांच महिला डिप्टी सीटीआई हैं जिसमें इंदौर में तीन हैं। ये महिला डिप्टी सीटीआई टिकट के बिना रेल यात्रा करनेवालों को पकड़ ही लेती हैं।

इंदौर से रोज करीब 45 ट्रेनों का आना-जाना होता है। जो यात्री बिना टिकट प्लेटफार्म पर आते हैं या ट्रेन में सवार हो जाते हैं ऐसे यात्रियों को महिला सीटीआइ तुरंत ताड़ जाती हैं और कार्रवाई करती हैं।

डिप्टी सीटीआई अलका मिश्रा को रोज 12 हजार रुपए राजस्व वसूल करने का लक्ष्य मिला था। उन्होंने 283 दिन में बिना टिकट यात्रा करने वाले 3 हजार 807 केस सहित कुल 6 हजार 357 केस बना दिए। हालांकि प्लेटफार्म और ट्रेनों में टिकट चेकिंग के दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, कई बार तो आरपीएफ और जीआरपी की मदद लेनी पड़ी। कई लोग धमकियां भी देते रहे लेकिन वे बिना डरे अपना काम करती रहीं।

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