दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को आम आदमी पार्टी को एक-दो नहीं बल्कि सात झटके लगे हैं। सबसे पहले महरौली के विधायक नरेश यादव ने इस्तीफा दिया। इसके कुछ घंटे बाद ही जनकपुरी से विधायक राजेश ऋषि ने पार्टी छोड़ी फिर त्रिलोकपुरी से विधायक रोहित कुमार मेहरौलिया, कस्तूरबा नगर के विधायक मदन लाल, पालम विधायक भावना गौड़, आदर्श नगर विधायक पवन कुमार शर्मा और फिर बिजवासन से भुपेंद्र सिंह जून ने भी अपना इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफे में किसने क्या लिखा…
महरौली विधायक नरेश यादव ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, आम आदमी पार्टी का उदय भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए, अन्ना आंदोलन से भारतीय राजनीति से भ्रष्टाचार को मुक्त करने के लिए हुआ था लेकिन अब मैं बहुत दुखी हूं कि भ्रष्टाचार आम आदमी पार्टी बिल्कुल भी कम नहीं कर पाई बल्कि आम आदमी पार्टी ही भ्रष्टाचार के दलदल में लिप्त हो चुकी है।
मैंने 10 साल ईमानदारी से काम किया
मैंने आम आदमी पार्टी ईमानदारी की राजनीति के लिए ही ज्वाइन की थी। आज कहीं भी ईमानदारी नजर नहीं आ रही है। मैंने महरौली विधानसभा में पिछले 10 सालों से लगातार 100 फीसदी ईमानदारी से काम किया है। महरौली के लोग जानते हैं कि मैंने ईमानदारी की राजनीति, अच्छे व्यवहार की राजनीति और काम की राजनीति की है। मैंने महरौली के बहुत से लोगों से चर्चा की, सभी ने यही कहा कि आम आदमी पार्टी अॅब पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुकी है। आपको इस पार्टी को छोड़ देना चाहिए क्योंकि इन्होंने लोगों के साथ धोखा किया है। कहते थे, कि हम ईमानदारी की राजनीति करेंगे लेकिन आज पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है।
पार्टी में शामिल हो चुके भ्रष्टाचारी
दिल्ली की जनता जानती है कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है क्योंकि इन्होंने भ्रष्टाचारियों को ही पार्टी में शामिल कर लिया है। आम आदमी पार्टी में कुछ ही लोग ईमानदारी की राजनीति करने वाले बचे हैं। केवल उनसे मेरा प्यार व दोस्ती हमेशा रहेगी और अपनी महरौली की जनता का भी मैं दिल से आभार और धन्यवाद प्रकट करता हूं कि इन्होंने मुझे 10 सालों में बहुत प्यार और आशीर्वाद दिया है। महरौली विधान सभा और दिल्ली की प्यारी जनता से विनम्र निवेदन है कि आगे की ईमानदारी से समाज सेवा वाली राजनीति के लिए अपना आशीर्वाद और प्यार हमेशा मुझपर बनाये रखें। मैं आ सभी से वादा करता हूं कि हमेशा ईमानदारी की, अच्छे व्यवहार की और काम की राजनीति करता रहूंगा।
जनकपुरी विधायक राजेश ऋषि का इस्तीफा पत्र
प्रिय केजरीवाल जी,
मैं आपको सूचित करने के लिए लिख रहा हूं कि मैं आम आदमी पार्टी (आप) की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों और जिम्मेदारियों से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।
भ्रष्टाचार-मुक्त शासन से दूरी
1. ‘आप’ भ्रष्टाचार-मुक्त शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर आधारित थी। पार्टी से, मैंने इन मूल मूल्यों में एक महत्वपूर्ण दूरी देखी है। पार्टी के कार्यों और निर्णयों ने राजनीतिक सुविधा को लोगों के कल्याण पर प्राथमिकता दी है।
2. अन्ना हजारे के सिद्धांतों के साथ विश्वासघात
इंडिया-अगेस्ट-कॉरप्शन मूवमेंट से उत्पन्न आम आदमी पार्टी, जो अन्ना हजारे के सिद्धांतों, ईमानदारी, भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनी थी। हालांकि, मुझे यह देखकर दुख होता है कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों को त्याग कर भ्रष्टाचार में डूब गई है।
3. संतोष कोली के बलिदान को भुला दिया गया
पार्टी का संतोष कोली के बलिदान के साथ व्यवहार करना नैतिक दिवालियापन दिखता है है। आपका संतोष कोली के लिए आंसू बहाना और संतोष के हत्यारे के खिलाफ प्रोटेस्ट करना एक नाटक था आपने संतोष के हत्यारे की सीमापुरी में टिकट दे कर पुरस्कृत किया है। यह पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति विश्वासघात है।
4. भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद
पार्टी भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का एक कटोरा बन गई है। जो लोग अखंडता के संरक्षक होने वाले थे, वे इसके सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता बन गए हैं। मैं अब एक ऐसे संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता जिसने अपने नैतिक दिशा को खो दिया है।
5. लोगों के विश्वास का विश्वासपात
मैं यह स्वीकार करने के लिए गहरा दुख महसूस करता है कि आम आदमी पार्टी (आप) ने उन लोगों के साथ विश्वासघात क्रिया है। जिन्होंने अरविंद केजरीवाल पर एक राजनीतिक दल बनाने के लिए विधान किया था। मैं उनमें से एक था, और मेरे पार्टी की नीव और निर्माण करने और स्माठन बनाने के लिए संघर्ष किया था। हालांकि, वह देकर मझे दर्द होता है कि पाटी अपने मूल सिद्धांतों से हट गई है।
6. आम आदमी पार्टी एक अनियंत्रित गिरोह
आम आदमी पार्टी एक अनियंत्रित गिरोह के लिए एक स्वर्ग बन गई है। पार्टी का प्रचार भाई-भाई और तानाशाही के साथ पर्यायवाची हो गई है। पार्टी की स्थापना शिपाई था, उहिया गया है समथाओं से अलग नहीं हो पाई है जिन्हें होती देना चाहती थी।
आपकी समझ के लिए धन्यवाद।