अदिति शर्मा
दुनिया के पहले गुनाहगार आदम और हव्वा थे ऐसा सुनते आ रहे हैं। हिन्दी में समाये गुनाह, गुनहगार, बेगुनाह जैसे फ़ारसी शब्द रोज़मर्रा की भाषा में सामान्य तौर पर बरते जाते हैं। गुनाह हिन्दी में अपराध के अर्थ में ही प्रयुक्त होता है जबकि फ़ारसी में गुनाह मूलतः पाप है मगर इसकी अर्थछटाओं में भूल, त्रुटि, खोट, गलती, दोष, अन्याय या अनैतिकता भी शामिल हैं।
फ़ारसी में गुनाह का एक अन्य रूप भी है गुनह जो ग़लत नहीं है। इसके आधार पर गुनहगार होता है। गुनाह के आधार पर गुनाहगार बनता है। जानते हैं गुनाह की जन्मकुण्डली।
*’विनाह’ का रूपान्तर :*
गुनाह दरअसल पहलवी ‘विनाह’ का रूपान्तर है जिसका अर्थ पाप, अपराध है। मैकेंजी के पहलवी कोश के मुताबिक मनीशियन मध्यकालीन फ़ारसी में इसका रुप ‘विनह’ था। इसमें विध्वंस या नुक़सान का आशय भी शामिल है। तो कुल मिलाकर विनह > विनाह > गुनाह का विकासक्रम हमारे सामने आता है।
इसी तर्ज़ पर पापी के अर्थ में विनाहगार, विनहकर जैसे शब्द भी मिलते हैं। ध्यान रहे फ़ारसी का ‘गार’ कर्ता के अर्थ में प्रयुक्त होता है। इसका हिन्दी समरूप ‘कार’ है। हम जानते हैं कि भारत-ईरानी परिवार में क का रूपान्तर ग में होता है। फ़ारसी गुनहगार में यही कार, गार में बदलता नज़र आ रहा है।
*विनाश से रिश्ता :*
सवाल आता है कि गुनाह अगर विनाह से रूपान्तरित है तो पहलवी में विनह / विनाह का क्या अर्थ है? एक सवाल और। अलग-अलग भाषायी क्षेत्रों में विभिन्न ध्वनियों में रूपान्तर होता है मसलन क>ग, क>ख, क्ष>ख, स>श, श>स, स>ह, ज>ग, य>ज, ल>न, न>ल, म>भ वगैरह वगैरह।
मगर यहाँ ‘व’ का ‘ग’ में रूपान्तर थोड़ा कठिन लग रहा है। इसे समझने के लिए पहले विनह / विनाह को जानते है। दरअसल संस्कृत के विनश / विनाश का समतुल्य है विनह / विनाह। अवेस्ता में इसका रूप विनश् ही रहता है।
*बरबादी या विध्वंस :*
विनाश, हिन्दी की तत्सम शब्दावली का शब्द है। संस्कृत से आयातित। हिन्दी में विनाश का मूलार्थ बरबादी या विध्वंस की अभिव्यक्ति है जबकि संस्कृत विनाश में लोप, अन्तर्धान, ग़ायब जैसे भावों के साथ विध्वंस, मटियामेट, तबाह, बरबाद, चौपट, तहस-नहस, उजड़ना जैसे आशय भी हैं।
ध्यान रहे श का रूपान्तर ह में होता है। सो विनाश का विनाह रूप सामने आता है। इस रूपान्तर के साथ अर्थान्तर भी हुआ और विनाश की अभिव्यक्ति पाप या अपराध में हुई।
*विनाश > विनाह > गुनाह :*
जहाँ तक विनाह के गुनाह में बदलने का प्रश्न है यह फ़ारसी की अपनी बोलियों में रूपान्तर होने का मामला है। ऐसी मिसालें कम हैं, किन्तु भाषाविदों ने पता लगाया है कि प्राचीन फ़ारसी या मध्यकालीन फ़ारसी (पहलवी) में जब कभी शुरुआती व्यंजन ‘व’ रहता है तो किन्हीं मामलों में जब ‘व’ ध्वनि के साथ ‘उ’ या ‘ई’ स्वर होता है तब उसका रूपान्तर फ़ारसी में ‘ग’ हो जाता है।
इसी वजह से संस्कृत या अवेस्ता का विनाश / विनाह, फ़ारसी में गुनाह बन रहा है।