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कृत्रिम बाढ़ की समस्या का स्थाई समाधान निकाले प्रशासन: अजय खरे

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रीवा । रीवा में अतिवृष्टि और बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा गत दिवस रखी गई बैठक में 15 जून तक तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए हैं। इस बात को लेकर समाजवादी कार्यकर्ता समूह के संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि प्रशासन के द्वारा हर वर्ष इस तरह की बैठकें की जाती हैं लेकिन बरसात के समय शहर के कुछ इलाकों में बरसाती पानी की निकासी समस्या का स्थाई समाधान नहीं होने से कृत्रिम बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। कभी-कभी तो यह होता है कि नदी में बाढ़ नहीं लेकिन शहर के अंदर कुछ देर की बारिश में हीं बहुत से घरों में जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है। शहर के बहुत से स्थानों में मनमाने तरीके से सड़के ऊंची कर दी गई हैं जिसके चलते बड़ी संख्या में घर काफी नीचे हो गए हैं। जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होने से सड़कें स्टॉप डेम का काम करती हैं और बरसाती पानी घरों में भरता है। जब पानी गिरना बंद हो जाता है तो धीरे-धीरे पानी का स्तर घटने लगता है। पॉश कॉलोनी कहे जाने वाले नेहरू नगर में यह समस्या काफी विकराल हो जाती है। यदि आधे घंटे तेज पानी गिरता है तो रिलायंस पैट्रोल पंप और मिश्रा पेट्रोल पंप के बीच बनी पुलिया से सही तरीके से जल निकासी नहीं हो पाती है। इस पुलिया को 2 वर्ष पहले ही नए सिरे से बनाया गया लेकिन बरसाती पानी की क्षमता को नजरअंदाज करते हुए कराए गए निर्माण कार्य से समस्या जस की तस बनी हुई है। इस क्षेत्र में भी कथित विकास के नाम पर घरों के धरातल से पुलिया वाली मुख्य सड़क बहुत ऊंची कर दी गई हैं। क्षेत्र में काफी दूर-दूर का पानी आता हैं जबकि बनी पुलिया की क्षमता पर्याप्त नहीं है। नए बस स्टैंड की तरफ से यहां का पानी का रास्ता बदला जा सकता है लेकिन प्रशासन की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर वर्ष का यही रोना बना हुआ है। बरसात खत्म होने के बाद इस समस्या को एकदम से भुला दिया जाता है और बरसात आने पर हर बार आश्वासन मिलता है लेकिन समस्या का कभी समाधान नहीं होता है। श्री खरे ने कहा कि नेहरू नगर की जलभराव की समस्या पूरी तरह कृत्रिम है। यह क्षेत्र नदी से काफी दूर और ऊंचाई पर बसा है। यहां की समस्या प्रशासनिक बदइंतजामी के चलते है। यदि यहां बरसात के समय आने वाले पानी को एक जगह से नहीं निकालकर अलग-अलग स्थानों से निकाला जाए तो समस्या का आसानी से निराकरण किया जा सकता है लेकिन बार बार बताने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती है। फिलहाल यहां बरसात की चिंता लोगों को सता रही है और जनाक्रोश बना हुआ है।

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