सुसंस्कृति परिहार
कोराना काल की याद आते ही पुराने ज़ख्म हरे हो जाते हैं।जब जब कोराना के आने की आहट आती है घबराहट फैलने लगती है पर क्या कहें उन मक्कारों को जो भारत जोड़ो यात्रा को दिल्ली में रोकने इस भयावह बीमारी का ऐसा प्रचार करते हैं कि प्रधानमंत्री से लेकर सदन में सब मास्क लगाकर आने मजबूर कर दिए जाते हैं। जनता की समझदारी ही कहिए वह इस बात से बेफ्रिक और पूरी ताकत से यात्रा में शरीक होती है। यहीं पहली दफा ऐसा लगा कि जनता का साहिब जी की नोटंकी से मोहभंग हुआ।यात्रा कश्मीर तक पहुंची।साहिबजी और उनके अनुयाई मंत्रियों , सांसदों ने मास्क दिल्ली से यात्रा निकलते ही उतार दिया।यह ऐसी घटना है जिससे स्पष्ट होता है आम लोगों ने बहुप्रचारित कोरोना से निडर होना सीख लिया है।लुटे पिटे लोग और क्या कर सकते हैं।
यह देश हित में ही है क्योंकि कोरोना में जिस तरह की लूट हुई और बीमार चिकित्सालयों में लाखों खर्च करने के बाद लोग मारे गए यह देश की बड़ी आपदा थी।उधर साहिब जी का वह डायलॉग भूले नहीं भूलता कि आपदा में अवसर तलाशें।उनकी इसी बात पर बहुसंख्यक निजी चिकित्सालयों ,गैस सिलेंडर विक्रेताओं, सेनेटाईज़र और मास्क निर्माताओं के साथ गले की सेंक करने वाले उपकरणों ,दवानिर्माताओं और विक्रेताओं ने बाज़ार में खुलकर कमाई की वह आज सामने दिखाई दे रही है। कितने निजी चिकित्सालयों का कायाकल्प हो गया। नई नई इमारतें बन गई। लेकिन आपदा में अवसर कहने वाले ने प्रधानमंत्री केयर फंड के नाम से जो राशि जमा की। उसका कोई हिसाब किताब नहीं।जब इस सिलसिले में सवाल उठे तो कहा गया इस राशि का हिसाब सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। सरकार के बिकाऊ मंत्री भी इस सवाल पर चुप्पी साधे रहे। संसद में भी बात आई गई हो गई। कैसे सवालों को दबाया जाता रहा है अब ये सब बात सामने आ गई। विदेश में राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र की जो सच्चाई सामने लाई।वह उनके गले की हड्डी बन गई है।सच आज विदेशी मीडिया से सामने आ रहा है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के बाद तो इतनी तेजी से इस सरकार की असलियत सामने आती जा रही है कि हमारे साहिब जी ने कैसे अडानी को नंबर दो बनाने सैकड़ों फर्जी विदेश यात्रा करने के साथ साथ देश की सम्पदा अडानी को सौंप दी। सोचिए इतनी बड़ी संपदा का मालिक तब अडानी बनता है जब देश कोरोना की कराहों में डूबा हुआ था।उस समय छूटे रोजगार और अस्पतालों में लुटे पिटे परिवार को कुछ भी आर्थिक मदद नहीं मिली क्योंकि बहुसंख्यक मौतों की वजह अन्य बीमारियों को बताया गया। इसी बीच वैक्सीन के ताबड़तोड़ प्रचार पर अरबों रुपए खर्च किए गए कहा गया कि पेट्रोल, डीज़ल,गैस के दाम बढ़ाकर इसका खर्च निकाला गया।यानि देश में अब तक जो टीके नि: शुल्क लगते रहे उसका दाम भी धड़ल्ले से वसूला गया। बेरोजगारों को आत्मनिर्भरता का संदेश देकर नौकरियों से मुख मोड़ लिया गया।देश में किसानों की बदौलत उत्पन्न अनाज को अस्सी करोड़ को बांटने की बात अब तक कही जा रही है जिसकी बदौलत मतदाताओं को मोदी थैले में भरकर बांटा गया। आपदा के अवसर का सबसे अच्छा फायदा साहिब जी ने उठाया।
अब अगर राहुल गांधी ज़ोर देकर 20,000करोड़ का हिसाब मांग रहे हैं तो वह अनुचित नहीं है। लगता है इसका राज राहुल गांधी के हाथ आ गया है वह समय पर खोला जाएगा। लगता तो यही है प्रधानमंत्री केयर फंड की पूरी राशि मोदी केयर फंड बनकर अडानी की सेवा में समर्पित की जा चुकी है जबकि यह राशि प्रधानमंत्री केयर फंड के नाम से जमा की गई।उस सरकारी धन की एक एक पाई का हिसाब उन्हें देना होगा। राहुल इसीलिए उनके गले की फांस बन चुके हैं।सदन में भले उनकी आवाज़ नहीं सुनने मिलेगी लेकिन वह आवाज़ अब खुले जहां और आसमान में गूंजेगी। अफसोस रहेगा कैसे देश के प्रधानसेवक ने आपदा में अवसर का लाभ लिया गंगा में बहती लाशें,देश में हर घर से निकली लाशों पर यह व्यापार कितना कष्टकर है ऐसा कोई तानाशाह ही का काम हो सकता है। देखिए राहुल गांधी का सवाल अब हल होता है।