कोलकाता
भाजपा ने जून 2015 में कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था और इसी के साथ बंगाल का प्रभारी भी बनाया था। विजयवर्गीय ने सिद्धार्थ नाथ सिंह की जगह ली थी, जो उनके पहले राज्य के प्रभारी हुआ करते थे। अब 6 साल बाद विजयवर्गीय को बंगाल से हटाया जा सकता है।
बीते 6 सालों में दो विधानसभा चुनाव (2016 और 2021) और एक लोकसभा चुनाव (2019) हुए। लेकिन बंगाल में विधानसभा के दोनों ही चुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में जरूर 42 में से 18 सीटें जीतकर BJP ने सबको हैरान कर दिया था। हालांकि विजयवर्गीय का कहना है, ‘मैं बंगाल देखता रहूंगा। साथ ही UP और उत्तराखंड में भी काम करूंगा।’ UP-उत्तराखंड में अगले साल चुनाव होना है।
2016 में 10.2% पर थे, 2021 में 38.09% पर पहुंचे
भाजपा ने मिशन बंगाल पर 2015 से ही विजयवर्गीय को सक्रिय कर दिया था। तब राज्य के प्रभारी से लेकर प्रदेश अध्यक्ष बदलने तक की कवायद इसलिए की गई थी ताकि 2016 के विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया जा सके। वहीं विजयवर्गीय को मौका हरियाणा में 2014 में उनके बेहतरीन प्रदर्शन के चलते मिला था। हालांकि बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव में 10.2% वोट शेयर के साथ BJP महज 3 सीट जीत सकी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 40% वोट शेयर के साथ पार्टी ने 42 में से 18 सीटें जीतीं। 2021 में 38.09% वोट शेयर के साथ 294 में से 77 सीट BJP के खाते में आईं। जबकि पार्टी ने 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित भाजपा ने पूरी ताकत बंगाल में झोंक दी थी। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में 77 सीटें ही आ सकीं। लोकसभा चुनाव के मुकाबले वोट शेयर भी 2% कम हो गया।
इन तीन नामों की है चर्चा
बंगाल में अपेक्षा के विपरीत आए नतीजों के बाद से ही BJP में फेरबदल की चर्चाएं तेज हैं। अब चर्चा है कि कैलाश विजयवर्गीय से बंगाल का प्रभार लिया जा सकता है। उनकी जगह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान या राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ को कमान दी जा सकती है। राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव का नाम भी चर्चा में है।
ये तीन वो नाम हैं जो चुनाव के पहले तक बंगाल में सक्रिय रहे हैं। हालांकि BJP के शीर्ष नेता अभी आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। BJP बंगाल के उपाध्यक्ष रितेश तिवारी का कहना है कि BJP में निर्णय इस तरह से नहीं होते। ये सब अफवाहें हैं।
चुनाव विश्लेषक बोले- विजयवर्गीय जा चुके, अब सिर्फ औपचारिकता बाकी
कोलकाता स्थित रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और चुनाव विश्लेषक डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, ‘बंगाल में बदलाव तो हो ही चुका है। विजयवर्गीय जा चुके हैं। अब सिर्फ औपचारिकताएं बाकी हैं।’
डॉ. चक्रवर्ती के मुताबिक, ‘ममता बनर्जी राज्य में BJP को दूसरे नंबर पर बनाए रखना चाहती हैं क्योंकि इससे वे मुस्लिम वोटर्स को पोलराइज कर सकेंगी, लेकिन वे BJP को एक लिमिटेड स्केल में ही रहने देना चाहती हैं।’
‘BJP ने बंगाल का चुनाव हिंदुत्व पर लड़ा था जिससे मुस्लिमों में डर पैदा हुआ। हिंदुओं को भी लगा कि BJP जीती तो राज्य में हिंदु-मुस्लिम के नाम पर दंगे हो सकते हैं इसलिए वे भी ममता के साथ गए।’
‘जिन 38% वोटर्स ने BJP को जिताया है, अब वे भी शायद BJP के साथ नहीं होंगे क्योंकि चुनाव के बाद जो हिंसा हुई है वो हिंदु-मुस्लिम के चलते ही हुई।’ चक्रवर्ती के मुताबिक, ये बात सही है कि बंगाल में प्रशासनिक संस्थाएं ममता सरकार के इशारे पर काम कर रही हैं। वे कहते हैं कि पुलिस TMC नेताओं के कहने पर मामले दर्ज कर रही है, लेकिन यह पिछले दस साल से ही चल रहा है। आगे भी इसमें कोई बदलाव होता नजर नहीं आ रहा। BJP का राज्य में कोई भविष्य नहीं दिख रहा।’
3 से 4 विधायक और TMC में जा सकते हैं
सोमवार को बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने राजभवन में पार्टी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी। हालांकि 24 विधायकों ने इस मीटिंग से दूरी बनाए रखी। तभी से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि बंगाल में भाजपा टूट सकती है। TMC से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि 3 से 4 विधायक और पार्टी में जल्द ही शामिल हो सकते हैं। मीटिंग से गायब रहने वाले सभी 24 BJP विधायकों के TMC में शामिल होने की बात गलत है।
विधायकों-सांसदों की बात करें तो अभी तक TMC में सिर्फ मुकुल रॉय ही शामिल हुए हैं। मुकुल कृष्णानगर उत्तर सीट से चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत हासिल की थी।