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आखिर अजमेर दरगाह कमेटी में यह क्या हो रहा है? जुल्मों से तंग आकर एक कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली…सहायक नाजिम पर गंभीर आरोप

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आखिर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी कार्यवाही क्यों नहीं करते?

एस पी मित्तल अजमेर

अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में आंतरिक प्रबंध करने वाली दरगाह कमेटी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है। लेकिन इन दिनों कमेटी का बुरा हाल है। एक के बाद एक ऐसे कारनामे हो रहे हैं, जिससे केंद्र की भाजपा सरकार की छवि भी खराब हो रही है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को कमेटी की गतिविधियों की जानकारी है, लेकिन नकवी ने चुप्पी साध रखी है। सवाल उठता है कि नकवी कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं? क्यों दरगाह कमेटी की गलतियों पर पर्दा डाल रहे हैं? दरगाह कमेटी की गलतियों की जिम्मेदार सीधे तौर पर अल्पसंख्यक मंत्रालय की ही है। नकवी ने संरक्षण के कारण ही अमीन पठान गत चार बार से कमेटी के अध्यक्ष बन रहे हैं। कई बार दरगाह कमेटी की बैठक भी दिल्ली में नकवी की उपस्थिति में होती है। ताजा मामला दरगाह कमेटी के अस्थायी कर्मचारी सरफराज की आत्महत्या का है। सरफराज ने कमेटी के पदाधिकारियों के जुल्मों से तंग आकर 16 अगस्त को जहर खाया और 17 अगस्त को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में उसकी मौत हो गई। मरने से पहले भी सरफराज ने आरोप लगाया कि उससे अदालत से केस भी वापस करवा लिया और नौकरी पर बहाल भी नहीं किया। 17 अगस्त को सरफराज की पत्नी सबीना ने सिविल लाइन पुलिस स्टेशन पर एक रिपोर्ट देकर कमेटी के सहायक नाजिम मोहम्मद आदिल पर गंभीर आरोप लगाए है। गंभीर बात यह है कि 16 अगस्त को सरफराज ने तब जहर खाया, जब कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान और अन्य सदस्य अजमेर में ही बैठक कर रहे थे।

बहाली को लेकर सरफराज ने कमेटी के अध्यक्ष और सदस्यों से भी गुहार लगाई थी। लेकिन किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। क्या सरफराज की मौत की जिम्मेदारी दरगाह कमेटी की नहीं है? आखिर कौन लोग थे जो नौकरी की एवज में पत्नी को बुला रहे थे। सरफराज की पत्नी के बेहद गंभीर आरोप है। उम्मीद है कि पुलिस अब इस मामले में निष्पक्ष जांच करेगी। दरगाह के अंदर ड्यूटी देने वाले पुलिस कर्मियों के लिए झालरे पर स्थान आरक्षित किया गया था। इसके लिए बाकायदा कमेटी में प्रस्ताव भी पास किया गया, लेकिन बाद में गुपचुप तरीके से वही स्थान दरगाह के एक खादिम को 50 लाख रुपए के डोनेशन पर दे दिया। इस आवंटन को लेकर भी अनेक चर्चाएं हैं क्योंकि दरगाह  के अंदर तो छोटे से स्थान को लेने के लिए लोग करोड़ों रुपए देने को तैयार है। ऐसी गंभीर शिकायतों पर केंद्रीय मंत्री नकवी चुप्पी साधे हुए हैं। आरोप है कि गत वर्ष जब तत्कालीन नाजिम शकील अहमद ने गलत काम करने से मना कर दिया, तब उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। नाजिम के छुट्टी पर जाने के बाद ही सहायक नाजिम से झालरे पर आवंटन करवा दिया गया। अब अजमेर पुलिस अपनी जगह मांग रही है। इस संबंध में दरगाह कमेटी को पत्र भी लिखे गए है। जानकारों की मानें तो कमेटी के पदाधिकारियों से तंग आकर ही मौजूदा नाजिम अशफाक हुसैन ने भी अपने पद से इस्तीफा केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय में भिजवा दिया है। अशफाक को अपने इस्तीफे के मंजूर होने का इंतजार है। हालांकि अशफाक ने इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत बताया है। दरगाह कमेटी की देखरेख में ही सिविल लाइन में ख्वाजा मॉडल स्कूल का संचालन होता है। खबर है कि स्कूल की एक शिक्षिका ने अपनी परेशानियों को लेकर केंद्रीय मंत्री नकवी को पत्र लिखा है। शिक्षिका की शिकायत भी चर्चा का विषय है। 

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